छत्तीसगढ़

महतारी भाखा के सम्मान में सैंकड़ों छत्तीसगढ़िया भिलाई में हुए इकट्ठा

छत्तीसगढ़ी को कामकाज और पढ़ाई-लिखाई की भाषा बनाने मुहिम का आगाज़

UNITED NEWS OF ASIA. रोहिताश सिंह भुवाल, भिलाई । छत्तीसगढ़ी समाज द्वारा भिलाई के सिविक सेंटर स्थित प्रगति भवन में आयोजित गुनान गोष्ठी में सैकड़ों छत्तीसगढ़ी एकजुट होकर मातृभाषा छत्तीसगढ़ी के संवर्धन का संकल्प लिया। इस दौरान शिक्षा, रोजगार और सरकारी कामकाज में छत्तीसगढ़ी को प्राथमिकता दिलाने के लिए कई अहम निर्णय लिए गए।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसमें जिला अध्यक्ष मनोज साहू ने संस्था के इतिहास और उद्देश्य पर प्रकाश डाला।

मुख्य विचार

  • प्रो. सुधीर शर्मा (कल्याण महाविद्यालय):
    “जब एम.ए. की पढ़ाई छत्तीसगढ़ी में हो सकती है, तो प्राइमरी स्तर पर क्यों नहीं? राज्य निर्माण का श्रेय सिर्फ़ राजनीतिज्ञों को नहीं, बल्कि कलाकार और साहित्यकारों को भी है।”

  • सत्यजीत साहू (प्रदेश अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ी समाज):
    “हमारी लड़ाई किसी भाषा से नहीं, बल्कि स्थानीय और लोकभाषा के विकास से है। अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने के लिए मातृभाषा का संरक्षण आवश्यक है।”

  • नरेंद्र कुमार बंछोर (मुख्य अतिथि):
    “छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बचाने के लिए शिक्षा को माध्यम बनाना होगा। हमें उन सभी का सहयोग करना है, जिनकी भावना मातृभाषा के लिए शुद्ध है।”

  • वरिष्ठ साहित्यकार दुर्गा प्रसाद पारकर:
    “जन्म प्रमाण पत्र और जनगणना पत्रक में मातृभाषा छत्तीसगढ़ी दर्ज होना चाहिए। भाषा को रोजगार से भी जोड़ना ज़रूरी है।”

  • पी.सी. लाल यादव (वरिष्ठ कलाकार-साहित्यकार):
    “छत्तीसगढ़ीया सबले बढ़िया नारा शोषक वर्ग का नारा है। संस्कृति में दिखावा नहीं होना चाहिए, हमें भीतर झांकने की ज़रूरत है।”

  • अनिल भतपहरी (पूर्व सचिव, राजभाषा आयोग):
    “कामकाज और पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ी को शामिल करने के लिए एक मानक भाषा तैयार करना अनिवार्य है।”

सभा में पारित 8 प्रमुख प्रस्ताव

  1. सरकारी नौकरियों में छत्तीसगढ़ियों को प्राथमिकता।

  2. न्यायालय, बैंक व अन्य विभागों में छत्तीसगढ़ी अनुवादक नियुक्त किए जाएं।

  3. जनता को सरकारी कामकाज और आरटीआई छत्तीसगढ़ी में करने का आह्वान।

  4. मेडिकल और तकनीकी महाविद्यालयों में छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम व शिक्षक रखे जाएं।

  5. मीडिया में एकरूप छत्तीसगढ़ी शब्दावली अपनाई जाए।

  6. सभी विभागों में छत्तीसगढ़ी राजभाषा अधिकारी नियुक्त हों।

  7. जनगणना में मातृभाषा के रूप में छत्तीसगढ़ी दर्ज हो।

  8. छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के लिए 5 करोड़ रुपए का बजट सुनिश्चित किया जाए।

पुस्तक विमोचन

इस अवसर पर ‘गांव के गोठ’ नामक पुस्तक का विमोचन हुआ, जिसे ‘कृष्ण कन्हैया’ शानू बंजारे ने लिखा है। पुस्तक में छत्तीसगढ़ी मुहावरे और लोकोक्तियों का संकलन है।

गरिमामयी उपस्थिति

इस मौके पर ऋतेश्वरानंदजी, मालती परगनीहा, रजनी रजक, राजेन्द्र परगनिहा, यशवंत वर्मा, संजय देशमुख, पारस नाथ, चंद्रशेखर चंद्राकर, मनहरन टिकरिहा, राजेन्द्र रजक, डिकेन्द्र हिरवानी, घनश्याम गजपाल, बलराम चंद्राकर, कवि गजराज, गुलाब दास मानिकपुरी, दीनबंधु साहू समेत अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन केशव साहू ने किया।

