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इमोशनल इनवैलिडेशन का जवाब कैसे दें, – व्यापकता का जवाब कैसे दें

क्या आप जानते हैं कि आपकी कही हुई एक छोटी सी बात भी किसी व्यक्ति के मन को चोट पहुंचा सकती है। ऐसी ही एक शर्त है इमोशनल इनवेलिडेशन। इमोशनल इनवेलिडेशन आपके दोस्तों, बच्चों या अन्य लोगों की मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है। ऐसे माहौल में वे अपनी प्रतिभा और आत्म विश्वास को महसूस करने लगते हैं। वे किसी भी तरह की बात करने से हिचकिचाहट करते हैं और खुद को दूर रखते हैं। उनके दिमाग में एक डर बैठ जाता है कि कहीं आप उन्हें उस तरह की प्रतिक्रिया न दे दें।


आमतौर पर लोग कहते हैं कि वो तो मजाक था या परमात्मा नहीं कहा जा रहा था। मगर यही छोटी-छोटी चीजें किसी व्यक्ति के मन को चोट पहुंचाने के लिए काफी होती हैं। अगर आप उनसे कोई बात करते हैं, तो उनका दबदबा साबित करने की आपकी गलत धारणाएं हैं और आपकी राय भी बनती है।

इमोशनल इनवेलिडेशन क्या है

इस बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हलद्वानी में मनोवैज्ञानिक डॉ. अर्जुन पंत का कहना है कि इमोशनल इनवेलिडेशन यानी इसे महत्व का अर्थ है कि किसी की भावनाओं या विचारों को स्तरों से खारिज कर दिया जाए। इस प्रक्रिया में व्यक्ति ऐसा महसूस करता है कि वह महत्वपूर्ण है और दूसरों की दृष्टि में उसका कोई प्रपत्र नहीं है।

ऐसी स्थिति में अन्य लोग आप वीडियो पर काम करते हैं और खुद को पकड़ने का अनुभव करते हैं। वहीं भावनात्मक प्रमाणीकरण का अर्थ है कि व्यक्ति स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है। लोगों के बीच कम्यूनिकेट करना आसान लगता है। इसमें लोग आपकी भावनाओं की पहचान करते हैं।

इस स्थिति से बाहर आने के लिए ऐसे लोगों की बातों को गंभीर से न लें। चित्र : आदी स्टॉक

आप इमोशनल इनवेलिडेशन को इन बातों से समझते हैं

अगर कोई आपसे कहता है कि मैं मजाक कर रहा हूं और मेरी बातों को ग्रेब्रिएट्स से मत लो।

कोई व्यक्ति जो आपके हस्ताक्षर की जा रही बातचीत में इंटरस्ट न ले।

आप समझने की बजाय बातों को खत्म करने में विश्वास रखते हैं।

आपके लिए निर्णय निर्णय लेने।

हर बात में आपको गलत ठहराया जाएगा।

इन टिप्स की मदद से खुद को पाएं भावनात्मक इनवेलिडेशन से दूर

1. बात को ग्रेविटास से मत लो

बहुत से लोग ऐसे भी हैं, जो हमारे सामने हमें दिखाते हैं और गलत साबित करने का प्रयास करते हैं। ऐसे में हमारा पार्टनर और दोस्त कई बार हमें कूल रखने का प्रयास करते हैं। ये देश बहलाने वाले हैं कि कोई बात नहीं जाने दो। ऐसी बातों को व्यक्तिगत व्यक्ति नहीं कर सकते। इनका ऐसा ही स्वभाव है, वगैरह, वगैरह। हांलाकि ये सब चीजें आपके मन और मस्तिष्क प्रभावित करने का काम करती है। इससे आपका मन परेशान रहता है और आप खुद को गिरफ्तार और नीचा महसूस करने लगते हैं। इस स्थिति से बाहर आने के लिए ऐसे लोगों की बातों को गंभीर से न लें।

2. ज्यादा देर तक बात मत करो

अगर कोई व्यक्ति आपको बार बार नीचा दिखा रहा है, तो उसके पास ज्यादा देर तक न बैठो। उसकी बातें आपके दिमाग को नुकसान पहुंचा सकती हैं। जैसे ही कोई इंसान आपके इमोशंस को इनवैलिडेट करता है, तो खुद को अंदर से तैयार कर लें और वहां से चले जाएं। अगर आप ज्यादा देर वहां टिकेंगे, तो वो इंसान किसी न किसी प्रकार से आपकी भावनाओं को चोट पहुंचा सकता है।

इमोशनल रूप से मजबूत होना जरूरी
समान रूप से मजबूत होने पर आप हर रोज के काम में अच्छे हो सकते हैं। आपकी पर्सनेलिटि विकसित हो सकती है। चित्र : आदी स्टॉक

3. ऐसे व्यक्ति से दूरी बना लें

उन लोगों से दूर बन लें, जो आपको बार बार गलत साबित कर रहे हैं। ऐसे लोग जीवन में किसी खास स्थान पर नहीं होते हैं, जिसके कारण अन्य लोगों की सफलता को भी बर्दाशत नहीं कर पाते हैं। वे दूसरे व्यक्ति को टैलेंट नहीं महसूस करना चाहते हैं। इस प्रकार वे स्वयं को बेहतर और दूसरे स्तर पर प्रभाव डालते हैं। जो व्यक्ति आपकी भावनाओं की परवाह नहीं करता है। उससे दूर रहने और ज्यादा बातचीत करने से भी बचें।

4. खुद को सकारात्मक रूप से प्राप्त करें

कोई भी व्यक्ति कैसा भी व्यवहार करे, लेकिन आप स्वयं को सकारात्मक रखते हैं। खुद को निगेटिव करने वाले व्यक्ति के सामने आप विजेता हो जाते हैं। नकारात्मक विचारधारा आपके लिए परेशानी का कारण बन सकता है। जो आपके जीवन को तनाव से जुड़ा हुआ है। बात पर गुस्सा होने से आपके व्यवहार में बदलाव दिखने लगता है। किसी व्यक्ति के अनावश्‍यक व्यवहार स्वयं पर अधिपत्य न होने दें।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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