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आने वाले समय में हिंदी का ‘महाकुंभ’ दिखेगा विश्व हिंदी सम्मेलन: जयशंकर

जयशंकर ने यहां आयोजित 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन समारोह को संदेश देते हुए कहा कि हिंदी को विश्व बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि सभी हिंदी प्रेमी मिलजुल कर काम करें।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने आशा व्यक्त की है कि विश्व हिंदी सम्मेलन आने वाले समय में हिंदी का महाकुंभ दिखाई और हिंदी को विश्व बनाने में लगे हिंदी ग्राहकों को महत्वपूर्ण मंच उपलब्ध होगा। जयशंकर ने यहां आयोजित 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन के समापन समारोह को संदेश देते हुए कहा कि हिंदी को विश्व बनाने का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि सभी हिंदी प्रेमी मिलजुल कर काम करें। फिजी के इस प्रमुख शहर में 15 से 17 ग्रेडर तक तीन दिन चले सम्मेलन में तीस से अधिक देशों के एक हजार से अधिक हिंदी व लेखकों ने भाग लिया।

समापन समारोह में फिजी के उप-प्रधानमंत्री बिमान प्रसाद भी मौजूद थे और उन्होंने सम्मेलन को फिजी के लिए ऐतिहासिक वक्तव्य देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री सितवेनी रबूका के नेतृत्व वाली सरकार देश में हिंदी को कमजोर करने के लिए सभी संभव कदम उठा रही है। अपने राजनीतिक दृष्टिकोण पर ध्यान देते हुए उन्होंने टिप्पणी की कि पिछले 10-15 वर्षों में हिंदी को यहां कमजोर करने की कोशिशों की वजह से गए।

जयशंकर ने धोखा दिया कि विश्व हिंदी सम्मेलन आगामी समय में हिंदी का महाकुंभ बन कर उभरेगा और हिंदी को विश्व बनाने की कोशिशों में जुटे हिंदी प्रेमियों को महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा। जयशंकर ने फिजी के नेतृत्व में बुधवार को चर्चा का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री रबूका को गति दी है कि भारत फिजी के साथ सांस्कृतिक संबंध को और आगे देने के लिए कदम उठाएगा।

जयशंकर ने खुलासा किया कि प्रधानमंत्री रबूका ने दोनों देशों के बीच दोस्ती की तुलना के लिए सत्तर के दशक में आई बॉलीवुड की बेहद लोकप्रिय फिल्म ‘शोले’ का जिक्र किया। विदेश मंत्री के अनुसार, प्रधान मंत्री रबूका ने उन्हें बताया कि ‘शोले’ उनकी सबसे पसंदीदा फिल्म है और उनका गाना ‘ये दोस्ती, हम नहीं तोड़ेंगे ….’ उन्हें विशेष रूप से प्रिय है। जयशंकर ने सम्मेलन में भाग लेने वालों का आनंद लेते हुए ट्वीट किया, ”दुनिया भर से 12वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में भाग लेने के लिए फिजी आए हिन्दी के जिज्ञासु और हिन्दी प्रेमियों से मिलकर अच्छा लगा। हिन्दी के प्रति उनका प्रेम और इसके प्रचार के प्रति उनका उल्लेख उल्लेखनीय है।”

उन्होंने इस समारोह में शामिल होने के लिए फिजी के राष्ट्रपति रातू विलीमे कटोनिवेरी, प्रधानमंत्री सितवेनी रबूका और उप प्रधानमंत्री प्रसाद सहित भौतिक सरकार का आनंद लिया। जयशंकर ने एक और ट्वीट किया, ”तीन दिवसीय इस सम्मेलन में फिजी और भारत की शक्ति सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पुनर्निर्माण की छवि स्पष्ट रूप से दिखाई दी।” उन्होंने कहा, ”दोनों देशों की संस्कृति और विशेषताओं के बीच परस्पर संबंध और सहयोग का कमजोर आधार हैं।”

समापन समारोह में देश – विदेश में हिंदी के प्रचार, प्रसार व विकास के लिए काम कर रहे हैं 25 संबद्ध कार्यकारियों को भी सम्मानित किया गया। विदेश मंत्री वी मुरलीधरन ने बताया कि सम्मेलन के 10 मिनट के दौरान विभिन्न मामलों पर गंभीर चर्चा हुई और इसका निष्कर्ष निकल कर आया कि हिंदी काफी राज्य है और तकनीक के साथ सामंजस्य स्थिति में सक्षम है। सम्मेलन का मुख्य विषय ‘हिंदी-पारंपरिक ज्ञान से कृत्रिम मेधा तक’ था।

सम्मेलन के अंत में जारी एक प्रतिवेदन में कहा गया कि भारत और फिजी सहित विश्व के अन्य देशों के प्रतिनिधियों ने यहां 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन में एक सुर में यह बात कही कि कृत्रिम मेधा (स्थिति) जैसी आधुनिक सूचना, ज्ञान एवं अनुसंधान तकनीक का हिंदी माध्यम में प्रयोग करके भारतीय ज्ञान परंपरा और अन्य पारंपरिक ज्ञान को विश्व की बहुत बड़ी आबादी तक पहुँचाया जा सकता है। प्रतिवेदन के अनुसार, सम्मेलन में विश्व हिंदी समझौते को बहुराष्ट्रीय संस्था के रूप में विकसित करने और प्रशांत सहित क्षेत्र विश्व के अन्य घटकों में इसके क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

15 से 17 फरवरी 2023 तक प्रशांत क्षेत्र के फिजी देश के नांदी शहर में दुनिया के प्रति अधिकार रखने वाले दुनिया के सभी नागरिकों के बीच हिंदी को संपर्क-संवाद की के रूप में विकसित करने के लिए नियमित सड़कों पर आयोजित विश्व हिंदी सम्मेलनों की कड़ी में 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया। प्रतिवेदन में कहा गया है कि रिपोर्टिंग पर आधारित विश्व व्यवस्था को सहकार, समावेशन और सह-अस्तित्व पर आधारित वैकल्पिक दृष्टि प्रदान करने में हिंदी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

इसमें कहा गया है कि ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ (पूरी पृथ्वी ही परिवार है) और ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ (सभी प्राणी सुखी) के आधार पर अंतरराष्ट्रीय आवश्यकताओं की जांच के लिए वैश्विक बाजार का निर्माण किया जा सकता है। प्रतिवेदन में कहा गया है कि सूचना प्रौद्योगिकी जैसी आधुनिक ज्ञान संदेश का रूटीन का उपयोग करते हुए हिंदी मीडिया, सिनेमा और जनसंचार के विविध नए माध्यमों ने हिंदी को विश्व के रूप में बढ़ा की नई संभावनाओं के पोर्टल जारी किए हैं। विदेश मंत्रालय ने बताया कि सम्मेलन के उद्धाटन समारोह में फिजीजी सरकार ने एक स्मारक डाक टिकट जारी किया। इस अवसर पर एक विशेष स्मारिका और पांच अन्य प्रकाशनों का विमोचन भी किया गया।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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