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पारसनाथ पहाड़ी के मामले में खींचे गए संगठन ने रेल ट्रैक किया जाम, भर भर ट्रेन रद्द। झारखंड आदिवासी संगठन ने रेल ट्रैक जाम किया पारसनाथ पहाड़ी मामले में दर्जनों ट्रेनें रद्द कर दी गईं

पारसनाथ पहाड़ी मामले में झारखंड आदिवासी संगठन ने रेल ट्रैक जाम किया- इंडिया टीवी हिंदी

छवि स्रोत: पीटीआई
सांकेतिक तस्वीर

झारखंड की पारसनाथ पहाड़ी (मरांग बुरु) का अधिकार आदिवासियों को देने के 5 जेपी को लेकर आदिवासी सेंगल अभियान नामतः झारखंड में कई जगह रेलवे ट्रैक्स को जाम कर दिया। बता दें कि इस आंदोलन के कारण यहां कई ट्रेनों की टाइमिंग खराब हो रही थी। एक जटिल से अधिक ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं। वहीं सैकड़ों से अधिक ट्रेन के रूट डायवर्ट कर दिए गए हैं। झारखंड में इस आंदोलन का सबसे अधिक असर चक्रधरपुर रेल मंडल में पड़ा है।

कई ट्रेन रद्द

खिंचाव सेंगल अभियान के नेताओं का दावा है कि इस आंदोलन को एक साथ 5 राज्यों में चलाया जा रहा है। अभियान के कोड ने चक्रधरपुर रेल मंडल के चांडिल, डेरोवा, खेमासूली, कांटाडीह व बहलदा स्टेशन के पास कई स्थानों पर रेलवे के दर्शनीय स्थलों को अवरुद्ध कर दिया है। इसके कारण हावड़ा मुंबई का मुख्य मार्ग लगभग तीन घंटे तक ट्रेन का संचालन पूरी तरह ठप हो गया। खड़गपुर-टाटा, खड़गपुर-हावड़ा, बोर्ड-दानापुर, बोर्ड-आसनसोल, चक्रधरपुर-गोमो सहित कई अन्य चरणों पर चलने वाली एक संख्या से अधिक ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। स्टेटनगर से रांची के बीच पैसेंजर ट्रेन और हावड़ा इंटरसिटी ट्रेन बदले हुए रूट से चलाई गई।

रेलवे ट्रैक जाम

दानापुर जाने वाले यात्रियों को बिलासपुर साप्ताहिक ट्रेन से भेजा गया। हावड़ा फौरंटो और पहले एक्सप्रेस के यात्रियों को भरी इतवारी एक्सप्रेस से भेजा गया था ताकि राउरकेला में लोग दुरंतो एक्सप्रेस पर सवार हो सकें। ट्रेन रद्द होने और रूट एक्सचेंज जाने की सूचना पर यात्रियों ने कई बच्चों पर रोक लगा दी है। सुरक्षा बल और लोक पुलिस ने आंदोलनकारियों को समझाकर रेलवे लाइन से रद्द कर दिया। रेलवे ट्रैक जाम होने की सूचना के बाद यात्रियों की सहायता के लिए यात्रियों को हेल्प डेस्क खोला गया था ताकि यात्रियों को ट्रेन परिचालन की पूरी जानकारी मिल सके। रेल चक्का जाम के कारण रेलवे को काफी नुकसान हुआ है।

आदिवासी सेंगेल अभियान कोल्हान प्रतिमंडल की अध्यक्ष प्रेमशीला मुर्मू ने कहा कि भारत के प्रकृति पूजक विभिन्न सरना धर्म कोड की मांग को लेकर आंदोलित हैं। इसके अलावा पारसनाथ पर्वत पर मरांगबुरू को जैनियों ने अपने व्यवसाय में रखा है। सरकार मरांगबुरु (आदिवासियों के देवता) को अविलंब जैनियों से मुक्त कराएंगे, अन्यथा आदिवासी बाबरी मस्जिद के कहे पर जैन मंदिर को जाहें करने की कार्रवाई करेंगे।

केंद्र-राज्य सरकार तक पहुंच जाएगी मांग

उद्र, गिरिडीह के पारसनाथ रेलवे स्टेशन पर भी आदिवासी आंदोलनकारियों ने कुछ देर के लिए चक्का जाम कर दिया। उल्लेखनीय सदस्य काहुजूम रेलवे ट्रैक पर ही बैठ गए। स्टेटयो शूटो कुमार, 9शाद आलम सहित सीआरपीएफ के अधिकारियों ने आंदोलनकारियों से बातचीत की और कहा कि उनकी जो मांगें हैं, उन्हें केंद्र और राज्य सरकार को मिलेगा। जिस वक्त आंदोलनकारी नेता और आश्रित का हुजूम पारसनाथ स्टेशन में रेलवे ट्रैक जाम करने के लिए पहुंचे, उसी वक्त कई एक्सप्रेस, सुपरफास्ट और यात्री ट्रेन के स्टेशन से छुट्टी का समय था।

इसकी जानकारी होते ही डुमरी पुलिस और जीआरपी अधिकारियों के होश उड़ गए। इस दौरान आंदोलनकारियों को समझाते हुए किसी तरह से पूरे ट्रैक का ऑनलाइन लेखा-जोखा किया गया। आंदोलन का नेतृत्व कर रहे आदिवासी नेता आनंद टूटू ने कहा कि देश के 5 राज्यों में आदिवासी समुदाय ने लगातार ट्रेन और सड़क यातायात रोके रखा है।

(इनपुट-सफल)

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