जोशीमठ में आई आपदा के लिए एनटीपीसी के जिस टनल को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, इंडिया टीवी ने उसे तहकीकात की है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि अब भी सुरंग के अंदर विस्फोट किए जा रहे हैं। लेकिन एनटीपीसी के अधिकारियों का अलग ही तर्क है। क्या सुरंग के अंदर भी दरारें हैं? टनल में विस्फोट के झूठ में कितनी सच्चाई है? ये जानने के लिए इंडिया टीवी के रिपोर्टर अभय पराशर जोशीमठ के सालन गांव में एनटीपीसी टनल पहुंचे।
टीबीएम मशीन को निकालने के लिए हो रहे हैं विस्फोट?
जोशीमठ में धंसने को लेकर एक थ्योरी चल रही है कि एनटीपीसी की टनल की वजह से शहर में दरारें आ गई हैं। सुरंग के अंदर धमाकों की वजह से जमीन धंस रही है। आरोप है कि टनल के अंदर फंसी टीबीएस मशीन को निकालने के लिए विस्फोट हो रहा है और सुरंग के अंदर पानी भर गया है। इसकी वजह क्या है, टनल के अंदर जैसी स्थिति है, ये जानने के लिए इंडिया टीवी के सीनियर प्रोजेक्ट अभय पराशर एनटीपीसी की टनल के अंदर गए और अनदेखे सच सामने लेकर आए।
टनल को लेकर NTPC ने क्या सफाई दी?
इंडिया टीवी की टीम जोशीमठ से करीब 3 किलोमीटर पहले शेलंग गांव में एनटीपीसी की टनल में पहुंची। इस टनल पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल तो कई सालों से उठ रहे थे लेकिन जब गहरी दरारें पड़ीं तो सीधी उंगली इस टनल पर उठी। सवालों के बीच एनटीपीसी ने भी अपनी तरफ से सफाई दी है। इस सफाई के लिए विशेषज्ञ की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है। ये रिपोर्ट IIT रुड़की के साथ-साथ उत्तराखंड आपदा जंग प्राधिकरण ने तैयार की है।
- एनटीपीसी के अधिकारियों ने रिकॉर्ड की अपनी सफाई में कहा-
- 5 जनवरी को सरकार के आदेश के बाद टनल का कोई काम नहीं हो रहा है।
- 7 फरवरी को आई आपदा का पानी में नहीं फंसा।
- जोशीमठ के आखिरी घर से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर टनल का काम हो रहा है।
- जोशीमठ की आपदा का टनल के काम से कोई लेना नहीं है।
- जोशीमठ जिस पहाड़ पर बना है वो बड़ी टाउनशिप के लिए फिट नहीं।
टनल का कितना बचत कार्य और क्या है योजना
रिपोर्ट के अनुसार 12 किलोमीटर लंबा इस टनल का केवल चार किलोमीटर का काम बचा हुआ है, जिसमें दो किलोमीटर जोशीमठ की तरफ जबकि 2 किलोमीटर का अंशोवन की तरफ से बचा है। एनटीपीसी ने टनल के अंदर विस्फोट की बात से भी साफ इनकार किया है। जोशीमठ की पहाड़ी से दो नदी टकराई हैं, अलकंदा और धौलीगंगा। इन दोनों नदियों के पानी से सूक्ष्म का कटाव होता है। एनटीपीसी का दावा है कि इस नदी को 8 किलोमीटर टनल में निकालकर फिर आगे छोड़ दिया जाएगा, जिससे जोशीमठ की पहाड़ी में पानी कटान नहीं होगा। साथ ही टनल से बिजली का उत्पादन भी बढ़ता है। अभी बाकी हिस्सों पर भी जांच जारी है और टनल का काम रुक गया है। वैज्ञानिक अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं कि जोशीमठ की आपदा में इस सुरंग की भयावहता दिखती है।