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हश हश Review: “हश हश” की खूबसूरती है, छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखें

अमेज़न प्राइम वीडियो (अमेज़न प्राइम वीडियो) ने एक बात में समेट लिया है वो है हिंदुस्तानी कहानियों पर बेहतरीन वेब सीरीज़ मेकिंग। मिर्जापुर (मिर्जापुर) हो या पाताल लोक, ये वेब सीरीज इतनी खूबसूरती से बनीं हुई हैं कि दर्शक इन्हें बार देख लेते हैं। इनकी छोटी-छोटी क्लिप भी वायरल होती रहती हैं, कुछ मीम्स बनते हैं और वो भी बेहद लोकप्रिय हो जाते हैं। इस कड़ी में वे अब एक और लाजवाब वेब सीरीज की रिलीज की है “हश हश” (हश हश) यानी चुपके से, विश्वास के तरीके से, बिना शोर के। इस वेब सीरीज़ का शोर आपको कहीं और देखने को शायद न मिले, लेकिन अगर आप ये वेब सीरीज़ देखने से चूक जाते हैं या देखना पसंद नहीं करते हैं, तो ये आपके इस साल की बड़ी पसंद में गिनी-चुनी सोच हैं। बेहतरीन स्टारकास्ट, ज़ूमा और केसी हुई कहानी, बेहद प्रभावशाली निर्देश, छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना और एक ऐसा क्लाइमेक्स पर खत्म करना जहाँ अगले सीज़न की उम्मीद ही नहीं बल्कि प्रतीक्षा रहेगी। हश हश एक ऐसी वेब सीरीज है जिसकी थीम सिर्फ अजनबियों के लिए है लेकिन फिर भी अश्लीलता, बिना बात की गली गलौच, विरूपता की दुर्घटना से बचाए गए, मानव पुनरुत्थान का एक ऐसा जाल पहुंच गया है जिससे आप धीमी गति से काम कर रहे हैं। चले जाओ। ज़रूर देखें, वीकेंड पर पूरी नज़र डालें।

लड़कियों के अनाथाश्रम में पली दी दो लड़कियां इशी (जो आगे चलकर जूही चावला बनती है) और उसकी अपनी यी और चुनी हुई छोटी बहन मीरा (जो आगे चलकर आती है जुल्का बनती है) की कहानी है हश हश। जब एडॉप्शन की बारी आती है तो इशी, अपनी जगह मीरा को भेज देती है लेकिन मीरा को अपनाने वाला व्यक्ति उसका शारीरिक शोषण करता है। ब्लिट्ज के बाद इशी, दिल्ली में एक बेहद खतरनाक, तेज़ तर्रार, का महत्वपूर्ण पीआर सलाहकार बनाया गया है जो कि आपके ग्राहकों के लिए मंत्रियों और अधिकारियों को पैसे का लालच देकर प्रोजेक्ट पास करवाती रहता है। मीरा और उसका पति सतीश अपने बीमार बेटे की वजह से क़र्ज़ में डूब जाते हैं और उन्हें अपना अनाथालय और घर खाली करने का नोटिस मिल जाता है। ऐसे में इशी उनके द्वारा पेश किए गए विनायक की मदद से उन्हें मुफ्त में घर और अनाथालय के लिए बिल्डिंग दिलवाती है। ईशी की रफ़्तार तेज़ है, वो बड़े लोग और उद्योगपतियों को करोड़ों-अरबों का रूप देते हैं और ख़ुद भी बहुत अमीर हो जाते हैं। अचानक इशी पर कई सारे मामले दर्ज हो जाते हैं और उसे रातों रात देश से भागना पड़ता है लेकिन वो भाग पाए इससे पहले उसे एक राजी सदस्य है और वो ग्लानिवश आत्महत्या कर लेता है। इसी ने आत्महत्या क्यों की, ये किसी को समझ नहीं आता। न ही उनके चांडाल चौकड़ी के दोस्त ज़ायरा (शहाना गोस्वामी), साइबा (सोहा अली खान), और डॉली (कृतिका कामरा) को। उसकी आत्महत्या की जांच की जिम्मेदारी पुलिस की इंस्पेक्टर गीता (कमल के रोल में करिश्मा तन्ना) को दी जाती है। हत्या और आत्म हत्या के बीच जुते इस मामले में कई परते हैं। कौन-सा मामला सुलझता है, कौन-सा वास्तविक उदाहरण सामने आता है, क्या सब कुछ स्पष्ट साफ नजर आता है या फिर कहानी का सूत्रधार कोई और है जो परदे के पीछे से सब चल रहा है? ये जानना हो तो Amazon Prime Video पर हश हश ज़रूर देखें।

