UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। छत्तीसगढ़ राज्य में तालुका न्यायालय के स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक सभी न्यायालयों में वर्ष की प्रथम नेशनल लोक अदालत का 09 मार्च को आयोजित किया गया। माननीय न्यायाधीगणों द्वारा द्वारा उक्त नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ विद्या की देवी सरस्वती जी के फोटोचित्र पर पूजा-अर्चना करते हुए दीप प्रज्जवलित कर किया गया। इसके पश्चात अन्य न्यायाधीशगण, उपस्थित पक्षकारगण एवं अधिवक्तागण तथा अन्य संस्थाओं के अधिकारियों द्वारा भी दीप प्रज्जवल कर किया गया।
लोक अदालत में राजीनामा योग्य न्यायालय में लंबित समस्त प्रकृति के प्रकरण रखे गए थे, जिनमें से 1437 से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया गया। मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के प्रकरणों में माननीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश महोदय द्वारा कुल चार प्रकरण का निराकरण करते हुए 35 लाख 50 हजार की अवार्ड राशि पारित की गई। राजस्व न्यायालय में कुल 13 हजार 217 प्रकरणों का निराकरण हुआ। अन्य प्री-लिटिगेशन प्रकरणों में लगभग 60 अन्य प्रकरणों का निराकरण हुआ। इस प्रकार एक ही दिन में 14 हजार 700 से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया गया।
कुटुम्ब न्यायालय कबीरधाम में न्यायाधीश आलोक कुमार की खण्डपीठ द्वारा कुल 23 प्रकरणों में राजीनामा का आदेश पारित किया। एक प्रकरण में पति पत्नी एक साथ पुनः रहने के लिए राजी हुए। इस प्रकार एक टूटे हुए परिवार को पुनः लोक अदालत में एक किया गया। अपर जिला न्यायाधीश पंकज शर्मा के न्यायालय में लंबित सिविल अपील में भी उभयपक्षकारों को लाभ प्राप्त हुआ। इस प्रकरण में उभयपक्ष सगे भाई बहन थे, एक भाई द्वारा अकेले ही पिता की समस्त सम्पत्ति को अपने नाम पर दर्ज करवा लिया गया था। इसी विवाद के संबंध में प्रकरण न्यायालय में लंबित था। माननीय न्यायाधीश महोदय द्वारा लोक अदालत में समझाईश दिये जाने पर उभयपक्ष द्वारा प्रत्येक को सम्पत्ति में चौथा हिस्सा पर सहमति हुई और सभी भाई बहन राजी खुशी घर वापस गए। इस प्रकार लोक अदालत में प्रकरण निराकरण होने पर सगे भाई बहनों को आपसी प्रेम सौहाद्र पुनः स्थापित हुआ।
माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्वेता श्रीवास्तव के न्यायालय में भी दो आपराधिक प्रकरणों का निराकरण राजीनामा के आधार पर हुआ, जो कि 3-4 सालों से न्यायालय में लंबित थे। दोनों ही प्रकरणों में निकट संबंधियों में विवाद था, एक प्रकरण भाई-भाई के बीच मारपीट तथा एक अन्य प्रकरण चाचा भतीजा के बीच मामूली बात पर मारपीट के लिए लंबित था। राजीनामा के पश्चात् दोनों पक्षकारों में पुनः समन्वय स्थापित हुआ।
बैंक के अधिवक्ता सुधीर पाण्डेय द्वारा बताया गया कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र कवर्धा द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत एक प्रकरण में 7 लाख 74 हजार 72 रूपए राशि वसूली के प्रकरण में उभयपक्षकारों के मध्य मात्र 4 लाख 95 हजार 704 रूपए में सहमति हुई। पक्षकार के साथ ही साथ बैंक द्वारा न्यायालय शुल्क के रूप में अदा किए गए 77 हजार 490 रूपए की वापसी का आदेश भी न्यायालय द्वारा पारित किया गया, इस प्रकार उभयपक्षों को लोक अदालत में प्रकरण निराकरण पर भारी लाभ मिला है।
इसी प्रकार बैंक के ऋण वसूली संबंधी दो अन्य प्रकरणों में भी मूलधन तथा ब्याज को मिलाकर एक लाख रूपये से अधिक धन वापसी के मामलों में मात्र 10-10 हजार रूपए में सहमति हुई। इस प्रकार लोक अदालत में राजीनामा के आधार पर प्रकरणों के निराकरण से पक्षकारों को बहुत अधिक लाभ प्राप्त हुआ। लोक अदालत में प्रकरण जिले के कोने कोने से पक्षकार जिला न्यायालय प्रांगण में अपने प्रकरणों के निराकरण के लिए उपस्थित होते है, जिनकी सुविधा के लिए नगर पालिका द्वारा पेयजल व्यवस्था की गई थी तथा बैंक द्वारा पक्षकारों के लिए स्वल्पाहार की व्यवस्था की गई थी।
नेशनल लोक अदालत में जिला न्यायालय में कुल 08 खण्डपीठ जिला न्यायालय स्तर में तथा एक खण्डपीठ पण्डरिया न्यायालय स्तर में, इस प्रकार कुल 09 न्यायालयीन खण्डपीठ का गठन किया गया था, इसके अतिरिक्त राजस्व न्यायालय स्तर में भी खण्डपीठ गठित की गई थी। उक्त नेशनल लोक अदालत के सफल आयोजन के अनुक्रम में समस्त न्यायालयीन कर्मचारीगण, पैरालिगल वालिन्टियर्स, जिला प्रशासन, जिला पंचायत, नगर पालिका, पुलिस विभाग, समस्त बैंको सहित अन्य समस्त विभागों का भरपूर सहयोग रहा है।