UNITED NEWS OF ASIA. असीम पाल , दंतेवाड़ा। जिले के भाँसी कमलूर के बिच रेल लाइन मरमत का कार्य चल रहा है जिसको रेलवे विभाग के उप अभियंता आदित्य नारायण सींग के देख रेख मे जोर सोर से 13 वर्षा 15,16 वर्षा के बच्चों से बिना किसी सुरक्षा उपकरण जैसे पैर मे सेफ्टी जूता हाथो मे दस्तान के कराया जा रहा है.
इस कार्य मे लगभग 23 मजदूर कार्य कर रहे है जिसमे 7 बच्चे नाबालिक है जिनकी उम्र 18 वर्षा से कम है .
इस मरम्मत कार्य की निविदा विशाखापत्तनम के सन्यासी राव का है जो बाल श्रमिक से लगभग 2 महीने से गीदम से ले कर बचेली तक का कार्य करा रहा था.
ये बाल मजदूर उड़ीसा जयपुर से आये है
इन मजदूरों की ठेकेदार के द्वारा पुलिस थाना भाँसी मे ना ही कोई जानकारी दी गयी है ना ही भाँसी थाना को इन बाहर राज्य से आये मजदूरों की कोई जानकारी है की ये है कौन .
जब इन बाल मजदूरों की जानकारी हमें मिली तो हम मौक़े पर जाच पड़ताल के लिऐ निकल पड़े कार्य स्थल पर 7 बाल मजदूर से उप अभियंता के द्वारा कार्य कराया जा रहा था.
हमारे द्वारा बाल मजदूर की जानकारी मांगे जाने पर उप अभियंता आदित्य नारायण सींग के द्वारा हमें ही आर पी एफ को बुला कर जेल मे डालने की धमकी देने लगे.
उसके बाद भाँसी थाना प्रभारी सखा राम मंडावी मे कार्य स्थल पर जा कर देखा और बाल मजदूरों की जानकारी आदित्य नारायण सींग से ली तो आदित्य नारायण के द्वारा थाना प्रभारी से भी जानकारी देने से मना कर दिया.
उसके बाद थाना प्रभारी और उप निरीक्षक निर्मलकर ने बाल मजदूरों को थाना ला कर नाम पता और उम्र पूछ कर छोड़ दिया लेकिन उप अभियंता और ठेकेदार पर किसी भी तरह की कोई कारवाही नहीं करने के कारण लग रहा है की इस बाल मजदूर मे कही ना कही पुलिस थाना भाँसी का पूरा सहयोग प्राप्त होने के कारण इस छेत्र मे जितनी ठेकेदार है सभी बाल मजदूरी करा रहे है.
दंतेवाड़ा जिले के भाँसी थाना छेत्र मे लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन और एस चिन्ना रेड्डी कंस्ट्रक्शन जो रेलवे दोहरीकरण का कार्य कर रही है.
एस चिन्ना रड्डी जो रेलवे स्टेशन मे बिल्डिंग निर्माण का कार्य कर रही है उसमे लगभग 7 बाल श्रमिक कार्य कर रहे है इन बाल श्रमिकों से सरिया कटिंग सीमेंट रेत और बिल्डिंग निर्माण का कार्य कराया जा रहा है.
इस कार्य मे लगे बालको ने जानकारी दी की इनको 300 से 350 रु की दर से भुगतान किया जाता है जो की केंद्र की श्रम विभाग की दर से बहुत कम है.
केंद्र श्रम विभाग का दर अकुशल मजदूर का 526 र देय होने की जगह मात्र 300रु या 350 रु और कुशल मजदूरों की देय 729 रु होना है.
वही इन कंपनी के द्वारा अकुशल मजदूरों की 300 रु या 350. रु और कुशल मजदूरों को 650 रु दिया जा रहा है.
