UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। भोरमदेव अभ्यारण्य, जो छत्तीसगढ़ की प्राकृतिक धरोहरों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, इस समय मानसून और वन्यजीवों के प्रजनन काल के चलते संवेदनशील स्थिति में है। इसी को ध्यान में रखते हुए वन विभाग कवर्धा ने ग्रामवासियों से अपील की है कि वे अपने पालतू मवेशियों को अभ्यारण्य क्षेत्र में चराने से परहेज करें।
वर्षा ऋतु वन्यजीवों के लिए प्रजनन और नवजीवन का समय होता है। इस दौरान उन्हें शांति, एकांत और सुरक्षित वातावरण की आवश्यकता होती है। लेकिन कुछ ग्रामीणों द्वारा मवेशियों को जंगल में ले जाना न केवल इन वन्यजीवों के लिए खतरा उत्पन्न करता है, बल्कि जंगल की जैव विविधता व संतुलन पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

हाल ही में बेदरची और सरेखा गांवों के लगभग 200 मवेशियों के साथ ग्रामीण अभ्यारण्य क्षेत्र में प्रवेश कर गए। जानकारी मिलते ही वन विभाग की टीम ने तत्परता से मौके पर पहुंचकर संवाद किया, जिसके बाद ग्रामीणों ने सकारात्मक रुख अपनाते हुए अपने मवेशियों को वापस ले जाने पर सहमति जताई। वन विभाग ने उनके इस सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया है।
आगामी योजनाएँ और चिंता के बिंदु
भविष्य में भोरमदेव क्षेत्र को इको-पर्यटन के हब के रूप में विकसित किया जा रहा है, जहां सफारी और अन्य पर्यावरणीय गतिविधियाँ प्रस्तावित हैं। ऐसी स्थिति में मवेशियों की आवाजाही से न केवल वन्यजीवों का आवास प्रभावित होगा, बल्कि संक्रामक रोगों, अवैध शिकार और मानवीय संघर्ष की आशंका भी बढ़ सकती है।
वन विभाग की अपील
वन विभाग ने पुनः सभी ग्रामवासियों से सौहार्द्रपूर्ण आग्रह किया है कि वे अभ्यारण्य क्षेत्र में मवेशियों को ले जाने से बचें। यह न केवल वन्यजीवों की सुरक्षा, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए जैव विविधता की अमूल्य धरोहर को सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है।
यदि इस अपील की अवहेलना की जाती है, तो भारतीय वन अधिनियम और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
संयुक्त प्रयास से ही संभव है संरक्षण
वन विभाग का संदेश स्पष्ट है –
“आपका सहयोग हमारे जंगलों की सबसे बड़ी ताकत है। आइए, मिलकर भोरमदेव अभ्यारण्य को संरक्षित और समृद्ध बनाएं।”