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IAS किरण भड़ाना हिमाचल कैडर की IAS किरण भड़ाना की सफलता की कहानी जिन्होंने 2017 में UPCS परीक्षा में 120वीं रैंक हासिल की

किरण भड़ाना की सफलता की कहानी: मिसाइल मैन डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम कहते थे, सपने वो नहीं होते हैं जो नींद में देखे जाते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोना नहीं देते हैं। ऐसा ही एक सपना राजस्थान (राजस्थान) के भरतपुर की किरणें भड़ाना (किरण भड़ाना) ने भी देखा।

आपके पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी किरणें भड़ाना गुर्जर समुदाय से संबंध हैं। उनके पिता अतर सिंह भड़ाना राजनीति में हैं। इस समाज में अमूमन लड़कियों को ज्यादा पढ़ाया नहीं जाता। ऐसे में राजस्थान से निकलकर दिल्ली में पढ़ाई कर किरणें भड़ाना ने पहले ही अपनी समाज की लड़कियों के सामने उदाहरण स्थापित कर दिया था। दिल्ली यूनिवर्सिटी (डीयू) के श्रीराम कॉलेज से ग्रेजुएशन और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी) से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के साथ किरणें भड़ाना ने फ्लेक्सी की तैयारी शुरू कर दी थी।

120वां रैंक हासिल किया

किरण भड़ाना ने पहला प्रयास वर्ष 2012 में किया। प्रथम प्रयास में किरणें प्रकाशित। इसके बाद साल 2014 और साल 2015 में भी उनका प्रयास सफल नहीं हो पाएगा। किरण भड़ाना ने साल 2016 में एक और प्रयास किया। इस प्रयास में वे सफल रहे। किरण भड़ाना ने देश की सबसे कठिन मानी जाने वाली परीक्षाओं में देश भर में 120वीं रैंक हासिल की और वो समाज की बेटियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनीं। अपनी ट्रेनिंग करने के बाद उन्हें फर्टिलाइजर्स मिनट से क्रेटरी का पद मिला।

हिमाचल सरकार की जनता तक पहुंचने की जिम्मेदारी

हिमाचल कैडर के आईएएस अधिकारी मौजूदा नशे में सूचना और जनसंपर्क विभाग के निदेशक के पद पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन पर सरकार की योजनाओं को जनता के बीच पहुंचाने की बड़ी जिम्मेदारी है। इससे पहले वे साल 2020 में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह विधानसभा क्षेत्र नादौन में भी एसडीएम के तौर पर नौकरी दे चुकी हैं। उन्होंने जनजातीय जिला चंबा के सलूणी में भी एसडीएम के तौर पर सेवाओं दी। किरण भड़ाना प्रयोगात्मक में एडीसी का काम भी अटका हुआ है।

हज़ारों लड़कियों के प्रेरणा स्रोत हैं किरणें भड़ाना

आईएएस अधिकारी किरणें भड़ाना उन सभी लड़कियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं, जो सपने देखने से डरती हैं। भले ही आपस में मिलते-जुलते हज़ारों हों, लेकिन उन्हें देखा जा सकता है। इसकी आवश्यकता है, तो केवल दृढ़ निश्चय और निश्चित संकल्प की किरणें कभी नहीं टूटतीं।

युद्ध के दौरान हौसला कई बार भले ही कम पड़ा हो, लेकिन फिर उसे कई सारी शक्तियों के साथ वापस लाकर किरणों भड़ाना ने एक मुकाम हासिल किया। वे सभी साधकों की मदद करते हैं, ताकि आस्तिकता के कारण किसी काबिल के सपने चूर न हो जाएं।

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