भोले: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में अमर शहीद हेमू कलानी की जन्म जयंती वर्ष के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर भाग लेने आए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ी मान्यताएं दीं। सिंधी समाज के इस समागम में सिंधुरा सिंध और सिंधियों की अहमियत का दावा करते हुए उन्होंने कहा कि भारत-पाकिस्तान बंटवारे का दंश अब तक पाकिस्तान की जनता महसूस कर रही है। वहां के लोग मानते हैं। वो कह रहे हैं गलती हो गई है। संघ प्रमुख ने कहा कि यह पक्की बात है कि भारत-पाक टूटना कृत्रिम है, इस पर कोई विवाद नहीं है।
बंटवारे के बाद जो लोग भारत आए वे पराक्रमी – मोहन भागवत
पाकिस्तान में वाए सिंधियों ने बंटवारे के बाद भारत को चुने इस विषय पर बोलते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, “जब हिंदुस्तान-पाकिस्तान की बारी आई, आप लोग पराक्रमी लोग हो आपने भारत को नहीं छोड़ा। आप भारत से भारत में आए, जब आप वहां थे तो वहां भारत था उस भारत को लौटने के बजाय आप उस भारत से इस भारत में आए। में कोई पूछेगा तो बताओ कि वह भारत था। जब दूसरा कुछ नहीं था तब पूरी दुनिया में सनातन का प्रभाव था। उस समय वहां क्या था? वही भारत था, सिंधुरा संस्कृति थी, वेदों का उच्चारण होता था, भारतीय संस्कृति के बलिदान के बचत करने वालों का जीवन चलता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत
बोलकर कुछ भी नहीं बनाया, उन्होंने बंटवारा किया – मोहन भागवत
संघ प्रमुख ने कहा, “भारत-पाकिस्तान का बंटवारा कृत्रिम है, यह तो पक्की बात है इसके लिए कोई विवाद नहीं चल सकता क्योंकि वह अपने इतिहास में है। एक व्यक्ति को सीमांकन करने के लिए लाया गया था, वह नहीं जानता था और केवल पास था 3 महीने थे। ऐसा यह विभाजन है और कृत्रिम है। उस समय योगी अरविंद ने कहा था कि इसे जाना जाएगा।
कौन भारत को छोड़कर पकिस्तान चुने गए हैं, वे आज अस्वस्थ हैं – मोहन भागवत
उन्होंने कहा कि आज हम ग्रहण पाकिस्तान कह रहे हैं उसके लोग कह रहे हैं हमसे गलती हो गई। ये गलती हो गई सब कह रहे हैं सब मानते हैं। देखिए आप जो अपनी हठधर्मिता के कारण भारत से अलग हो गए, अपनी संस्कृति से अलग हो गए। अजनबियों का नाता तोड़कर उन्हें पकड़ लिया। ऐसे जीवन में जिसने प्रवेश किया और जो भारत से अलग हो गया वह अलग हो गया उसे अभी इस क्षण तक सुख में है, वह दुख में है। उस अपनी भूमि को छोड़कर भारत के साथ रहने के लिए जो आए उन्होंने अपने जीवन को अपने पुरुषों पर से खड़ा कर दिया। आज दुखी नहीं है वहां पर दुख क्यों है क्योंकि वह कृत्रिम जीवन में जी रहे हैं।
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