
नई दिल्ली। कोरोना वायरस (Corona Virus) का असर अब भारत पर भी दिखने लगा है. इसी शेयर बाजार में भारी गिरावट आई है। सेंसेक्स और ग्लब्स (Sensex Nifty) तीन साल से निचले स्तर पर हैं। इस माहौल को देखते हुए म्युचुअल फंड (म्युचुअल फंड) के मन में कई सवाल हैं। क्या मुझे अपने म्यूचूअल फंड्स की एसआईपी (एसआईपी रिटर्न) को बंद कर देना चाहिए? क्या अभी मुझे एकमुश्त निवेश नहीं करना चाहिए? क्या मी एसआईपी की रकम बढ़ाई जाती है? क्या मुझे डेट म्यूच्यूअल फंड्स में स्विच करना चाहिए? इन सभी सवालों के जवाबों में एक कॉमन बात दृष्टिकोण सामने आया है कि अपने निवेश को बनाए रखें और नए निवेश से दूर रहना चाहिए।
जाने-माने वित्तीय योजनाकार कहते हैं कि इस समय घबराहट नहीं है, बल्कि अपने निवेश को बरकार रखना है। लंबी अवधि का मतलब 10 साल या इससे ज्यादा होता है, लेकिन आज लंबी अवधि एक हफ्ता बन गई है। व्यक्तिगत गंदगी में लॉन्ग टर्म यानी लंबी अवधि का मतलब अब भी 10 साल या इससे ज्यादा है.
इक्विटी शेयर बाजार और उससे संबंधित म्युचूअल फंड्स में लॉन्ज-टर्म निवेश करने से ही लाभ होता है। एसआईपी के जरिए डायवर्सिपी इंटीग्रेटेड इक्विटी फंड्स में निवेश करने के लिए आपकी लंबी अवधि का लक्ष्य है।
लक्ष्य, आपके बच्चे की उच्च शिक्षा जैसे लक्ष्य काफी दूर हैं। कई सालों के बाद आपको इस पैसे की जरूरत है। ऐसे में अगर आपको अभी भी सिप से निगेटिव रिटर्न मिल रहा है तो घबराहट की जरूरत है? खुश हों कि आप नौसिखिए अधिक निवेश कर रहे हैं और ज्यादा यूनिटें खरीद रहे हैं।
एसआईपी क्या है
एसआईपी का मतलब (सिस्टमैटिक इनवेस्टमेंट प्लान) है। कई घटनाएँ इसे सीपी भी कहते हैं। यह एक निश्चित राशि नियमित रूप से म्यूचुअल फंड की किसी में निवेश करने की सुविधा देता है। इस तरह म्यूचुअल फंड में निवेश का आसान जरिया है। इसमें आप अपनी कमाई से छोटी राशि निकालते हैं, हर महीने म्युचुअल फंड की इकाइयां खरीदते हैं। कुछ साल तक नियमित रूप से निवेश करने के बाद में बड़ा निवेश बन जाता है।
आपको ऐसा होता है
आप एक साल, दो साल, पांच साल या लंबी अवधि के लिए म्युचुअल फंड की किसी दलाली में एसआईपी के जरिए निवेश कर सकते हैं। निवेश की पहली किस्त की रकम से म्युचुअल फंड कंपनी आपको सहमती की यूनिट देती है। आप मिलने वाली इकाइयों की संख्या इकाई की नेट एसेट प्रपत्र (एनवी) पर स्थायी रूप से काम करती है।
आसान शब्दों में समझें
मान बहाना पहले आपने एसआईपी के माध्यम से 1000 रुपये का निवेश किया है। आपने जिस प्रकार निवेश किया है, उसकी एक यूनिट की कीमत 20 रुपये है तो आपको म्युचुअल फंड कंपनी 50 से थोड़ी कम यूनिट बताएगी। आपको 50 यूनिट इसलिए नहीं मिले, क्योंकि एसेट व्यवस्था कंपनी फंड के प्रबंधन के लिए आपसे थोड़ा पैसा वसूलती है, जिसे एक्सपेंस रेशियो कहते हैं। जैसे-जैसे आप निवेश करते हैं वैसे-वैसे आपकी यूनिट्स की संख्या बढ़ती जाती है। आर्क प्राइमरी एडवाइजर्स के डायरेक्टर हेमंत बेनीवाल का कहना है कि एसआईपी में जैसे ही पैसा हो सकता है, वह पैसा निवेश करने के लिए चला जाता है। इसलिए आपका पैसा ज्यादा समय तक निवेशित रहता है।
