
राकांपा सुप्रीमो शरद शरद।
मुंबई: एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने अडानी मामले में कांग्रेस से अलग होकर बिजनसमैन गौतम अडानी का समर्थन किया है। कांग्रेस से अलग भूमिका कांग्रेस और एनसीपी के संबंधों में खटास हो सकती है। वहीं, अडानी के समर्थन वाले शरद शरद के बयानों के बाद उनकी कंपकंपी अजीत छाप आज से आधी रात के बाद एक घटना के बाद ‘नॉट रिचेबल’ हो गए जिससे फैल गए और तेज हो गए। पवार ने प्राइवेट चैनल को दिए एक इंटरव्यू में कांग्रेस के बिल्कुल विपरीत स्टैंड लिया।
शाकाहारी ने कांग्रेस से अलग रुख अपनाया
एक तरफ जहां कांग्रेस के शीर्ष नेता दिल्ली में बैठ कर 2024 के चुनाव के लिए विपक्षी पार्टियों की एकता की चर्चा और पहल कर रहे थे, तो दूसरी तरफ शरद शरद मुंबई में एक निजी चैनल को इंटरव्यू दे रहे थे और अपने सहयोगी कांग्रेस से उलट भूमिका ले रहे थे। अडानी ग्रुप पर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के बाद कांग्रेस एक ओर केंद्र पर हमलावर है, जबकि उसके सहयोगी एनसीपी की राय इस मामले में अलग है। एनसीपी प्रमुख शरद ने गौतम अडानी का समर्थन करते हुए कहा कि एक औद्योगिक समूह को दिया गया था।
पवार ने कहा- जेपीसी की मांग है
पवार ने यह भी कहा कि इस मामले में संयुक्त पंचायत समिति (जेपीसी) की जांच की मांग है। उन्होंने एक टीवी न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को जरूरत से ज्यादा तूल दिया गया और इस मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की कमिटी से ही बनाई जानी चाहिए। शरद पवार के बयान के बाद बीजेपी नेता और सदस्य एकनाथ शिंदे का कहना है कि जो लोग अडानी मामले में मोदी सरकार का विरोध कर रहे हैं उन्हें शर्मी से कुछ सीख लेनी चाहिए।
एनसीपी नेता अजित पवार।
‘नॉट रीचेबल’ हुए अजीत पवार
दोपहर को शरद का बयान आया और शाम होते-होते अजीत शरद ‘नॉट रिचेबल’ हो गए। इस बात की चर्चा हो रही है कि अजीत पवार का ‘नॉट रिचेबल’ होना क्या यूपीए पर दबाव बनाने की रणनीति है जैसे 2019 के दौरान सरकार ने समय लिया था। तब वर्ली में हुई गलती में कांग्रेस नेता काफी माथापच्ची कर रहे थे जिसके बाद अगले दिन अजीत ने देवेंद्र फडणवीस के साथ सुबह शपथ लेकर झटका दे दिया। बाद में ‘बागी’ अजीत पवार NCP में वापस लौट आएं और बाद में शरद ऋतु ने इसे राष्ट्रपति शासन हटा दें और MVA की सरकार बनाने की रणनीति बताई गई।
‘अजीत निजी काम से गए होंगे’
इस बात की चर्चा चल रही है कि अब क्या अब शरद पवार के अडानी का समर्थन करके और कांग्रेस के विपरीत भूमिका लेकर एक बार फिर कांग्रेस पर दबाव बनाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। हालांकि एनसीपी नेताओ का कहना है कि अजीत भागीदार किसी निजी काम से कहीं भी गए होंगे और कल से उनके कार्यक्रमों में उपस्थित होंगे। इसके पहले भी राकांपा जब नागालैंड में निफ्यू रियो सरकार में शामिल हुई थी तब भी शरद पवार की भूमिका पर सवाल उठे थे क्योंकि वहां भाजपा भी सरकार का अहम हिस्सा है।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया बाकी है
हालांकि नागालैंड की घटना पर पार्टी के नेताओं का कहना था कि पार्टी का राष्ट्रीय स्तर बना हुआ है और भाजपा से दावेदार बने रहने के लिए उन्हें उग्र रियो की सरकार का समर्थन करना पड़ा। अब एनसीपी और उनकी पार्टी की अडानी मामले में ली गई कांग्रेस से कांग्रेस कैसे प्रतिक्रिया देती है, ये देखने वाली बात होगी।
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