
मुंबई में एक कार्यक्रम को संदेश देते हुए संघ प्रमुख भागवत ने यह भी कहा कि सत्य ही ईश्वर है। उन्होंने कहा कि जाति की श्रेष्ठता की कल्पना में ऊंच-नीच में अटके हुए हम गए हैं और इस भ्रम को दूर कर ही हम आगे बढ़ सकते हैं।
आजकल एक अजीब सा मामला पड़ गया है कि समाज में जाति और धर्म के बारे में भ्रम और भय का माहौल बना दिया गया है। इसके लिए प्रमुख लोगों के कुछ अलग-अलग असाधारण निकाल कर उसे प्रस्तुत किया जाता है। आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत ने मुंबई में एक कार्यक्रम में मराठी में जो दिया उससे निश्चित रूप से यह खुलासा किया कि वे समाज में जाति व्यवस्था बनाने के लिए पंडितों को जिम्मेदार ठहराते हैं। जबकि ‘पंडित’ शब्द से उनका आशय ‘विद्वानों’ से था। इस नकारात्मक चलन को समाज के प्रमुख लोगों को भी अपने बुजुर्गों को देखते हुए और सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
दूसरी ओर, चुनावों को करीब से देखते हुए बेरोजगारी के मुद्दों को लेकर जोर से उठा रहे हैं तो वहीं आय से जुड़े मुद्दे भी बहुत ज्यादा उठा रहे हैं। सरकार का कहना है कि रोजगार के अवसरों में तेजी से वृद्धिये जा रहे हैं तो जातिगत मुद्दों पर सत्तारुढ़ दल से जुड़े लोग का कहना है कि जो लोग ऐसी बातें कर रहे हैं वह हिंदू समाज को बांटना चाहते हैं। इसी सब विवाद के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बड़े बयान आए हैं। मुंबई में एक कार्यक्रम को संदेश देते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि श्रम के प्रति सम्मान की भावना की कमी देश में बेरोजगारी का मुख्य कारण से एक है। साथ ही संघ प्रमुख भागवत ने लोगों से सभी तरह के काम का सम्मान करने और नौकरियों के पीछे भागना बंद करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि किसी भी काम को छोटा या बड़ा नहीं कहा जा सकता।
मुंबई में एक कार्यक्रम को संदेश देते हुए संघ प्रमुख भागवत ने यह भी कहा कि सत्य ही ईश्वर है। उन्होंने कहा कि जाति की श्रेष्ठता की कल्पना में ऊंच-नीच में अटके हुए हम गए हैं और इस भ्रम को दूर कर ही हम आगे बढ़ सकते हैं। मोहन भागवत ने कहा कि समाज के बंटवारे का फायदा दूसरे लोग हमेशा उठाते हैं इसलिए हमारे देश पर आक्रमण भी हो रहा है। उन्होंने कहा कि समाज टूट रहा है इसी वजह से बाहर देश से आए लोगों ने हमारे देश पर राज किया। मोहन भागवत ने कहा कि जब हर काम समाज के लिए है तो कोई ऊंचा, कोई नीचा या कोई अलग कैसे हो सकता है? संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भगवान हमेशा कहते हैं कि मेरे लिए सभी एक हैं। उनमें से कोई जाति, वर्ण नहीं है लेकिन पंडितों ने जो वर्गीकरण किया था वह गलत था।
संघ प्रमुख ने कहा, ”इस्लामी आक्रमण से पूर्व अन्य साथियों ने हमारी जीवनशैली, हमारी परंपराओं एवं पर्यावरण प्रक्रिया को प्रभावित नहीं किया। लेकिन मुस्लिम हमलावरों का एक तर्क था: पहले, उन्होंने अपनी सेना के दम पर परास्त किया और फिर उन्होंने हमें मनोवैज्ञानिक दृष्टि से झुकाया।” इसके अलावा संघ के प्रमुखों ने कहा कि समाज में विशालता के संतों और डॉ। बाबासाहेब आंबेडकर जैसे जानेमान लोगों ने विरोध किया। आरएसएस प्रमुख ने कहा, ”अस्पृष्यता से परेशान, डॉ. आंबेडकर ने हिंदू धर्म छोड़ दिया, लेकिन उन्होंने किसी अन्य धर्म को अपनाया नहीं और गौतम बुद्ध द्वारा दर्शाए गए मार्ग को चुना। उनकी शिक्षाएं भारत की सोच में भी बहुत गहराई तक समाई हुई हैं।”
मोहन भागवत ने मराठी में दिए गए अपने रिश्तेदारों से कहा कि लोग चाहे किसी भी तरह का काम करें, उनका सम्मान किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि काम के लिए चाहे शारीरिक श्रम की आवश्यकता हो या बुद्धि की, चाहे इसके लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता हो या ‘सॉफ्ट’ कौशल की- सभी का सम्मान किया जाना चाहिए।” उन्होंने कहा, ”हर कोई नौकरी के पीछे भागता है। सरकारी नौकरी केवल करीब 10 प्रतिशत होती है, जबकि अन्य नौकरी लगभग 20 प्रतिशत होती है। दुनिया का कोई भी समाज 30 प्रतिशत से अधिक काम नहीं कर सकता।” उन्होंने कहा कि जिस काम में शारीरिक श्रम की जरूरत है, उसे अब सम्मान की दृष्टि से नहीं देखा जाता।
भागवत ने कहा कि जब कोई जीविकोपार्जन करता है तो समाज के प्रति उसकी जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने कहा कि जब हर काम समाज के लिए हो रहा है तो वह छोटा या बड़ा या एक दूसरे से अलग कैसे हो सकता है। उन्होंने कहा कि ईश्वर की दृष्टि में हर कोई समान है और उसके सामने कोई जाति या सम्प्रदाय नहीं है। संघ प्रमुख ने यह भी कहा कि विश्व में स्थिति देश के ‘विश्वगुरु’ बनने के योग्य है।
उदर, मोहन भागवत के बयानों पर राजनीतिक बवाल भी शुरू हो गया है। भाजपा (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद संजय राउत ने कहा कि मोहन भागवत द्वारा कही गई बातें समाज में एकता रखने के लिए बेहद जरूरी हैं, लेकिन यह भी देखना चाहिए कि समाज को तोड़ने का काम कौन कर रहा है? संजय राउत ने कहा कि यह काम आपके लोग ही कर रहे हैं इसलिए यह बात आप पहले उन्हें समझाइए जो सत्ता में बैठे हुए हैं। वहीं निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के उन जजों पर तंज कसा है जिसके लिए उन्होंने लोगों से नौकरी के पीछे नहीं जाने का आग्रह किया था। सिब्बल ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर साल दो करोड़ रुपये देने का क्या हुआ।
बहरहाल, मोहन भागवत जी की ओर से ‘पंडित’ शब्द का उल्लेख करते हैं और उस पर विवाद खड़ा होने के बाद संघ के वरिष्ठ नेता सुनील आंबेकर ने स्पष्ट कर दिया है कि वे (मोहन भागवत) संत रविदास जयंती कार्यक्रम में थे। उन्होंने ‘पंडित’ का उल्लेख किया है जिसका अर्थ है ‘विद्वान’… कुछ पंडित शास्त्रों के आधार पर जाति-आधारित विभाजन की बात करते हैं, यह झूठ है, यह उनके विशिष्ट बयान हैं। इस स्पष्टीकरण के बाद अब इस मुद्दे पर विवाद को खत्म कर सामाजिक समरसता बनाए रखें।
-गौतम मोरारका
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