फिल्मों के शौकीन हैं, और वो भी पुराने दौर की, तो आप फिल्मों में अक्सर वैंप के किरदार में कभी सासू मां, तो कभी ननद बनकर घर में बेताब करने वाली एक एक्ट्रेस की याद आएगी, जिनको लोग आज भी ‘मोना डार्लिंग’ के नाम से जानते हैं। विलेन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर फिल्मों में चलने वाली एक्ट्रेस बिंदू ने फिल्मों में कई रोल किए, लेकिन रियल लाइफ में मां न बन पाने का गम उन्हें ऐसा मिला, जो जिंदगी को हमेशा कचौता रहा। मां बनने का सपना हर महिला का होता है, लेकिन ये सुख बिंदु को नसीब नहीं हो सका।
गुजरात में एक रूढ़िवादी परिवार में बिंदू नानूभाई देसाई के रूप में जन्मीं, बिंदू अपने 8 भाई-बहनों में सबसे बड़ी थीं। उनके पिता, नानूभाई देसाई, एक फिल्म निर्माता थे, और उनकी माँ, ज्योत्सना एक प्रसिद्ध थिएटर अभिनेत्री थीं। पॉइंट ने अपने करियर की शुरुआत 1962 की फिल्म ‘अनपढ़’ से की थी, जिसके बाद उन्होंने ‘इत्तेफाक’ और ‘दो रास्ते’ में काम किया। उनके करिश्मे और आकर्षण से एक्ट्रेस ग्लैम वर्ल्ड की क्वीन बन गईं।
पड़ोसी से बाली उम्र में प्यार हो गया
बिंदू को 15 साल की उम्र में अपने पड़ोसी चंपक लाल जावेरी से प्यार हो गया था। दोनों की शादी तब हुई थी, जब बिंदू सिर्फ 18 साल की थीं। दोनों की उम्र में 5 साल का अंतर था। शादी के लिए परिवार के विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन उन्हें शादी करने से कोई नहीं रोक सका। बिंदू ने एक इंटरव्यू में बताया था कि मां को स्टेज परफॉर्म करते देख उनके मन में एक्ट्रेस बनने का ख्याल आने लगा था। लेकिन उनके पिता नानूभाई देसाई उन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे।
गोदभराई का गर्भपात होने से एक दिन पहले ठीक हो गया
1977 से 1980 के बीच का दौर बिंदू के लिए दुख भरा रहा। उन्होंने खुद इस बात का जिक्र किया था और बताया था, ‘शादी के बाद मैंने बेबी प्लान किया और मैं प्रेग्नेंट भी हुई। प्रेग्नेंसी के तीन महीने बाद मैंने काम करना बंद कर दिया। लेकिन सातवें महीने में मेरा मिसकैरेज हो गया। वो भी गोदभराई से ठीक एक दिन पहले। इस घटना से मैं पूरी तरह से टूट गया। लेकिन ये मुद्दर की बात है। हर इंसान को हर चीज नहीं मिलती। मेरे पति भी बहुत निराश हुए, लेकिन उन्होंने मेरा पूरा ख्याल रखा। इस घटना के 5 महीने बाद मैंने दोबारा काम करना शुरू कर दिया’.
विज्ञापन किए हुए बच्चे की याद आती है
उन्होंने ना होने का दुख जताते हुए कहा, ‘मेरे पति को कभी-कभी हमारे बच्चे की याद आती है, अगर वो जिंदा होता है तो काफी बड़ा हो जाता है। अब सच ये है कि मेरे पति ही मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं। उनके बग मैं कुछ भी नहीं।’
पिता के निधन के बाद फैमिली सपोर्ट के लिए शुरू किया गया था बूस्टर
बिंदू हमेशा ग्लैमर की दुनिया से आकर्षित हुई थी और एक कलाकार बनना चाहते थे। हालांकि, उसके पिता इसके खिलाफ थे। बिंदू ने बताया था कि जब उनके पिता बीमार पड़े तो परिवार की जिम्मेदारी उन पर आ गई। तब उनके वानर कहते थे- ‘तुम मेरा बेटा हो’। पिता के निधन के बाद वह परिवार का समर्थन करने के लिए प्रयासरत थे। उन्होंने कहा था कि शारीरिक बनावट के कारण मैं 11 साल की उम्र में 16 साल की हूं। जब तक मोहन कुमार की फिल्म ‘अनपढ़’ उन्हें नहीं मिली थी, तब तक उन्होंने कुछ डॉक्युमेंट्री में काम कर लिया था।
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पहले प्रकाशित : 30 मार्च, 2023, 13:40 IST