9 फरवरी को दौरे की समाप्ति हो रही है। लेकिन लंबी बातचीत के दौर के बाद भी पाकिस्तान और मैं फंसा हुआ हूं, बीच बेलआउट पैकेज पर सहमति नहीं बन रही है। दोनों के बीच गतिरोध बना रहता है।
पाकिस्तान के खराब आर्थिक हालात ने वहां के हुक्मरानों के तेवर भी दिए हैं। आलम ये हो गया है कि वो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के सामने गिड़गिड़ाने लगे हैं। इतना ही नहीं पाकिस्तान के मंत्री बिलावल भुट्टे तो बाढ़ के चक्कर को सामने कर मैं कर्ज देने की स्थिति में आ गए। लेकिन सभी कवायदों के बाद भी लगता है कि पाकिस्तान का कटोरा खाली ही रहने वाला है। पाकिस्तान की रसातल में उद्योग को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की एक टीम पाकिस्तान में पिछले कई दिनों से डेराएशन कर रही है। आखिरकार 9 फरवरी को दौरे की समाप्ति हो रही है। लेकिन लंबी बातचीत के दौर के बाद भी पाकिस्तान और मैं फंसा हुआ हूं, बीच बेलआउट पैकेज पर सहमति नहीं बन रही है। दोनों के बीच गतिरोध बना रहता है।
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की ओर से बेलआउट पैकेज का इंतजार काफी समय से किया जा रहा है। लेकिन मैं हर बार कोई न कोई बात सामने रखता है जिससे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज सरफराज परेशानी में पड़ जाते हैं। पाकिस्तान की सरकार की तरफ से जो पीड़ित हो रहे हैं, उन पर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की गारंटी नहीं है। इसके अलावा बाकी देशों की ओर से पाकिस्तान को कर्ज देने की जो बातें कही गई हैं, उनकी प्रमाणिकता पर भी गारंटी की गारंटी नहीं है। वहीं पाकिस्तान के प्रमुख समाचार पत्र ‘द डॉन’ ने एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी के राइटिंग से बुधवार की रात तक लिखा, मुझे एमईएफपी का मसौदा प्राप्त नहीं हुआ है। विभिन्न उपायों और बाहरी फंडिंग की साझेदारी दोनों मामलों में अंतिम निर्णय पर निर्णय लेने पर निर्णय लेता है।
क्या हैं IAणF की चाहते और मांगें?
मैं चाहता हूं कि मोटे अपने कमाई के रूप में कम कर के आधार को बढ़ावा देने के लिए प्रयास करें। यह आगे है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की नजर क्षेत्र के लिए कर छूट समाप्त करें। पाकिस्तान मीडिया की दृष्टिकोण के अनुसार, विवाद का सबसे अहम बिंदु पेट्रोल, बिजली और गैस की देनदारी में भ्रम की संभावना है। करोड़ा का कहना है कि यह कम आय वाले की मदद करने के लिए है। मैप पाकिस्तान के मित्र देश सऊदी अरब, चीन और स्थिति के साथ-साथ विश्व बैंक से आगे के समर्थन के माध्यम से बैंक में अमेरिकी डॉलर की एक राशि रखने के लिए भी जोर दे रहा है।
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