
UNITED NEWS OF ASIA. मुरैना। “साहब, मैं जिंदा हूं!” – यह दर्दभरी आवाज़ उस महिला की है, जिसे रिश्वत न देने की सजा ‘मौत’ के रूप में मिली। ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक ने मात्र ₹1000 की रिश्वत के लिए उसे सरकारी रिकॉर्ड में मृत घोषित कर दिया, जिससे उसकी पूरी जिंदगी संकट में पड़ गई। अब वह खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगा रही है।
क्या है पूरा मामला?
मंगलवार को जौरा खुर्द की रहने वाली भावना कुशवाह कलेक्टर कार्यालय पहुंची और कलेक्टर अंकित अस्थाना को अपनी आपबीती सुनाई। भावना ने बताया कि उसका मायका मेहटौली ग्राम पंचायत के भूरा डांडा गांव में है। 6 जून 2023 को उसकी शादी जौरा खुर्द के मुकेश कुशवाह से हुई थी।
शादी के बाद जब उसने परिवार आईडी में बदलाव के लिए ग्राम पंचायत में आवेदन किया, तो रोजगार सहायक विद्याराम कुशवाह ने नाम जोड़ने के बदले ₹1000 रिश्वत मांगी। भावना ने पैसे देने से इनकार कर दिया, तो रोजगार सहायक ने परिवार आईडी से उसका नाम हटा दिया और उसे ‘मृत’ घोषित कर दिया।
नौकरी के सपने चकनाचूर!
भावना को इस धोखाधड़ी का पता तब चला जब उसने रेलवे में नौकरी के लिए आवेदन करने की कोशिश की। जब उसने अपने दस्तावेजों की जांच करवाई, तो रिकॉर्ड में उसका नाम ‘मृतक’ के रूप में दर्ज था। रोजगार सहायक ने 7 जनवरी 2024 को उसे आधिकारिक रूप से मृत घोषित कर दिया।
अब कौन देगा इंसाफ?
रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की इस घटना ने भावना की जिंदगी अंधकार में धकेल दी है। सवाल यह उठता है कि क्या रिश्वतखोर रोजगार सहायक पर कोई कार्रवाई होगी? क्या महिला को न्याय मिलेगा और उसकी सरकारी पहचान बहाल होगी? या फिर वह इसी तरह सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाकर खुद को जिंदा साबित करने की लड़ाई लड़ती रहेगी?
- सरकार और प्रशासन से सवाल – कब खत्म होगा ऐसा भ्रष्टाचार?
- क्या रिश्वतखोर अधिकारी पर सख्त कार्रवाई होगी?
- क्या पीड़िता को न्याय मिल पाएगा?
अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है!
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