
UNITED NEWS OF ASIA. बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने राज्य के सभी जिला एवं सत्र न्यायालयों में पदस्थ जिला न्यायाधीशों और वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों से अपनी संपत्तियों का वार्षिक विवरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। यह विवरण 2024 तक की स्थिति के आधार पर मांगा गया है।
सभी जिलों के न्यायिक अधिकारियों पर निर्देश लागू
इस आदेश के तहत बालोद, बलौदा-बाजार, बस्तर (जगदलपुर), बेमेतरा, बिलासपुर, बलरामपुर-रामानुजगंज, धमतरी, दुर्ग, रायपुर, जशपुर, कबीरधाम (कवर्धा), मुंगेली, कोरबा, रायगढ़, राजनांदगांव, सरगुजा (अंबिकापुर, सूरजपुर), महासमुंद, उत्तर बस्तर (कांकेर), कोरिया (बैकुंठपुर), जांजगीर-चांपा, कोंडागांव, दक्षिण बस्तर (दंतेवाड़ा) सहित सभी जिलों के न्यायिक अधिकारियों को यह जानकारी देने का निर्देश दिया गया है।
निर्धारित प्रक्रिया और समयसीमा
- ईमेल और हार्ड कॉपी से प्रस्तुत करें विवरण: अधिकारियों को संपत्तियों का विवरण हाईकोर्ट रजिस्ट्री में ईमेल के माध्यम से 28 फरवरी 2025 तक जमा करना होगा। इसके साथ ही, विवरण की हार्ड कॉपी भी पंजीकृत डाक के माध्यम से भेजने का निर्देश दिया गया है।
- सीधे व्यक्तिगत रूप से न करें जमा: हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि कोई भी अधिकारी अपनी संपत्तियों की घोषणा व्यक्तिगत रूप से जमा नहीं करेंगे। यह केवल निर्धारित प्रारूप में प्रस्तुत की जाएगी।
- प्रारूप की अनिवार्यता: हाईकोर्ट ने सभी अधिकारियों को संपत्ति की जानकारी निर्धारित पीडीएफ प्रारूप में प्रस्तुत करने को कहा है।
वार्षिक प्रक्रिया का हिस्सा
न्यायिक अधिकारियों के लिए हर साल अपनी संपत्ति का विवरण प्रस्तुत करना अनिवार्य होता है। यह प्रक्रिया न्यायपालिका की पारदर्शिता और जिम्मेदारी को बनाए रखने के उद्देश्य से की जाती है।
हाईकोर्ट का रुख
हाईकोर्ट ने संबंधित जिला न्यायाधीशों को निर्देश दिया है कि वे अपने जिले में पदस्थ सभी न्यायिक अधिकारियों से समयसीमा के भीतर यह विवरण प्रस्तुत कराएं। आदेश का पालन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी संबंधित जिला न्यायाधीशों की होगी।
संपत्ति की वार्षिक घोषणा न्यायिक प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा है, जो न्यायपालिका की पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देती है। हाईकोर्ट द्वारा इस दिशा में सख्ती से कदम उठाए गए हैं ताकि प्रक्रिया सुचारू और समयबद्ध तरीके से पूरी हो सके।
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