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होली 2023 मुहूर्त: होलिका दहन 6 या 7 मार्च को, जानिए अपनी राशि का शुभ मुहूर्त और शुभ रंग – ज्योतिष हिंदी में

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होली 2023 मुहूर्त: वसुधैव कुटुंबकम की भावना से ओतप्रोत भारतीय समाज अपने अंदर रिश्ते भाईचारे की भावना को धारण करते हुए अबीर, गुलाल और रौशनी से साराबोर करके पुराने ऋणात्मक उद्धरण को दूर के लिए वर्ष के श्रेष्ठ दिन होली मनाते हैं जाता है। फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष में भद्रा से पूर्ण पूर्णिमा तिथि में होलिका जलाई जाती है। तत्पश्चात रंगोत्सव का पर्व शुरू होता है।

प्रत्येक वर्ष कृष्ण रंगोत्सव का महान पर्व चैत्र पक्ष प्रतिपदा को मनाई जाती है। व्रत के लिए पूर्णिमा का मान 6 मार्च दिन सोमवार को होगा। क्योंकि 6 मार्च को ही दिन में 3:57 को पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जाएगी। जो 7 मार्च को सायंकाल 5:40 पर ही समाप्त भी हो जाएगा। ऐसे में पूर्णिमा तिथि 6 मार्च की रात को ही प्राप्त होगी। शास्त्रों के अनुसार होलिका पूर्णिमा तिथि में भद्रा की अनुपस्थिति में किया जाता है। लेकिन इस साल मृत्युलोक की भद्रा 6 मार्च दिन सोमवार को दिन में 3:57 से शुरुआत होने की रात में 4:49 तक विशाल होगा। ऐसी स्थिति में होलिका दहन पूर्णिमा तिथि 6 मार्च की रात भद्रा के पुच्छ 12:23 से लेकर 1:35 के मध्य होलिका को श्रेष्ठ फल प्रदायक हो सकता है। स्नान दान के लिए पूर्णिमा तिथि एवं काशी में रंगों की होली का प्रसिद्ध पर्व 7 मार्च को मंगलवार को मनाया जाएगा।

हालांकि कि पश्चिमी भारत के पंचांग में कुछ परिवर्तन की स्थिति होने के कारण ही होलिका दहन की दो तिथियां प्राप्त हो रही हैं परंतु काशी के पंचांग के आधार पर लिया जाता है तो होलिका दहन का सबसे शुभ मुहूर्त 6 तारीख की रात में ही है क्योंकि पूर्णिमा चतुर्दशी युक्त होने पर ही होलिका दहन के लिए ग्राह्य माना जाता है। पूर्णिमा के साथ चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा होने पर शास्त्रों में ग्राह्य नहीं है। शास्त्र के प्रमाण और परंपरा के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष प्रतिपदा तिथि में रंग की होली रंगोत्सव तथा धुरण्डी का पर्व 8 मार्च दिन बुधवार को काशी के अन्यत्र सर्वत्र मनाया जाएगा। इसीलिए काशी को छोड़ कर पूरे भारत में 8 मार्च दिन बुधवार को घोड़ों का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन होलिका की भस्म को मस्तक पर टच करके आगामी संवत्सर की सलाह की कामना की जाती है। यह पर्व अपने एवं पराए का भेद मिटा कर अभिमान को दूर कर, स्नेहा शुद्ध शुद्ध मानसिक उद्धरण के साथ 8 मार्च मनाया जाएगा।

कुछ पश्चिमी क्षेत्र के पंचांगों की स्थिति देखी जाए तो कहीं-कहीं पर पूर्णिमा तिथि का मान 7 की रात में 8:00 बजे तक व्याप्त हो रहा है ऐसी स्थिति में 7 मार्च को सायंकाल 8:00 बजे से पहले होलिका दहन किया जा रहा है है। यही मूल कारण है कि होलिका दहन के लिए दो दिन प्राप्त हो रहे हैं लेकिन काशी के पंचांगों की पूर्णिमा तिथि 7 मार्च को दिन में 4:49 पर ही समाप्त हो जाए क्योंकि पूर्णिमा 7 मार्च की रात में भी मिल नहीं रही है । इस तरह की परिस्थितियाँ कई बार बनी रहती हैं, तो उनका यह निर्णय होता है कि पूर्णिमा का मान अनिवार्य रूप से पूर्णिमा के रूप जाने पर अर्थात चैत्र पक्ष प्रतिपदा के प्रारंभ हो जाने पर होलिका क्रिया नहीं होती है।

पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली के अनुसार राशियों के अनुसार रंग और अबीर-गुलाल पकड़ना और लगाने से पर्व की शुभता में वृद्धि होती है।

राशि के अनुसार शुभ रंग:
मेष : लाल और गुलाबी रंग।
वृष : पीला व हरा रंग।
मतलब : हरा और पीला रंग।
कर्क : लाल और पीला रंग।
सिंह : लाल और गेरुआ रंग।
कन्या : हरे रंग का अबीर।
तुला : लाल, नीला और हरा रंग।
स्कॉर्पियो :लाल और पीला रंग।
धनु : लाल और पीला रंग।
मकर: नीला और हरा रंग।
कुंभ : लाल रंग।
मीन : पीला और गेरुआ रंग।

 


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