संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवींद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि राष्ट्र निर्माण एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। राष्ट्र निर्माण राष्ट्र के बारे में अवधारणा को अभिव्यक्त और स्पष्ट करने से शुरू होता है।
ग्रेटर नोएडा: सार्क जर्नलिस्ट क्रिएटर(एस रिक्रिएशन) ने अगल-बगल में महिला की दुखद स्थिति के प्रति चिंता व्यक्त की है। फोटोग्राफी के प्रतिनिधियों ने कहा कि भारत को संपूर्ण दक्षिण एशिया और विश्व भर में आंदोलन प्रयासों का नेतृत्व करना चाहिए। ये गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा और सार्क जर्नलिस्ट फोटोग्राफी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में विचार व्यक्त किए गए थे। इस संगोष्ठी में भारत, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका के 100 से अधिक पत्रकार, विषय विशेषज्ञ और शोध अध्येता शामिल हो रहे हैं। कार्यक्रम की संकल्पना और आयोजन गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के प्रांगण में मानविकी के जनसंचार और अध्ययन विभाग मीडिया विभाग द्वारा किया जा रहा है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय जन संचार संस्थान के श्री संजय द्विवेदी ने कहा – “कम्यूनिकेशन का काम ही है जुड़ रहा है। अब ग्लोबल सिटीजन की बात हो रही है। वसुधैव कुटुंबकम का उद्घोष भारत के मनीषियों ने प्राचीन काल से किया है। हमें ईश्वर ने कहा मानव गुण दिए गए, ईश्वर का रास्ता एकता की ओर ले जाता है। हमारे ऋषियों ने कहा: ‘मनुर्भव’ अर्थात् मानव बनो। इसे सीखने वाला है। भारत में माना जाता है कि पूरी तरह से काम करना है। कम्यूनिकेशन का मतलब ही है बातचीत करना, निकट आना। मानव बनाना। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भारतीय आकाशदीप में बांग्ला और नेपाली भी हैं। जो बांग्लादेश और नेपाल की आधिकारिक भाषाएं हैं। इस तरह हम भाषा की डोर से जुड़े हुए हैं। सभी भाषा राष्ट्र भाषाएं हैं। , हिंदी राजभाषा है।
एस रेशम के अध्यक्ष श्री राजू लामा ने कहा – “सभ्यता की शुरुआत भारत से हुआ और सनातन धर्म से हुआ। सनातन धर्म का विचार सभी विचारों में सर्वाधिक प्राचीन है। आज भारत विश्व के पांच प्रमुख समर्थ देशों में है। भारत, नेपाल, बांग्लादेश की समानता एक है और एक है। 21वीं सदी एशिया की सदी होगी। भारत को दक्षिण एशिया और पूरे विश्व में शांति और सद्भाव की स्थापना में नेतृत्व भूमिका निभानी चाहिए। हम भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के फैसले और संकल्प को बहुत उम्मीदें जताते हैं देख रहे हैं।” श्री लामा ने अफगानिस्तान में महिला बयान की व्याख्या का जिक्र करते हुए कहा – “अंधेर में महिला एंकर को बुर्का पहननेकर भाषा पढ़ना है। यह गंभीर विषय है। हमें इसका विरोध करना चाहिए।”
संगोष्ठी के मुख्य संरक्षक और गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर रवींद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि – “राष्ट्र निर्माण एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। राष्ट्र निर्माण राष्ट्र के बारे में अवधारणा को अभिव्यक्त और स्पष्ट करने से शुरू होता है। पत्रकार राष्ट्र निर्माण में एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। दर्शन, विचार और भावनाओं को लोगों तक पहुंचाने में मदद करते हैं। जनमत बनाने में समर्थ मीडिया राष्ट्र निर्माण के लिए बहुत उपयोगी है।” आगे उन्होंने कहा कि “संचार तकनीक ने परिधि को बहुत अधिक बदल दिया है। पापराज़ी को तकनीक में परिवर्तन के साथ निरंतर नए प्रयोगों को सीखना है और अपने तरीके से बदलना हैं। आने वाले भविष्य का संचार क्वांटम कम्युनिकेशन पर आधारित होगा। भारत की कई बातों में इस विषय की खोज की जा रही है।”
मानविकी और समाज विज्ञान अधिष्ठाता और अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी प्राध्यापक के संरक्षक (डॉक्टर) बंदना पांडे ने अपने स्वागत भाषण में कहा – “भारत एक प्लॉट नहीं, जीत जागता राष्ट्रपुरुष है। पापराशि को सत्यम शिवम सुंदरम की भावना के अनुरूप कार्य करना चाहिए उससे संबंधित मुझे विश्वास है कि संगोष्ठी में इन विषयों पर गंभीर विचार-विमर्श होगा।” उन्होंने सभी को विश्व हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी।
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