
UNITED NEWS OF ASIA. सुकमा। छत्तीसगढ़ में सरकार की नक्सल विरोधी रणनीति को बड़ी सफलता मिली है। लंबे समय से नक्सली संगठन में सक्रिय वेट्टी कन्नी समेत 9 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है। इनमें 6 महिला नक्सली भी शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों पर कुल 26 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
बटालियन नंबर-1 का नक्सली भी हुआ सरेंडर
सुकमा एसपी किरण चव्हाण, एएसपी उमेश गुप्ता और सीआरपीएफ अधिकारियों के समक्ष इन नक्सलियों ने हथियार डाल दिए। आत्मसमर्पण करने वालों में बटालियन नंबर-1 के एक सदस्य समेत कई कुख्यात नक्सली शामिल हैं, जो जगरगुंडा इलाके में सक्रिय थे और कई बड़ी नक्सली घटनाओं में शामिल रहे हैं।
ऑपरेशन और कैंप खुलने से बढ़ी आत्मसमर्पण की संख्या
एसपी किरण चव्हाण ने बताया कि प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे संयुक्त ऑपरेशन और लगातार खुल रहे सुरक्षा बलों के कैंपों से नक्सली संगठन हतोत्साहित हो रहे हैं। इसी कारण नौ नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया और नक्सलवाद की खोखली विचारधारा को त्याग दिया। उन्होंने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकार की पुनर्वास योजना का लाभ दिया जाएगा, जिससे वे मुख्यधारा में लौटकर एक बेहतर जीवन जी सकें।
सरकार की आत्मसमर्पण नीति से मिल रही सफलता
बीते कुछ वर्षों में छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण नीति के तहत सैकड़ों नक्सली मुख्यधारा से जुड़े हैं। सरकार का मानना है कि नक्सली संगठनों के भीतर भी असंतोष बढ़ रहा है, और आत्मसमर्पण का सिलसिला जारी रहेगा।
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ सरकार का दबाव बढ़ा
सरकार की रणनीति के तहत कई नक्सल प्रभावित इलाकों में नए सुरक्षा कैंप खोले जा रहे हैं, जिससे नक्सलियों की गतिविधियां सीमित हो रही हैं। वहीं, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास और रोजगार के अवसर दिए जा रहे हैं, जिससे वे समाज में वापस लौट सकें।
आगे क्या?
सुरक्षा बलों का कहना है कि आने वाले समय में और भी नक्सली आत्मसमर्पण कर सकते हैं। आत्मसमर्पण करने वाले इन 9 नक्सलियों से पूछताछ जारी है, ताकि नक्सली संगठनों की वर्तमान रणनीति और उनके नेटवर्क को लेकर अहम जानकारियां हासिल की जा सकें।













