पर्यावरण जिम्मेवार तो जी20 की भारत की अध्यक्षता विकाशील देशों के लिए सजीव परिवर्तन, विशेष रूप से उसके प्रभावों से निपटारे के लिए, जेनेटिक्स मुख्यधारा में आने का अवसर है। पिछले साल सीओपी27 में ‘लॉस एंड डैमेज’ कोष बनाने के लिए दिए गए फैसले के बाद यह बेहद महत्वपूर्ण है।
कोलकाता। पर्यावरण जिम्मेवार तो जी20 की भारत की अध्यक्षता विकाशील देशों के लिए सजीव परिवर्तन, विशेष रूप से उसके प्रभावों से निपटारे के लिए, जेनेटिक्स मुख्यधारा में आने का अवसर है। पिछले साल सीओपी27 में ‘लॉस एंड डैमेज’ कोष बनाने के लिए दिए गए फैसले के बाद यह बेहद महत्वपूर्ण है। खास तौर से इसलिए भी क्योंकि भारत और इंडोनेशिया सहित तीन महत्वपूर्ण विकसित देश इस समूह का हिस्सा हैं।
दक्षिण एशिया के आठ देश काम कर रहे हैं 300 से अधिक नागरिक समाज संगठनों के गठबंधन ‘कांसा’ के निदेशक संजय वशिष्ट का कहना है, ”पहला नुकसान और क्षति (लॉस एंड डैमेज) का है और दूसरा नाम है कि ऊर्जा परिवर्तन पर साझेदारी के आधार पर जाएं।” उन्होंने कहा, ”सभी देश विकास सहयोगी टुकड़े का सामना कर रहे हैं और ऐसे में ‘लॉस एंड डैमेज’ कोष का गठन और संचालन जरूरी है। एक महत्वपूर्ण कारक संसाधनों की प्रशासन प्रणाली भी है। चूंकि जी20 देशों की भागीदारी वैश्विक स्तर पर 85 प्रतिशत है और वे ‘नुकसान और नुकसान’ कोष के प्रबंधन पर सहमति बना सकते हैं।”
भारत ने एक दिसंबर, 2022 से जी20 की अध्यक्षता संभाली है। तीन देशों में इंडोनेशिया, भारत और ब्राज़ील पहली बार ऐसा कर रहे हैं जबकि तीन विकसित और कई अन्य देश G20 के कोर समूह का हिस्सा हैं। कोलकाता प्रेस क्लब में शुक्रवार को अन्य वशिष्ट ने पीटीआई/से कहा, ”एजेंडा क्या होगा इसका फैसला वे लोग करेंगे। अगले साल जब जी20 की अध्यक्षता ब्राजील के पास होगी, तब भी भारत के तीन देशों के समूह का हिस्सा होगा। इसलिए जी20 में विकसित देशों की भागीदारी परिवर्तन से बचाव के लिए धन जमा करना और ऊर्जा परिवर्तन साझेदारी तय करना महत्वपूर्ण होगा।”
उन्होंने कहा, ”हरित ऊर्जा से जुड़ी ज्यादातर तकनीक/तकनीकी आंतरिक देशों के पास है और उन्हें आप में यह तय करना होगा कि ऊपर देशों में निवेश कैसे करें।” जी20 और विकास परिवर्तन: राष्ट्रीय और क्षेत्रीय विचार.. शीर्षक से सिविल सोसायटी संगठन ‘कांसा एंड ईएनजी एनजीओ’ ने इस कार्यक्रम की घोषणा की थी।
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