
जोशीमठ में भू-धंसाव से मंदिर में मुलाकात की।
चमोली: उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने का चिलचिलाहट है, साथ ही जमीन से लगातार पानी रिस रहा है। जोशीमठ में भू-धंसाव और मकानों में दरार की घटना के बाद अब तहसील बड़कोट के बाडिया गांव में भी दावों का माहौल फैल गया है। गांव के 35 से ज्यादा घरों और किसानों के ऐसे खेत हैं जहां मोटी-मोटी दरारें आ गई हैं और बिजली के पोल तिरछे हो गए हैं। बताया जा रहा है कि 2013 की आपदा के दौरान यमुना नदी के उफान पर आ जाने से इस गांव के नीचे कटाव होने लगा था धीरे-धीरे गांव के घरों में दरार आने लगी थी जिसके बाद यमुनोत्री धाम को जाने वाला एक मात्र राष्ट्रीय राजमार्ग भी धंसने लगा था ।
हालांकि नदी स्थल में सुरक्षा कार्य से भू-धंसाव को कुछ हद तक रोक दिया गया है लेकिन अभी भी खतरा भी बरकार है यानी जोशीमठ ही उत्तराखंड के एक बड़े इलाके में इस वक्त के अस्तित्व का खतरा मंडरा रहा है।
जोशीमठ में भू-धंसाव
आपको बता दें कि आपदा की दृष्टि से उत्तराखंड अत्यंत संवेदनशील है। यहां कभी भूकंप से तबाही मचती है, तो कभी जलप्रलय से इस बार भगवान बद्रीनाथ धाम के प्रवेशद्वार जोशीमठ से आपदा की आहट आ रही है। यहां घरों में दरारें आ गई हैं, जमीन के नीचे पानी की हलचल साफ सुनाई दे रही है। जरा सी भी बारिश हुई तो जोशीमठ में स्थिति और खराब हो जाएंगे। जोशीमठ में दरारें पड़ रही हैं, जमीन के नीचे से पानी के रास्ते फूट रहे हैं, ये तो दिवाली पता है लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है, ये बात विशेषज्ञ भी नहीं समझ पा रहे हैं।
घर के फर्श में आई दरार
हैरानी वाली बात यह है कि उत्तराखंड में हर 10 साल में भीषण आपदा का सामना करना पड़ रहा है। वर्ष 2003 में उत्तरकाशी के वरुणावत में दरारें पड़ीं। सितंबर 2003 में बिना बारिश के करीब एक माह तक जारी रहे वरुणावत से उत्तरकाशी नगर में भारी तबाही मची थी। करीब 70 करोड़ की लागत से इस पहाड़ी के उपचार के बावजूद अक्सर बरसात में इस पहाड़ी से शहर के इलाकों में पत्थर गिरने की घटनाएं हो रही हैं। साल 2013 में केदारनाथ में जलप्रलय आया, जिसमें 5 हजार से ज्यादा लोगों की जान चली गई।
जोशीमठ में घरों में आई दरारों को लेकर स्थानीय लोग चिंतित हैं।
अब साल 2023 में जोशीमठ में जो हो रहा है, वो सबके सामने है। ज़मीन के धंसने से समुचा जोशीमठ धंस रहा है। सैकड़ों भवन लाइव नहीं बचे हैं। कई जगह जमीन पर भी चौड़ी दरारें उभरने लगी हैं। पिछले साल उत्तराखंड सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग ने भी जोशीमठ पर मंडराते डैमेज की ओर सरकार का ध्यान खींचा था। इन तमाम चेतावनियों के बाद जोशीमठ को बचाने का प्रयास नहीं हुआ, बल्कि वहां भारी भरकम इमारतों का जंगल उगता चला गया। अब 20 से 25 हजार की आबादी वाला ये शहर अनियंत्रित विकास का अनुयायी है, शहर का अस्तित्व संकट का सामना कर रहा है।



- लेटेस्ट न्यूज़ पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- विडियो ख़बरें देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
- डार्क सीक्रेट्स की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- UNA विश्लेषण की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें