
एटा मेडिकल कॉलेज: उत्तर प्रदेश के एटा मेडिकल कॉलेज में मानवाधिकार बच्चों को लगाने वाले इंजेक्शन से ही अन्य बच्चों को भी इंजेक्शन लगाने से हाइवी फैलाने का गंभीर आरोप सामने आया है। इस गंभीर आरोप की शिकायत एटा के जिला अधिकारियों ने अंकित कुमार अग्रवाल से की। इसके बाद अधिकारियों ने जिला एटा मेडिकल कॉलेज प्रशासन को इसकी जांच के निर्देश दिए। इस गंभीर आरोप से एटा मेडिकल कॉलेज में हड़कंप मच गया।
यह गंभीर आरोप एटा जनपद मुख्यालय की ही रहने वाली एक महिला मीनाक्षी भारद्वाज ने लगाया। उनकी 7 साल की बेटी भी इसी मेडिकल कॉलेज में 20 फरवरी से भर्ती है। इस महिला का आरोप है कि उसकी एक ही शक से सभी बच्चों को इजेक्शन लगाने का विरोध करने पर नर्स ने कहा कि हम छत कोयल गड़बड़ी से पानी साफ कर लेते हैं। आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है। इसी तरह का ही आरोप एक और महिला रीता ने लगाया है, जिसका 5 महीने का बेटा अंश इसी मेडिकल कॉलेज में 28 फरवरी 2023 से भर्ती है। रीता रोते हुए पूछती है कि उसकी अब चिंता सता रही है कि कहीं डॉक्टर्स की मिलीभगत से उसके 5 महीने का बेटा भी हम नहीं हो जाते। इसी तरह के आरोप अन्य मरीज भी रहे हैं। हालांकि जीवित रहने वाली लड़की को एटा मेडिकल कॉलेज ने समझा दिया है।
मामले की जांच में जुट गए अधिकारी
एटा के निधौली रोड निवासी एक महिला साक्षी भारद्वाज ने एटा के जिला अधिकारियों को भी शिकायत पत्र भेजकर इस पूरे मामले की जांच करवाकर कार्रवाई करने की मांग की है। महिला के अनुसार इसी मेडिकल कॉलेज में एक बच्ची की अधिकार जताने वाली निकली है और उसी स्थिति से उस लड़की को भी इजेक्शन दिया गया और बाकी सभी बच्चों को भी उसी छत से इजेक्शन दिया गया। जब महिला ने इस बात की शिकायत की तो मेडिकल कॉलेज ने रात में ही उसकी बच्ची की मेडिकल कॉलेज से छुट्टी कर दी। महिला की शिकायत पर महिला अस्पताल के सीएमएस अशोक कुमार इस मामले की जांच में जुट गए हैं। सीएमएस अशोक कुमार ने कहा कि मैं इस मामले की जांच कर रहा हूं, जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
इस मामले में अपर जिला अधिकारी प्रशासन आलोक कुमार ने कहा कि इस प्रकार के शासन और प्रशासन के स्पष्ट निर्देश हैं कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग-अलग सुई का प्रयोग किया जाए। उन्होंने बताया कि ये गंभीर मामला है। इस मामले की जांच की जा रही है, जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे उन्हें होश से कार्रवाई की जाएगी। एटा मेडिकल कॉलेज के प्रशासन ने इस शिकायत को ग्रेविटास से लिया और वर्तमान में भर्ती सभी चारों बच्चों को रोकने के लिए प्रीकॉशनरी डोज दे दी। अब इनका एक माह बाद दुबारा परीक्षण किया जाएगा, तब भी ऐसा नहीं है कि इसके अधीन होने के लक्षण आते हैं कि नहीं। इस बीच ऐसे बच्चों के घरों में भी जांच की जाएगी, जो इस दौरान मेडिकल कॉलेज से बनाए गए हैं। उन पर भी एक ही सीधे बच्चे को इंजेक्शन लगाने का आरोप लगाया गया था।
इस बीच मेडिकल कॉलेज का प्रशासन उन बच्चों की भी खोजबीन कर रहा है, जो बीच-बीच में शोध कर दिए गए और उन्हें भी इसी एक सुई से इंजेक्शन दिए गए थे। कुल मिलाकर बच्चों की संख्या में वृद्धि भी हो सकती है। एटा मेडिकल कॉलेज के घोर दोषी से कई बच्चों को एचआईवी होने की भावना बढ़ रही है। इस कारण मेडिकल कॉलेज में भर्ती अन्य बच्चों के माता-पिता को अब इस बात की चिंता सता रही है कि अब उनके बच्चों का क्या होगा?
स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने बैठी जांच
वहीं जब यह मामला उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक के सामने आया तो उन्होंने इसे बड़े पैमाने पर लिया। स्वास्थ्य मंत्री ने इस मामले पर जांच बिठाई है, डिप्टी सीएम ने इस मामले में जांच कर जल्द रिपोर्ट देने के लिए एटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को निर्देश दिया है। रिपोर्ट के आधार पर किसी भी चिकित्सक के दोषी पाए जाने पर उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं एटा मेडिकल कॉलेज का प्रशासन इस मामले को अवलोकन में जुटा रहा है।
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