रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता के इस भूकंप को ब्रिटेन से सुदूर महसूस किया गया। नौ घंटे बाद तुर्किये ने दूसरा भूकंप थर्राया जिसका तीव्रता रिक्टर 7.5 था। ऐसा लगता है कि यह भूकंप ”इंटरसेक्टिंग फॉल्ट” की वजह से आया।
भूकंप के दो बड़े झटकों ने तुर्किये में तबाही मचा दी, जहां 4000 से ज्यादा लोग मौत की नींद सो गए, हजारों घायल हो गए और कई तो अब तक मलबे में दब गए। पहला भूकंप सीरियाई सीमा के पास स्थित गजियांतेप के निकट आया। रिक्टर पैमाने पर 7.8 तीव्रता के इस भूकंप को ब्रिटेन से सुदूर महसूस किया गया। नौ घंटे बाद तुर्किये ने दूसरा भूकंप थर्राया जिसका तीव्रता रिक्टर 7.5 था। ऐसा लगता है कि यह भूकंप ”इंटरसेक्टिंग फॉल्ट” की वजह से आया। यह स्थिति तब होती है जब एक टेक्टोनिक प्लेट दूसरी के ऊपर आने की कोशिश करती है।
तुर्किये सरकार की दुर्घटना तो इस तबाही में 3,450 से अधिक इमारतें ज़मींदोज़ हो गईं। इनमें से कई इमारतों की बनावटी बनावट के ”पैनकेक मॉडल” के आधार पर बनाया गया था, लेकिन यह मॉडल भूकंप के आगे नाकाम साबित हुआ। ऐसा हुआ क्यों ? इसकी वजह से भूकंप की अत्यधिक तीव्रता या इन इमारतों में कोई समस्या थी? भूकंप आज से नहीं, हजारों साल से आ रहे हैं। तुर्किये में भूकंप आम हैं क्योंकि यह देश भूकंप की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील क्षेत्र में आता है।
ऐसे क्षेत्र में जहां पृथ्वी की सतह के नीचे तीन टेक्टोनिक प्लेटें लगातार एक दूसरे के साथ घर करती रहती हैं। कम से कम 2000 साल से तुर्किये भूकंप का सामना कर रहा है। 17वीं शताब्दी में कई शहर इस आपदा में बंध गए थे। भूकंप अक्सर ”ईस्ट एनाटोलियन फॉल्ट” जोन में आते हैं जो अरेबियन और एनाटोलियन टेक्स्टोनिक लिपिक के बीच में, सीमा पर स्थित है। ये दोनों प्लेटें हर साल 6 से 10 मिमी की गति से एक दूसरे के पास आ रही हैं। इस क्षेत्र में आय का दबाव रुक गया है, भूकंप के कारण धीरे-धीरे कम हुआ है। यह शॉर्टकट-बरस चला गया।
इसे देखते हुए हाल ही में आने वाले भूकंप स्तंभकारी नहीं हैं। यह भी जाहिर है कि यहां की रचना भी जोखिम के साए में है। पिछले करीब 2000 साल में हमने ऐसी इमारतों के निर्माण के बारे में बहुत कुछ खुश किया है जो भूगर्भीय हलचल होने पर सुरक्षित रहें। लेकिन यह भी सच है कि इस क्षेत्र में तथा दुनिया के दूसरे हिस्सों में इमारतों का निर्माण प्रभावित होने के कई कारक भी हैं। गुणवत्तापूर्ण निर्माण न होना एक सर्वविदित समस्या है। ऐसा होता है कि क्षतिग्रस्त हुई कई इमारतें भूकंप की दृष्टि से पर्याप्त दृढ़ीकरण के बिना, कंक्रीट से बनी थीं।
इस क्षेत्र में भूकंप संबंधी कोड संकेत देते हैं कि इन इमारतों को इतना मजबूत होना चाहिए कि वे भूकंप के संकेत संकेत दें। ये आम संकेत तौर पर भूमि में सामान्य गुरुत्व के 30 से 40 प्रतिशत अधिक होते हैं। ऐसा लगता है कि 7.8 और 7.5 तीव्रता के भूकंप की वजह से कंपनियों की दर गुरुत्व के 20 से 50 प्रतिशत के बीच हो रही है। ”डिजाइन कोड” से कम तीव्रता की थर्राहट भी ये इमारतें नहीं सह पाईं। तुर्किये और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षित इमारतों का निर्माण सुनिश्चित करना और भूकंप के मद्देनजर ”इमारत कोड” का पालन करना एक बड़ी समस्या है। अतीत में तुर्किये में जब भी भूकंप आया, इमारतें उसी तरह धराशायी हुईं।
1999 में इज्मित के निकट आए भूकंप में करीब 17,000 लोग जान गंवा बैठे थे और लगभग 20,000 मकान मिट्टी में मिल गए थे। 2011 में आए भूकंप से सैकड़ों लोगों की मौत की नींद सुला दी थी। तुर्किये के प्रत्यक्ष प्रधानमंत्री रजब तैयब एर्दोआन ने तब मृतकों की अधिक संख्या के लिए इमारतों की गुणवत्ताहीन निर्माण को दोषी करार दिया था। उन्होंने कहा था ”नगर शरीर, सूक्ष्मदर्शी, पर्यवेक्षकों को देखा जाना चाहिए कि उनकी मिली-जुली मौत की वजह है।”
इमारतों के पुनर्निर्माण तुर्किये के अधिकारी जानते हैं कि कई इमारतों को सह नहीं पाए हैं, लेकिन यह समस्या उनके समाधान से परे है। कई स्थितियाँ अवरुद्ध हो जाती हैं और भूकंपीय रोधी उपाय या तो ऊँचे-ऊँचे हो सकते हैं या अन्य सामाजिक आर्थिक दखल के कारण उन पर प्राथमिकता से विचार नहीं किया गया। बहरहाल, इन निर्माण कार्यों का पुनर्निर्माण इन्हें और अधिक सुरक्षित बनाने का अवसर दे सकता है। तुर्किये की इमारतों को भूकंप की चपेट में लाने के लिए 2019 में नए नियम तय किए गए थे। इन नियमों का स्वागत तो किया गया लेकिन यह देखा जाना अभी बाकी है कि क्या अपनी संपत्ति की गुणवत्ता में वास्तव में सुधार हो सकता है?
भूकंप से अवसंरचना को जिस तरह से नुकसान पहुंचता है, उससे पर्यावरण को दूरगामी प्रभावों की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता। इन प्रभावों की वजह से भी कई जगहों पर इमारतों का पुनर्निर्माण पूरा हो सकता है। यह देखते हुए जरूरी है कि जहां निर्माण किया जाना है, इस संबंध में योजना बना कर निर्णय लिया गया है ताकि भविष्य में जोखिम का खतरा कम हो सके। फ़िलहाल, भूकंप के संकेत आ रहे हैं, और खोज एवं बचाव के प्रयास भी जारी हैं। व्यवस्था पटरी पर आने के बाद, पुनर्निर्माण शुरू हो जाएगा।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।