छत्तीसगढ़ी को कामकाज और पढ़ाई-लिखाई की भाषा बनाने मुहिम का आगाज़

भिलाई।
छत्तीसगढ़ी समाज द्वारा भिलाई के सिविक सेंटर स्थित प्रगति भवन में आयोजित गुनान गोष्ठी में सैकड़ों छत्तीसगढ़ी एकजुट होकर मातृभाषा छत्तीसगढ़ी के संवर्धन का संकल्प लिया। इस दौरान शिक्षा, रोजगार और सरकारी कामकाज में छत्तीसगढ़ी को प्राथमिकता दिलाने के लिए कई अहम निर्णय लिए गए।

कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से हुआ, जिसमें जिला अध्यक्ष मनोज साहू ने संस्था के इतिहास और उद्देश्य पर प्रकाश डाला।

मुख्य विचार

  • प्रो. सुधीर शर्मा (कल्याण महाविद्यालय):
    “जब एम.ए. की पढ़ाई छत्तीसगढ़ी में हो सकती है, तो प्राइमरी स्तर पर क्यों नहीं? राज्य निर्माण का श्रेय सिर्फ़ राजनीतिज्ञों को नहीं, बल्कि कलाकार और साहित्यकारों को भी है।”

  • सत्यजीत साहू (प्रदेश अध्यक्ष, छत्तीसगढ़ी समाज):
    “हमारी लड़ाई किसी भाषा से नहीं, बल्कि स्थानीय और लोकभाषा के विकास से है। अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाने के लिए मातृभाषा का संरक्षण आवश्यक है।”

  • नरेंद्र कुमार बंछोर (मुख्य अतिथि):
    “छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बचाने के लिए शिक्षा को माध्यम बनाना होगा। हमें उन सभी का सहयोग करना है, जिनकी भावना मातृभाषा के लिए शुद्ध है।”

  • वरिष्ठ साहित्यकार दुर्गा प्रसाद पारकर:
    “जन्म प्रमाण पत्र और जनगणना पत्रक में मातृभाषा छत्तीसगढ़ी दर्ज होना चाहिए। भाषा को रोजगार से भी जोड़ना ज़रूरी है।”

  • पी.सी. लाल यादव (वरिष्ठ कलाकार-साहित्यकार):
    “छत्तीसगढ़ीया सबले बढ़िया नारा शोषक वर्ग का नारा है। संस्कृति में दिखावा नहीं होना चाहिए, हमें भीतर झांकने की ज़रूरत है।”

  • अनिल भतपहरी (पूर्व सचिव, राजभाषा आयोग):
    “कामकाज और पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ी को शामिल करने के लिए एक मानक भाषा तैयार करना अनिवार्य है।”

सभा में पारित 8 प्रमुख प्रस्ताव

  1. सरकारी नौकरियों में छत्तीसगढ़ियों को प्राथमिकता।

  2. न्यायालय, बैंक व अन्य विभागों में छत्तीसगढ़ी अनुवादक नियुक्त किए जाएं।

  3. जनता को सरकारी कामकाज और आरटीआई छत्तीसगढ़ी में करने का आह्वान।

  4. मेडिकल और तकनीकी महाविद्यालयों में छत्तीसगढ़ी पाठ्यक्रम व शिक्षक रखे जाएं।

  5. मीडिया में एकरूप छत्तीसगढ़ी शब्दावली अपनाई जाए।

  6. सभी विभागों में छत्तीसगढ़ी राजभाषा अधिकारी नियुक्त हों।

  7. जनगणना में मातृभाषा के रूप में छत्तीसगढ़ी दर्ज हो।

  8. छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग के लिए 5 करोड़ रुपए का बजट सुनिश्चित किया जाए।

पुस्तक विमोचन

इस अवसर पर ‘गांव के गोठ’ नामक पुस्तक का विमोचन हुआ, जिसे ‘कृष्ण कन्हैया’ शानू बंजारे ने लिखा है। पुस्तक में छत्तीसगढ़ी मुहावरे और लोकोक्तियों का संकलन है।

गरिमामयी उपस्थिति

इस मौके पर ऋतेश्वरानंदजी, मालती परगनीहा, रजनी रजक, राजेन्द्र परगनिहा, यशवंत वर्मा, संजय देशमुख, पारस नाथ, चंद्रशेखर चंद्राकर, मनहरन टिकरिहा, राजेन्द्र रजक, डिकेन्द्र हिरवानी, घनश्याम गजपाल, बलराम चंद्राकर, कवि गजराज, गुलाब दास मानिकपुरी, दीनबंधु साहू समेत अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का संचालन केशव साहू ने किया।

 


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