चीन की नीति हथेली और 5 अंगली वाली है। निर्दिष्ट में चीन की हथेली और 5 इंगलिया भारत के साथ दो और देशों की स्थिति ब्यां करती है। बोली हुई तिब्बतन। तिब्बत वैसे तो एक स्वयांत देश है लेकिन चीन इस पर अपना अधिकार नहीं है।
क्या कोई ऐसा देश हो सकता है जो संसद में कानून पास करके विस्तारवाद पर नामांकन की घोषणा कर दे। क्या कोई देश कानूनी स्थिति का समर्थन कर सकता है। जाहिर है, जवाब नहीं में ही होगा। कोई भी डेमोक्रेटिक देश ऐसा क्यों करेगा। लेकिन जो दुनिया में कहीं नहीं होता वो सब चीन में संभव है। माओ जब भी अपने देश में कमजोर होते थे तो पड़ोसी देशों के साथ विवाद या युद्ध की स्थिति पैदा कर देते थे। अब शी जिंपिंग भी वही करार पर चल रहे हैं। हाल ही में कोविड पालिसी के विरोध में जिनपिंग विरोधी नारों की गूंज की चीन में जांच हुई थी। इससे पहले सेना द्वारा जिनपिंग सरकार के तख्तापलट की खबरें भी सामने आई थीं। ये सब का सीधा सा मतलब है कि चीन में बीते कुछ समय से मौजूदा मौजूदा सरकार के लिए माकूल नजर नहीं आ रहे हैं। पीएलए के खिलाफ जिनपिंग के आंतरिक स्तर पर निराशा होती है। इसके अलावा जिनपिंग का एकाधिकारवादी रवैया भी उनकी नाराजगी की वजह बन रहा है। यह दुखी से ध्यान भटकाने के लिए ही शी जिनपिंग की सेना अपनी विस्तारवादी नीति के पड़ोसी देशों में घुसपैठ की कोशिश में लगी है।
चीन पड़ोसी देशों से अपनी सीमाएं साझा करता है
चीन जैसे देश का पूरी दुनिया में कोई ऐतबार नहीं कर सकता। भारत को तो उसने पढ़ाई में खंजर कई बार घोंपा ही है। लेकिन दुनिया भर में कोई ऐसा सागा नहीं जिसे चीन ने ठगा नहीं। चीन कुल मिलाकर 16 देशों से जमीनी और समुद्री सीमाएँ साझा करता है। ये 14 देश जमीन से सरहद से जुड़े हैं। चीन भारत समेत 14 देशों के साथ अपनी 22,457 किलोमीटर की जमीन की सीमा साझा करता है, जो म्यांमार और रूस के साथ सीमाओं के बाद तीसरा सबसे बड़ा है। हालांकि, इन दोनों देशों के साथ चीन का कोई संबंध नहीं है।
क्या है चीन की 5 विदेशी नीति
चीन की नीति हथेली और 5 अंगली वाली है। निर्दिष्ट में चीन की हथेली और 5 इंगलिया भारत के साथ दो और देशों की स्थिति ब्यां करती है। बोली हुई तिब्बतन। तिब्बत वैसे तो एक स्वयांत देश है लेकिन चीन इस पर अपना अधिकार नहीं है। पांच अंगुलियों में पूर्वी संकेत, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, भूटान और नेपाल को वो अपने व्यवसाय में करने की इच्छा है। चीन का दावा है कि ये सभी इलाके पहले एक जैसे थे, हालांकि हकीकत बिल्कुल जुदा है। चीन और नेपाल 1,415 किलोमीटर की सीमा साझा करते हैं, जिसे 1961 की संधि के अनुसार सीमांकित किया गया था। 1788 से 1792 तक हुए चीन-नेपाल युद्ध के बाद भी ड्रैगन नेपाल के कुछ हिस्सों का दावा करता है। आपको ये जानकर हैरानी होगी कि चीन का भारत के साथ 1949 से पहले सीमा का कोई विवाद ही नहीं था। यानी की ये विवाद जबरदस्ती बनाया गया है और चीनी शासन द्वारा रचा गया है। ऐतिहासिक रूप से देखें तो भारत के साथ चीन की कोई सीमा नहीं थी। 1949 में कम्युनिस्ट पार्टी ने सत्ता संभाली और उसके बाद से अपने विस्तारवाद की पालिसी शुरू की। फिर तिब्बतन के साथ विवाद शुरू हुआ। चीन की वामपंती सरकार को स्थापित करने वाले माओ त्से तुंग ने 5 ही अंगली वाला सिद्धांत दिया था। माओ ने तिब्बत के अलावा पूर्वी तुर्कीस्तान और दृष्टिकोण के संबंध में पहले सागर पर कब्जा कर लिया। इसके बाद उसने भारत की तरफ देखा।
कानून पास कर दी विस्तारवाद की छूट
चीन ने करीब एक साल पहले ही एक नया सीमा कानून पारित किया है जिसमें कहीं भी विस्तारवाद शब्द का उल्लेख नहीं है। लेकिन इस कानून के जरिए चीन की सेना को गारंटी की छूट दी गई है। जिससे वो अपनी सीमाओं की रक्षा के नाम पर सैन्य कानून कार्रवाई कर सकता है। ये कानून चीन की सरकार और सेना को ये अधिकार देता है कि वह स्थिर के नाम पर कार्रवाई कर सकता है। लेकिन सच्चाई यह है कि चीन खुद और विस्तारवाद की नीति पर चलता है।