इन बलमजदूरों की माने तो जोखिम भरा काम बिना किसी सुरक्षा उपकरण के कराया जा रहा है ना ही हाथ मे दस्तान है ना पैर के लिऐ जूते ठेकेदार के द्वारा किसी भी सुरक्षा मानको का ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
वही भाँसी मे ही रेलवे के दोहरी करण का कार्य कर रही लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन ने तो हद ही पार कर दी आप को बाता दे की इस कंपनी मे जब हम गये तो पाया की एक बाल मजदूर जिसका नाम दुराय हसदा जन्म 10.03.2011 मात्र 13 वर्षा का है तो वही दूसरा मजदूर झारखण्ड का है इन बाल मजदूरों से कंपनी की गाड़ियों मे डीजल डालने डीजल ड्रम उठाने और गोदाम से ड्रामो को अंदर बाहर करने और रसोई मे खाना बनाने के कार्य कराया जाता है.
आप को ये जान कर हैरानी होंगी की इन बाल श्रमिकों को मासिक वेतन मात्र 4000 से 5000 दिया जा रहा है अब आप समझ सकते है की बाल मजदूर सोसण किस हद तक किया जा रहा है.
और आगे बता दे की लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन मे झारखण्ड बिहार बंगाल के और भी अकुशल मजदूर है उनको 500 रु और स्थानीय दंतेवाड़ा जिले के अकुशल मजदूरों को मात्र 350 रु दिया जा रहा है काम एक ही पर बाहर से लाये गये मजदूरों मे और स्थानीय मजदूरों मे 150 रु से 170 रु का अंतर और लक्ष्मी कंस्ट्रक्शन मे कुशल मजदूरों को 15000 से 18000 रु मासिक मजदूरी वेतन भुगतान है.
हम बताबा चाहेँगे की जिले के स्थानीय ग्रामीणों को काम नहीं मिलने के कारण दीगर राज्य तेलंगाना आंध्र प्रदेश की तरफ जाना पड़ता है वही मजदूर पलायन के लिऐ सरकार तरह तरह के हथकंडे अपना रही है.
परन्तु नाकाम है सब से बड़ी बात आप को जानकारी देना चाहेंगे कि जो मजदूर उड़ीसा बिहार झारखण्ड बंगाल से आये है लगभग 120 के आसपास है पर स्थानीय थाना भाँसी मे मात्र 26 लोगो का मुसाफिरी दर्ज है बाकि मजदूरों की कोई जानकारी कंपनी ने देने की जरूरत नहीं समझी.
इस मामले मे देखे तो पुलिस थाना की भी बड़ी लापरवाही देखने को मिल रही है थाना से महज 500 मीटर दूर इन मजदूरों को रहने के लिऐ जगह है और सब से बड़ी चौकाने वाली बात की थाना परिषर के आस पास और अंदर कंपनी की छोटी बड़ी वाहनों को रात्रि मे सुरक्षा की दृष्टि से खड़ा किया जाता है*
नक्सली छेत्र होने के कारण वाहनों मे आगजनी की सम्भावना बानी रहती है लिहाजा वाहनों को रात्रि मे थाना के आसपास लगभग 32 वाहन खड़े होती है एक नजर मे देखे तो जब कंपनी के पास 32 वाहन है तो इनके चालक ही 32 हो गये फिर थाना मे सिर्फ 25 से 26 लोगो की ही मुसाफिर दर्ज कैसे है बाकि मजदूर की कोई जानकारी थाने मे क्यों नहीं और आये दिनों छेत्र मे आपराधिक घटनाये बढ़ रही है क्या इनमे ये बाहरी मजदूर जिनकी कोई जानकारी जिले मे किसी को नहीं क्या ये नहीं हो सकते इसमें स्थानीय पुलिस प्रशासन का आंख कान दोनों बंद क्यों किये हुऐ है भविष्य मे कोई बड़ी घटना होंगी तो इसके लिऐ किसको जिम्मेदार। किसको ठहराया जाएगा.