
मानसिक स्वास्थ्य में विटामिन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आपके आहार में कुछ विटामिन और पोषक तत्वों की कमी से कुछ मानसिक स्वास्थ्य संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा हो विटामिन किस प्रकार के होते हैं और वे मानव मस्तिष्क को कैसे प्रभावित करते हैं।
न्यूट्रिशनिस्ट और वेलनेस विशेषज्ञ क्षामा शाह से हमने बात की उन्होंने बताया कि “अगर शरीर में पित्त की मात्रा अधिक होती है तो ऐसे लोगों को अधिक गुस्सा आता है।”
पित्त दोष क्या है?
ज़ामा शाह के अनुसार “पित्त दोष ‘अग्नि’ और ‘जल’ इन दो तत्वों से मिलकर बना है। यह हमारे शरीर में बनने वाले हार्मोन और एंजाइम को नियंत्रित करता है। शरीर की गर्मी जैसे कि शरीर का ताप, पाचक अग्नि जैसी चीजें पित्त द्वारा ही नियंत्रित होती हैं। पित्त का संतुलित अवस्था में अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी है। शरीर में पेट और छोटी आंत में पित्त प्रधानता पाई जाती है। ऐसे लोग पेट से जुड़ी समस्याएं जैसे कि कब्ज़, अपच, एसिडिटी आदि से पीड़ित रहते हैं। पित्त दोष के असंतुलित होते ही पाचक अग्नि कमजोर हो जाती है और खाया हुआ भोजन ठीक से पच नहीं पाता है।”
वर्णमा शाह ने बताया कि प्रकृति वाले लोगों के स्वभाव में भी कई विशेषताएं होती हैं। बहुत जल्दी गुस्सा हो जाना, जमा कमजोर होना, प्रतियोगिता ना करना व सेक्स की इच्छा में कमी इसके प्रमुख लक्षण हैं। ऐसे लोग काफी नकारात्मक होते हैं और उनमें से किसी की मानसिक होने की संभावना ज्यादा रहती है।
पित्त बढ़ने के कारण:
क्षामा शाह ने हमारे शरीर में पित्त बढ़ने के कई कारण बताए हैं, अगर आप प्रकृति के कारण हैं तो आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि किन किन कारणों से पित्त बढ़ता जा रहा है।
चपटे, स्थानापन्न, और तीखे खाने के पदार्थों का अधिक सेवन
ज्यादा मेहनत करना, हमेशा मानसिक तनाव और घबराहट में रहना
अधिक मात्रा में शराब का सेवन
सही समय पर खाना ना खाएं या बिना भूख के ही भोजन करें
तिल का तेल,सरसों,दही,छाछ सोडा आदि का अधिक सेवन
मांस का अधिक सेवन करना
पित्त को संतुलित कैसे करें
बढ़े हुए पित्त को संतुलित करने के लिए सबसे पहले उन कारणों से दूर रहने के कारण पित्त दोष बढ़ गया है। जाति और जीवनशैली में बदलाव करना भी बेहद जरूरी है। पित्त को संतुलित करने के लिए आप अपने व्यस्त जीवन में अपने खान-पान पर ध्यान देंगे। अधिक पित्त वाले लोगों को मूल, काली मिर्च, तेल, काजू, मूंगफली, पिस्ता, अखरोट बादाम, कॉफी और शराब से परहेज करें।

मैग्नीशियम
पर्यावरण में बदलाव के कारण फल और त्वचा में मैग्नीशियम बहुत ही कम मात्रा में मिल रहा है। जिसकी वजह से पीएमएस के समय महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। तो ये जरूरी है कि ऐसी चीजों का सेवन कई मात्रा में मैग्नीशियम की कमी को पूरा कर सकता है।
बी 12
विटामिन बी 12 की कमी के कारण आपको थकान और सुस्ती महसूस हो सकती है। ऐसे में कई बार आप ना चाहते हुए भी लो फिल कर सकते हैं और चिड़चिड़े हो सकते हैं। साथ ही विटामिन बी 12 की कमी से आपको अवसाद जैसे लक्षण भी महसूस हो सकते हैं।
लोहा
आयरन की गंभीर रूप से कमी, थकान, सांस फूलना या छाती में दर्द जैसे लक्षण महसूस होने लगते हैं। आयरन की कमी को पूरा करने के लिए आप रूट वेजिटेबल खा सकते हैं। आप सीजन के लिए सचेत से अभिज्ञात खा सकते हैं जैसे अभी सर्दियां हैं तो आप पालक खा सकते हैं, हरियाली का सौंदर्य का सौंदर्य बढ़ा सकते हैं, कंद, शकरकंद, दालों का सेवन आप कर सकते हैं।
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