बार-बार कहते हुए सुना होगा कि बच्चों को ज्यादा डांटना गलत है। मगर फिर भी कुछ लोग इसका उल्टा कारण बनते हैं। पेरेंटस (माता-पिता) की डांट का नकारात्मक प्रभाव (नकारात्मक प्रभाव) बच्चे के अंदर कई प्रकार के विकार (विकार) का कारण साबित हो सकता है। वहीं कई बार माता पिता दोनों का कामकाजी होना भी बच्चे के अंदर मेंटल डिसऑर्डर की वजह बन सकता है। आइए जानते हैं क्या है मेंटल डिसऑर्डर और इसके कारण (Reasons of Mental Disorder)।
मेंटल डिसऑर्डर
मेंटल डिसऑर्डर चिल्ड्रन के ब्रेन (ब्रेन) की एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चा हर समय घबराहट, क्रैनकी और गुस्सा में रहता है। हैंलाकि माता-पिता के बच्चों का ये व्यवहार सामान्य लग सकता है। मगर इसका उपचार आवश्यक है। ये एक ऐसे खतरे की घंटी है, जिस पर बच्चे का भविष्य कायम रहता है। आइए इसके बारे में राजकीय मेडिकल कालेज हल्दवानी में मनोवैज्ञानिक डॉ राजकुमार पंत से जानते हैं कि ऐसी स्थिति में क्या करेंगे।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
मेंटल डिसऑर्डर के शिकार बच्चों में कुछ अन्य लक्षण भी पाए जाते हैं। इसके बारे में ज्यादा दे रहे हैं, डॉ अर्जुन पंत।
भाषा विकार
ऐसे बच्चों को पढ़ने और लिखने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। न केवल पढ़ने में मुश्किल का सामना करना पड़ता है बल्कि ऐसे बच्चे लिखना भी देर से शुरू करते हैं। बहुत से मामलों में देखा गया है कि बच्चे पेंसिल पकड़ने के लिए तैयार नहीं होते हैं।
तनावग्रस्त डेफिसिट हाईपरएक्टिव विकार
तनावग्रस्त डेफिसिट हाईपरएक्टिव डिसऑर्डर एक ब्रेन डिसऑर्डर है। इसमें बच्चे किसी भी चीज में ध्यान लगाने में असमर्थ होते हैं। वे हमेशा ही अलग व्यवहार करते हैं। पढ़ने या खेलने में भी एकाग्रता की कमी दिखाई देती है।
ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम विकार
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर डिले स्पीच का एक प्रमुख कारण सिद्ध होता है। ऐसे बच्चे अपनी उम्र के होश से चीजें नहीं चुनते हैं। वे बोलने में अन्य बच्चों की तुलना में पिछड़ जाते हैं। हर वक्त हर व्यक्ति को सुनते और नोटिस करते हैं, मगर खुद बोलने का प्रयास नहीं करते।
कंडक्ट डिसऑर्डर
इस बीमारी में बच्चा हर काम अपनी मर्जी से करता है। उसका रवैया मनमाना हो जाता है। बच्चा हर काम करता है। इसके अलावा ऑनसाइड जवाब देना और गाली गलोच भी करता है।
विकास विकार
इसमें बच्चे का विकास रुक जाता है। बच्चा डिवेलपमेंट माइलस्टोन से निकल जाता है। हर काम और गतिविधियों में विलम्भ होने लगता है।
डरावने सपने देखना
नींद में आंखें, चीजें करना और डरावने सपने देखना, डिसऑर्डर को देखते हैं। ऐसे बच्चे अक्सर सोने से कतराते हैं। उन्हें लगता है कि अगर हम सोऐंगे, तो वही डरावना सपना हमारी आंखों के सामने से दुर्घटना दुर्घटना को फिर से लौटा देगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि माता-पिता का अवांछित व्यवहार भी हो सकता है। इसके अलावा दिनभर में देखने वाले कार्टून करेक्टर या फिल्में भी डरावने सपने के कारण साबित हो सकते हैं।
जल्दी इरीटेट हो गया
बहुत से बच्चे ऐसे होते हैं, तो छोटी-छोटी बातें जल्दी खराब होने लगती हैं। कारण मन का अशांत होना। अगर आपका बच्चा भी बात पर इरिटेट होने लगता है, तो इसका कारण माता पिता का व्यवहार हो सकता है। साथ ही ज्यादा स्क्रीन टाइम मिलने से भी बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है। दरअसल, ज्यादा देर तक टीवी या वीडियो गेम खेलने से बच्चे मानसिक स्तर पर धीरे-धीरे वयस्क होते हैं। इससे उनकी सीखने की क्षमता भी कम होने लगती है।
ज्यादा बातचीत न करना
ऐसे बच्चे एकांत विवरण हैं। दूसरों की संगति में बैठो और चीजें कम कर दो। कई बार घर में होने वाले झिंझोड़ बच्चों के दिमाग पर गहरा असर डालता है। इससे उनका मनोबल लगता है। वे घर से ज्यादा समय बाहर रहना पसंद करते हैं। बच्चों को हर वक्त डांटने से उनका काफिडेंस खत्म हो जाता है। नतीजन वे बात करने से कतराने लगते हैं।
हर पल रुकते रहे
बच्चों में एक ऐसा पावर टॉनिक होता है, जो दिन भर उन्हें एनर्जी बनाए रखता है। मगर जो बच्चे मानसिक विकार का शिकार हो जाते हैं, वे हर दम अंदर ही अंदर खुद से एक जंग लड़ने लगते हैं। ज्यादा सोच-विचार और खुद को कम शालीनता के कारण वे हर काम से चुरा लेते हैं। अब वो हर काम को करने से पहले थकान का अनुभव करते हैं। उनका बैलेंस बाकी बच्चों की तुलना में हमेशा कम ही रहता है। इसके चलते वे पढ़ाई पर पूरा ध्यान नहीं देते हैं।
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