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पाकिस्तान के अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान ने खुद के मौजूदा पीएम शहबाज शरीफ के ‘भीख का कटोरा’ लेकर घूमने की पुष्टि कर दी है। उन्होंने रविवार को कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ भीख का कटोरा लेकर दुनिया भर के विभिन्न देश यात्रा कर रहे हैं, लेकिन उनमें से कोई भी उन्हें एक पैसा नहीं दे रहा है। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के अध्यक्ष खान ने एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘देखिए, इस तेज सरकार ने पाकिस्तान के साथ क्या किया है।’
इमरान खान ने प्रधानमंत्री की हाल की विदेश यात्रा पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘शहबाज शरीफ भी का कटोरा लेकर विभिन्न देशों की यात्रा कर रहे हैं, लेकिन उनमें से कोई भी उन्हें एक पैसा नहीं दे रहा है। सरफराज भारत से बातचीत के लिए भीख मांग रहे हैं, लेकिन नई दिल्ली उनसे पहले आतंकवाद को खत्म करने के लिए कह रही है।’ दरअसल, खान ने यूएई के संगठन को प्रधानमंत्री के फेसबुक इंटरव्यू का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने भारत के साथ बातचीत की इच्छा जाहिर की थी। सरफराज के बयानों पर टिप्पणी करते हुए भारत ने कहा था कि वह हमेशा पाकिस्तान के साथ पड़ोसी के संबंध चाहता है, लेकिन ऐसे संबंध के लिए आतंकवाद और हिंसा से मुक्त माहौल होना चाहिए।
‘मेरी हत्या की कोशिश के पीछे थे ये लोग…’
पूर्व पीएम खान की यह टिप्पणी सरफराज की संयुक्त अरब अमीरात की 2 दिवसीय यात्रा के कुछ सप्ताह बाद आई है, जिस दौरान खाड़ी अमीरात 2 अरब डॉलर का मौजूदा ऋण देने और एक अरब डॉलर का अतिरिक्त ऋण देने पर सहमति व्यक्त की थी। इससे तेज़ी से घट रहे विदेशी बाज़ार के बीच आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान को आर्थिक संकट से निपटने में मदद मिल सकती है। 70 साल के खान ने आगे कहा कि उन्हें 100 प्रतिशत यकीन है कि शहबाज शरीफ, गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ‘इसआई काउंटर इंटेलिजेंस विंग’ के प्रमुख मेजर-जनरल फैसल नसीर की हत्या के प्रयास के पीछे थे।
‘ऊपर वाले की इच्छा थी कि मैं बच गया’
इमरान ने कहा, ‘अब मुझे 100 साल का यकीन हो गया है कि शहबाज और अन्य 2 का असली नाम मैंने प्राथमिक तौर पर लिया था, जो दर्ज नहीं किया जा सका था, उसने मुझे मारने की साजिश रची थी। यह एक सटीक साजिश थी, क्योंकि तीन निशानेबाजों को मेरी हत्या करने के लिए भेजा गया था। लेकिन यह ऊपर वाले की इच्छा थी कि मैं बच गया।’ आसान हो कि खान को पिछले साल 3 नवंबर को पंजाब प्रांत (लाहौर से करीब 150 किलोमीटर दूर) के वजीराबाद इलाके में उनकी पार्टी की रैली के दौरान तीन गोलियां लगी थीं।
‘सेना को राजनीति से रहना होगा दूर’
यह पूछे जाने पर कि क्या सेना मेजर जनरल कमर जावेद बजाज की सन्यास के बाद सैन्य प्रतिष्ठान तटस्थ हो गए हैं, इस पर खान ने कहा, ‘नहीं, सैन्य प्रतिष्ठान अब भी तटस्थ नहीं है।’ खान ने सैन्य प्रतिष्ठान से पिछली संबद्धता से सीखने और राजनीति से दूर रहने को कहा। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘अगर सेना राजनीति में दखल दिखा रही है दुश्मनी है और स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव नहीं होते हैं, तो देश में पहल और अराजकता होगी। इसकी कोई कल्पना भी नहीं होगी।’