लेखकों में शामिल हैं शिखा शर्मा, जो प्रोड्यूसर हैं लेकिन इस वेब सीरीज के मुख्य लेखिका हैं। और आशीष मेहता। जूही चतुर्वेदी जैसी अनुभवी लेखिका ने इसे लिखा है। सीरीज के एग्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर तनूजा चंद्रा हैं जो काफी समय बाद स्क्रीन के लिए वापसी की हैं। तनुजा ने संघर्ष किया, दुश्मन, सुर, करीब-करीब एक जैसी महिला प्रधान फिल्में बनीं। तनूजा के परिवार में चमत्कार के करीब लोग हैं। उनकी माताजी कामना प्रख्यात लेखिका हैं और उन्होंने प्रेम रोग, 1942 एक लव स्टोरी, चांदनी और करीब जैसी फिल्में लिखी हैं। तनुजा के भाई विक्रम चंद्रा (एनडीटीवी के जर्नलिस्ट नहीं) भी प्रख्यात लेखक हैं और उनका एक महाग्रंथ “सेक्रेड गेम्स” चक्रव्यूह का अत्यंत सफल शो बन जाता है। तनूजा की बहन हैं फिल्म समीक्षक अनुपमा चोपड़ा ने आज शादी कर ली है, जिसका निर्देशन विधु विनोद चोपड़ा से हुआ है। तनुजा की फिल्मों में किसी महिला की बेहद ही रहस्यमयी होती हैं, उनकी कहानी में कई स्क्रिप्ट्स होती हैं और इन किरदारों के जीवन में दिखने वाली घटनाएं न हो कर वास्तविक होती हैं। हश हश में तनूजा ने लगभग हर चरित्र में छाप छोड़ी है और इशारा की बात यह है कि इस श्रृंखला में पुरुष चरित्र छोटे समय के लिए आते हैं लेकिन कहानी को आगे लेजाने में वे जादू करते हैं।

ऋषि कपूर की आखिरी फिल्म में शर्मा जी की वापसी में जूही की महत्वपूर्ण भूमिका थी और हश हश में वह कहानी का केंद्र बन गई है। पीआर एजेंसी के परदे के पीछे एक लॉबिस्ट का काम करने वाली जूही का चरित्र बहुत ही खतरनाक है। जूही का अभिनय देखकर अच्छा भी लगता है कि वो कम से कम किसी जगह तो बिना मुस्कुराए-खिलखिलाये अभिनय कर रही हैं। उनके दोस्त मंडली में शहाना गोस्वामी हैं जो कि एक ड्रेस डिजाइनर के रोल में हैं। औरों के पास परिवार है लेकिन मेरे पास मेरा करियर जैसी बात बोलती शहाना है इस सीरीज का एक सुलझा हुआ रहस्य है। जान के खतरों से परेशां हो कर अपने पति और बच्चों के साथ एक शांत इंसान के साथ काम करने वाले सोहा अली खान, पहले जांबाज पत्रकार थे। जूही की तीसरी सहेली कृतिका कामरा, एक रईस घर की बहू है जिसकी आज़ादी पर उसका सास सर्पिला मार के बैठी है। तीनों ने ही अपनी पटकथा क्या बेहतरीन ढंग से निभाई है क्योंकि एक रोल, एक डायलॉग बड़ी सोच समझ के लिखा गया है। एक भी दृश्य आपको अनावश्यक नज़र नहीं आता बल्कि कहीं और आप आशा करते हैं कि इस दृश्य को और बड़ा लिखा जाना चाहिए था ताकि आप और कुछ भी सक्षम दिखें। बाजी लेकिन मारी है करिश्मा तन्ना ने जो पर्यवेक्षक गीता तलहान की भूमिका में है। करिश्मा तन्ना ने अब तक जो रोल आएंगे ये सबसे अलग हैं। उनकी छवि अब तक कम-अक्ल, बेढब, मॉडल की ही रही है, लेकिन हश हश के बाद ये वरीयता प्राप्त होने पर मजबूर होकर स्वीकार करने से काम निकलवाना निर्देशक का काम है। पूरी सीरीज का धुंआ हैं जाम तन्ना। उन्हें इस श्रृंखला में उनके रोल, उनके अभिनय और उनके अंडरप्ले के लिए साधुवाद। सिर्फ उन्हीं के काम के लिए पूरी सीरीज देखी जा सकती है। विभा छिब्बर, क्लैमा के बॉस और एसीपी बनी हैं लेकिन वैसे भी ये कमाल की एक्ट्रेस हैं। आया जुल्का भी ठीक ठाक नज़र आया है। तनुजा की सीरीज होने के बावजूद, नितीश कपूर (काम्या के पति), राजेश अग्रवाल (आयेशा जुल्का के पति), गौरव द्विवेदी (विनायक सेठी), पंकज सिंह तिवारी (अद्वैत) और बेंजामिन गिलानी के किरदारों ने पूरी कहानी के पहिये को कुजते जीने का ज़िम्मा ले रखा है।