गिरावट से लाभ मिलता है
एसआईपी के म्युचुअली माध्यम से फंड की किसी निवेश में निवेश करने से इकाइयों की औसत खरीद भुगतान कम होता है। इसे कोस्ट एवरेजिंग मेथड कहते हैं। यह क्या है? एक्सक्लूसिव एक्सक्लूसिव एक्सक्लूसिव रहता हूं। आपको नहीं पता कि बाजार कब ऊपर जाएगा और कब नीचे. एसआईपी में हर महीने आपके पैसे से म्युचुअल फंड कंपनी शेयर या दूसरी खरीदारी होती है। इस तरह जब शेयर की कीमत कम रहती है तो आपको ज्यादा यूनिट मिलती है। जब शेयर की कीमत ज्यादा रहती है तो आपको कम यूनिट मिलती है। इस तरह अगर एक साल की अवधि में देखें तो औसत खरीद शुल्क अपेक्षाकृत कम रहता है। इसे कोस्ट एवरेजिंग बेनिफिट कहते हैं। आर्क प्राइमरी एडवाइजर्स के डायरेक्टर हेमंत बेनीवाल का कहना है कि यह एसआईपी से निवेश की सबसे बड़ी राशि है, क्योंकि आपको पता नहीं चल सकता कि मार्केट कब छाएगा और कब गिरेगा।
निवेश में अनुशासन
एसआईपी से निवेश करने का एक बड़ा फायदा यह है कि यह निवेश के मामले में आपको अनुमत मैटर करता है। हर महीने आपको बैंक खाते से निश्चित राशि म्यूचुअल फंड कंपनी दी जाती है। बेनीवाल कहते हैं कि एसआईपी आपने खोला है तो कभी जरूरत से ज्यादा खर्च नहीं करेंगे। आपको पता है कि निश्चित रकम तय तारीख को हर महीने आपके खाते से निकलकर म्यूचुअल फंड कंपनी को मिल जाएगी। इस तरह निवेश में अनुशासन बना रहता है।
अगर आप एकमुश्त या सिप की राशि बढ़ा ज्यादा निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं तो ऐसा तभी करें अगर आपके वित्तीय लक्ष्य काफी दूर हों। केवल अभी नहीं निवेश करें कि बाजार नीचे है। कोई भी निवेश घबराहट में नहीं करें। फिर भी वह स्टॉक की बिक्री से या अपनी खरीदारी से लाल हो जाते हैं।
अभी हम युद्ध जैसी स्थिति में हैं। याद रखें कि आपने अच्छी तरह से समय में जो कुछ खुश है, उसे अब लागू करने का समय आ गया है। उदाहरण के लिए आपको शांति के समय खुशी होती है कि इक्विटी म्युचुअल फंड लंबी अवधि के लिए बने रहते हैं। आप गिरावट के दौर में शांत रहें खुश हैं। पहले गिरावट आई है। गिरावट के दौर में हैं। आगे भी गिरावट आएगी। यह किसी अर्थव्यावसायथा के साथ लाल रंग का पहलू है। इसलिए साइट संबंधी बातों से जुड़ें। अपना ध्यान रखें।
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प्रथम प्रकाशित : 22 मार्च, 2020, 06:38 IST
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