नई दिल्ली। वर्ष 2011 से भारत की छोड़ें विदेशी बसने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा दर्ज की गई सूचनाओं के अनुसार पिछले 11 वर्षों में करीब 16 लाख लोग भारत की स्थिति को प्राप्त कर दूसरे देशों में बस गए हैं। साल 2022 में यानी पिछले साल देश में रहने वालों की संख्या सबसे ज्यादा 2 लाख 26 हजार 620 रही। हालांकि उन्होंने यह नहीं बताया कि जिन लोगों ने देश की मंजूरी दी है, उसकी वजह क्या है?
सरकार द्वारा ज्यूपिटरवार को सर्वेक्षण में उपलब्ध दृष्टिकोण के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2011 से 16 लाख से अधिक भारतीयों ने अपना भारतीय अनुमान छोड़ दिया है। इनमें से 2,25,620 भारतीय ऐसे हैं जिन्होंने पिछले साल भारतीय रिकॉर्ड छोड़ दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 2015 में भारतीय अटैचमेंट वाले भारतीयों की संख्या 1,31,489 थी। जबकि 2016 में 1,41,603 लोगों ने रोकना छोड़ा और 2017 में 1,33,049 लोगों ने रुकना छोड़ा। उनके मुताबिक 2018 में यह संख्या 1,34,561 थी, जबकि 2019 में 1,44,017, 2020 में 85,256 और 2021 में 1,63,370 भारतीयों ने अपनी जॉब छोड़ दी थी। मंत्री के अनुसार, 2022 में यह संख्या 2,25,620 थी।
135 देशों में बस गए 16 लाख लोग
जयशंकर ने कहा कि संदर्भ के लिए 2011 के आंकड़े 1,22,819 थे, जबकि 2012 में यह 1,20,923, 2013 में 1,31,405 और 2014 में 1,29,328 थे। साल 2011 के बाद से भारतीयों की कुल संख्या 16,63,440 है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान पांच भारतीय नागरिकों को संयुक्त अरब अमीरात की सूचना प्राप्त हुई है। बाकी लोगों ने अन्य देशों की मंजूरी हासिल की है। जयशंकर ने बताया कि देश की वैधानिकता करने वाले लोग करीब 135 देशों में जाकर बसे हैं। वे इन सभी देशों की सूची को भी उपलब्ध कराते हैं, और वर्तमान में अधिकारियों ने हासिल किया है।
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