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तनुजा चंद्रा के साथ कोपल नैथानी और आशीष पांडेय ने भी कुछ एपिसोड और सीक्वेंस डायरेक्ट करने की कवायद की है। लेखक और निर्देशकों की टोली ने कुछ खूबसूरत दृश्य गढ़े हैं जिनके बारे में लिखने से बेहतर होगा कि दर्शक उन्हें देखें और महसूस करें। सोहा के पति पर हुए हमले के बाद जब शाहाना और कृतिका हॉस्पिटल पहुँचते हैं तो उसके बाद के सभी दृश्य बेहतरीन से बेहतर होते हैं। शहाना का फैशन शो अपनी दिव्यांग सहेली को दी गई अद्भुत श्रद्धांजलि है। एक चरित्र ऐसा लगता है कि सच है यानि होते हैं ऐसी चरित्र, हम देखते हैं। कोई फिल्मी मूर्खता नहीं है। गुरुग्राम की शीर्ष संस्था की कहानी है लेकिन कोई भी चरित्र, आरईसी का नाटक करते हुए नज़र नहीं आता। सभी कुछ दर्शकों को स्वयं को समझने के लिए छोड़ दिया है। जब आप जुड़ाव लेखक या निर्देशक मूर्ख नहीं समझते हैं, तो आपकी सफलता की उम्मीद बढ़ जाती है। तनुजा और बाकि दोनों निर्देशनों ने बहुत कुछ दृश्य, संयोजन कला निर्देशन, सेट्स और कलाकारों की पारस्परिक बातचीत के ज़ेर नुमाया किया है और क्या खूब किया है। काफी समय बाद एक ऐसी सीरीज आयी जिसके सभी एपिसोड एक बार में बैठ गए और फिर कुछ दृश्यों को बार-बार देखा।

हश हश, न तो मिर्जापुर जैसा तेज है न पाताललोक जैसे दिमागी खेल में शामिल है, न इनसाइड एज जैसे एक रहस्यमयी दुनिया के भीतर की राजनीति पर आधारित है। हश हश अपने आप में निरपेक्ष है। ये एक वैश्विक कहानी है। इसका समय और काल से कोई संबंध नहीं है। इसके किसी भी दृश्य में आपको अधूरापन महसूस नहीं होगा। चंदन अरोरा की आकांक्षा होगी कि उनका संपादन इतना महीन है कि बस जब सीन डिज़ॉल्व हो जाता है तो सांस में सांस आती है और वही फेड इन होने पर एक नए रोमांच या एक नई भावना की आशा शुरू होती है। चंदन डिज़्नी+ हॉटस्टार के लिए वेब सीरीज एस्केप लाइव और फिल्म कट-पुतली में भी बदलाव किया जा रहा था। उनके ब्लिट्ज का अनुभव यहां देखने को मिलता है। इतनी बड़ी कास्ट, इतनी बेहतरीन कहानी और कोई एक दृश्य भी गैरजरूरी नज़र आता है तो नामांकन की गलती हो जाती है। चंदन सिद्धहस्त हैं। सिनेमेटोग्राफर शाज़ मोहम्मद ने जिस कलर पैलेट की मदद से गुरुग्राम के संभ्रांत असर डाला, और उनके घरवालों को शूट किया है वो ये बात साबित करती है कि शाज़ एक लंबी रेस के घोड़े हैं। कमाल का काम है।

विस्तृत रेटिंग

कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

टैग: मनोरंजन, छवि समीक्षा, जूही चावला

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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