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दुनिया में ऐसा शायद ही कोई इंसान हो, जिसकी जिंदगी में कोई प्रॉब्लम नहीं हो। क्योंकि परेशानियां जिंदगी का एक हिस्सा है। कई लोग अपनी स्थिति से इतना अधिक डर जाते हैं कि उनका प्रभाव उनके दैनिक जीवन में स्पष्ट नजर आता है। हमेशा तनाव में रहना, घबराहट होना या बात-बात पर गुस्सा आना उनकी मानसिक सेहत को प्रभावित करने वाले होते हैं। ऐसी समस्या को एंग्जाइटी डिसऑर्डर भी कहा जाता है। अधिकतर मामलों में कुछ दवाओं और प्रैक्टिकल प्रैक्टिस के जरिए इसे कंट्रोल किया जा सकता है। लेकिन कई बार जब यह हमारी समस्या जीवनशैली को फिर से प्रभावित करती है। इसे एंग्जाइटी रिलैप्स (चिंता के फिर से होने के लक्षण) कहा जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति का मानसिक स्वास्थ्य उसका कंट्रोल में नहीं रहता है।
इस विषय पर जानने के लिए हमने बात की कि मानस्थली से बुजुर्ग मनोचिकित्सक और फाउंडेशन डॉ ज्योति कपूर से, जिनके बारे में विशेष जानकारी दी।
जानिए एंग्जाइटी रिलैप्स क्या है?
एंजाइटी डिसऑर्डर रिलैप्स ज्यादातर एंग्जाइटी डिसऑर्डर और पैनिक अटैक का इलाज समय पर होता है। यह समस्या ठीक होने के दौरान या कई वर्षों बाद भी हो सकती है। इस आदेश के पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। लेकिन यह एक ग्लोबल बात माना जा सकता है, क्योंकि हम सिर्फ किसी एक कारण को कारण नहीं मान सकते।
एंजाइटी के वापस लौटने के कारण क्या हो सकता है?
1. आप ओवरबर्डन हैं
अगर आप लंबे समय से खुद पर भार डाल रहे हैं, तो यह सीधा असर आपके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है। यह एंजाइटी रिलैप्स का कारण भी बन सकता है। इसलिए अपने काम के शेड्यूल को पहले बैलेंस करके रखें।
2. पूरी नींद नहीं ले रहे हैं
अगर आप अपनी नींद के साथ जुड़ रहे हैं। तो यह आपके फिजिकल हेल्थ के साथ मेंटल हेल्थ को भी प्रभावित कर सकता है। अधूरी नींद एंजाइटी के लक्षण बढ़ने का मुख्य कारण होता है।
3. आपने कारण को ठीक से समझा नहीं
इसके लक्षणों की शुरुआत से ही आपको होती है ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि आप इसके लक्षणों को नहीं पहचानते हैं। तो यह फिर से मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है।
4. आप अपनी बाउंड्री सेट नहीं कर सकते हैं
अपने काम और निजी जीवन के बीच संतुलन न बनाना आपको मुश्किल में डाल सकता है। इससे आपका तनाव ही बढ़ता है और आपको गुस्सा, घबराहट महसूस होने लगती है।
हम इसके लक्षणों का कैसे पता लगा सकते हैं? ((चिंता वापसी के लक्षण)
सोने की प्रतिक्रिया में बदलाव
अगर आपकी नींद में लंबे समय से बदलाव आ रहा है, तो इससे ग्रहण हो सकता है। इस समस्या में आपको या तो बहुत ज्यादा या बहुत कम नींद आएगी। ऐसे लोगों की नींद विवरण पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं रहता।
ईटिंग हैबिट्स में बदलाव
मनोचिकित्सक यथार्थवाद के अनुसार एंग्जाइटी डिसऑर्डर रिलैप्स से ग्रस्त व्यक्तियों की ईटिंग हेबिट्स में तेजी से बदलाव आने लगता है। इन्हें खाने में समस्या होने के साथ भूख न लगना या अचानक भूख का बढ़ना जैसे रोग हो सकते हैं।
सोशल प्लेन से बचें
जो लोग एंग्जाइटी डिसऑर्डर रिलैप्स से ग्रस्त होते हैं, उनमें से विशेष रूप से रहने जैसी आदतें देखी जाती हैं।
मूड में बदलाव
एंजाइटी रिलैप्स की समस्या मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी होती है, इसलिए किसी व्यक्ति के मूड में बदलाव देखने को मिलता है। इससे व्यक्ति को तनाव, क्रोध और ग्रसित होने जैसे रोग होते हैं।
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इस आदेश से कैसे अधिकृत या सहेजे जा सकते हैं?
पर्याप्त आराम लें
अक्सर लोग ओवरटाइम या काम से ब्रेक लेने की आदत बना लेते हैं। उनमें एंग्जाइटी रिलैप्स के लक्षण आते हैं। यदि कोई व्यक्ति इस समस्या से ग्रस्त है तो उसे पर्याप्त आराम देना चाहिए। जिससे उनके मेंटल हेल्थ को भी आराम मिला।
निश्चित निश्चित करें
आपको अपने समय और प्रतिबद्धता के बीच संतुलन बनाए रखना होगा। इससे आपको इस समस्या से बाहर निकलने में मदद मिलेगी।
अपनी भावनाओं को फ्रैंक व्यक्त करें
डॉ यथास्थिति कपूर के अनुसार इस समस्या से पीड़ित व्यक्ति को अपनी भावनाओं और दृश्यों को देखने की कोशिश करनी चाहिए। अन्यथा फ्रैंक बात न करने के कारण परेशानी हो सकती है।
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