कबीरधामछत्तीसगढ़

“संसाधन नहीं तो काम नहीं” : राजस्व विभाग अधिकारियों का चरणबद्ध आंदोलन शुरू

17 सूत्रीय मांगों को लेकर चेताया अनिश्चितकालीन हड़ताल का अल्टीमेटम

UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा । छत्तीसगढ़ में राजस्व विभाग के अधिकारियों ने अपनी बुनियादी समस्याओं और संसाधनों की भारी कमी के खिलाफ अब मोर्चा खोल दिया है। “संसाधन नहीं तो काम नहीं” के नारे के साथ छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के बैनर तले अधिकारियों ने राज्यव्यापी चरणबद्ध आंदोलन की घोषणा कर दी है। आंदोलन के पहले चरण में आज कवर्धा सहित सभी जिलों में कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपा गया।

कवर्धा में कलेक्टर गोपाल वर्मा को सौंपे ज्ञापन में संघ पदाधिकारियों ने स्पष्ट किया कि तहसील कार्यालयों में कामकाज के लिए आवश्यक मानव संसाधन, तकनीकी सुविधाएं, सुरक्षा और प्रशासनिक सहयोग का अभाव है, जिससे अधिकारियों को गंभीर कार्यगत अव्यवस्थाओं से जूझना पड़ रहा है।

आंदोलन की रूपरेखा:

  • पहला चरण (17 जुलाई): समस्त जिलों में ज्ञापन सौंपा गया

  • दूसरा चरण (21-26 जुलाई): तहसील स्तर पर कार्य बहिष्कार

  • तीसरा चरण:

    • 28 जुलाई: जिला मुख्यालयों पर सामूहिक अवकाश व प्रदर्शन

    • 29 जुलाई: संभाग व राज्य स्तरीय प्रदर्शन

    • 30 जुलाई: राजधानी रायपुर में विशाल धरना

संघ ने साफ किया है कि यदि उनकी मांगों पर समयबद्ध कार्यवाही नहीं हुई, तो आंदोलन को अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदला जाएगा, जिसकी समस्त जवाबदारी शासन की होगी।

ये हैं 17 सूत्रीय मुख्य मांगें:

  1. तहसीलों में स्वीकृत सेटअप के अनुरूप पदस्थापना

  2. पदोन्नति की पारदर्शी प्रक्रिया

  3. सेवा शर्तों में युक्तियुक्त संशोधन

  4. न्यायिक आदेशों के क्रियान्वयन में अनावश्यक एफआईआर पर रोक

  5. राजस्व अधिकारियों की सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करना

  6. प्रशिक्षित ऑपरेटरों की नियुक्ति

  7. मोबाइल/कम्युनिकेशन भत्ता

  8. आकस्मिक दुर्घटना सहायता (विशेषकर सड़क दुर्घटनाओं पर)

  9. कम्प्यूटर, प्रिंटर, इंटरनेट जैसी तकनीकी सुविधाओं की उपलब्धता

  10. कनिष्ठ सेवा संवर्ग की समस्याओं के स्थायी समाधान

  11. लंबे समय से लंबित सेवा पुस्तिकाओं का अद्यतन

  12. कार्यस्थल पर CCTV एवं गार्ड की व्यवस्था

  13. कार्यभार के अनुसार सहायक स्टाफ की भर्ती

  14. फील्ड वर्क हेतु वाहन सुविधा

  15. दूरस्थ क्षेत्रों में पदस्थापित कर्मचारियों को विशेष भत्ता

  16. समय पर वेतन भुगतान व लंबित एरियर्स

  17. उच्च अधिकारियों के सहयोगात्मक व्यवहार की सुनिश्चितता

संघ ने मांग की है कि राजस्व प्रशासन के प्रभावी संचालन और आमजन की सुविधा के लिए इन मांगों को जनहित में प्राथमिकता से स्वीकार किया जाए।

यदि मांगें पूरी नहीं होतीं तो इससे राज्य के राजस्व कार्यों पर सीधा असर पड़ेगा, जिससे भूमि रजिस्ट्री, नामांतरण, सीमांकन, प्रकरण निपटान और अन्य प्रशासनिक कार्य पूरी तरह ठप हो सकते हैं।

 संदर्भ:
छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ वर्षों से तहसीलों में संसाधनों की कमी, कर्मचारियों की भारी रिक्तियाँ और सुरक्षा के मुद्दे लगातार उठते रहे हैं। यह आंदोलन अब राज्य सरकार के लिए प्रशासनिक और राजनीतिक रूप से एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

 


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