
सांकेतिक तस्वीर
भारत बनाम चीन @ एलएसी: पूर्वी संकेत में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LSI) को भारत लगातार अभेद्य किला बना रहा है। पिछले तीन वर्षों में भारत ने एलएसी पर घूमने को लेकर, सैन्य ठिकानों, बंकरों, दायित्वों, एयरक्राफ्ट लैंडिंग साइट्स, हाई स्पीड नेटवर्किंग से लेकर अन्य संभावनाओं का जबरदस्त विकास किया है। साथ ही एलएसी के चप्पे-चप्पे पर आर्टिलरी गन से लेकर तोप, एयर डिफेंस सिस्टम, एंटी ड्रोन और एंटी मिसाइल सिस्टम सहित अन्य युद्ध कई तरह के हो जाते हैं। अब भारत की सीमा से लगे गांवों को हाईटेक बनाने में जुट गया है। इस प्रकार एलएसी को भारत लगातार अभेद्य किला बनाता जा रहा है। गलवान घाटी के बाद तवांग में चीनी सैनिकों का फेल हो जाना भारत की ऐसी ही पूर्व तैयारी का परिणाम माना जा रहा है।
गलवान घाटी में हिंसा के बाद तेज हुई एलएसी पर भारत की तैयारियां
जून 2020 में भारत और चीन के बीच हिंसक झड़पों के बाद ही मोदी सरकार ने चीन की सीमा को अभेद्य बनाने का काम तेजी से शुरू कर दिया था। हालांकि वर्ष 2016 से 20 के दौरान भी एलएसी पर परिदृश्य की सरकार काफी विकसित हुई थी, लेकिन चीन के मनसूबों और उनके तैयारियों को जवाब देने के लिए यह नाकाफी था। इसलिए भारत ने भी चीन को चारों ओर खाने का ध्यान रखने के लिए अपना पूरा ऊर्जा एलएसी पर झोंक दिया है। ताकि अब कभी भी दुश्मन चीन भारत की तरफ आंख उठाएं नहीं देख पाएंगे। इन चुनिंदा तैयारियों के बल पर ही 9 दिसंबर 2022 को चीन के गलवान से भी बड़े षड्यंत्र को सेना ने विफल कर दिया था।
स्टैक्टैक ढांचों से सेना को सामना करना पड़ता है
भारत सरकार ने एलएसी पर गालवान घाटी में हिंसा के बाद सड़कों पर नेटवर्क बिछाया है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक पिछले 3 सालों में भारत ने यहां 3140 किलोमीटर रोशनी का निर्माण किया है। इसमें 45 के करीब नई सड़कें भी शामिल हैं। एलएसी क्षेत्र में 22 हजार सैनिकों के लिए नए शेल्टर भी बनाए गए हैं, जहां किसी भी मौसम में सैनिक रह सकते हैं। नए शेल्टर पूरी तरह से हाईटेक और सभी तरह के सीजन को जितने के अनुकुल हैं। इसके अतिरिक्त एलएसी पर भारत ने 450 से अधिक युद्धक क्षमता के लिए बेस बनाया है। सुरंगों, बैंकरों और छुट्टियों का असीमित संख्या में निर्माण किया गया है। इसमें एंटी मिसाइल और बम निरोधक बैंक भी शामिल हैं। जहां पकड़े गए सैनिकों के मनसूबों को नाकाम किया जा सकता है। पूर्वी संकेत में शीर्ष चोटियों पर एयरक्राफ्ट लैंडिंग पैड भी बनाए गए हैं। जहां सेना मिलिट्री ऑपरेशन को अंजाम दे सकती है। इसके अलावा फ्रंटलाइन हाईवे का काम भी शुरू हो गया है। जो अरुणाचल से तिब्बत तक करीब 2000 किलोमीटर तक बिल्कुल सीमा रेखा के साथ गुजर रहा है। इससे चीन भी हैरान है। भारत के हिसाब से यह करीब 40 हजार करोड़ की वृहद परियोजना है। साल जिसे 2026 तक पूरा कर लिया गया है।
सीमा से लगे चारों ओर 4 जी सेवा
एलएसी से दस लाख तक भारत ने 4जी सेवा दी है। अब यहां 5जी नेटवर्किंग और हाईस्पीड नेटवर्क सेवा पर काम शुरू हो गया है। ऐसा होने से सेना को हमलावरों की हर हरकत पर नजर रखना और उनकी सर्विलांस करना काफी आसान हो जाएगा। प्रमाण के माध्यम से भी चीन की साजिशों का पता चलता रहेगा। भारत ने सीमा पर 150 से अधिक चौकों को और भी अधिक हाईटेक बनाने का काम शुरू कर दिया है। एलएसी पर गश्त कई गुना बढ़ गई है।
एलएसी पर होवित्जर तोप और आर्टिलरी गन फिर से
भारत ने एलएसी पर एम-777 होवित्जर तोप की फिर से शुरुआत कर दी है। यह अमेरिका मेड है। इसके अलावा कारगिल में पाकिस्तान को लेकर समझौता करने वाली बो फोर्स तोप भी भड़क गई है। आर्टिलरी गन, एयर डिफेंस सिस्टम, एंटी मिसाइल और एंटी एयरो सिस्टम से लैस हो चुकी है। सुरक्षा के लिए सुखोई जैसे विमान सीमा पर उड़ान भर रहे हैं। वहीं चीन ने भी पीसीएल-18 जैसे लड़ाकू विमानों की सीमा पर रोक लगा दी है। कई ड्रोन्स की भी चीन ने फिर से शुरुआत की है। इसके लिए भारत ने एल-70 की फिर से शुरुआत की है, जो किसी भी तरह के फाइटर जेट, अटैक हेलीकॉप्टर, ड्रोन आदि को दिन और रात दोनों जहर गिरा सकता है। साथ ही 24 घंटे उनकी निगरानी भी कर सकता है। इसमें नाइट विजन कैमरा भी है।



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