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पोटली मत भारत की प्राचीन औषधीय परंपराओं (पारंपरिक चिकित्सा पद्धति) में से एक है। इसे बनाने के लिए सूखे और ताजी दोनों प्रकार की जड़ी-बूटियों को पोटली में कारण का काम किया जाता है। शरीर के किसी भी हिस्से पर पोटली मतस करने से मांसपेशियों को आराम मिलता है। आइए जानते हैं योग व प्राकृतिक चिकित्सक अनिल बंसल से कि पोटली मालिश के फायदे और ये किस प्रकार से काम करते हैं।
पोटली माया किस तरह से काम करती है
पोटली मत एक ऐसी पारंपरिक चिकित्सा पद्धति (पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली) है, जो कुछ खास जड़ी-बूटियों के साथ फायर और वाटर तत्व (आग और पानी के तत्व) को मिलाकर तैयार की जाती है। शरीर पर जाने वाले हॉट पोटली की मालिश बंद पोर्स का ओपन करने का काम करती है। इसके अलावा मसल्स को रिलैक्स होता है। इस आरामदायक प्रक्रिया से तन के साथ मन को आराम देने वाला मोड (रिलैक्सिंग मोड) चलाया जाता है।

पोटली के तेल को बनाने की विधि
पोटली में 10 से लेकर 15 जड़ी बूटी का इस्तेमाल किया जाता है। इस आयुर्वेदिक तेल को तिल या नारियल के लिए तैयार करने के लिए तेल को किसी नॉट निकाल लें। उसके बाद सब कुछ मिला दें। इन जड़ी-बूटियों को धीमी आंच पर कुछ देरी से देखें। इसके बाद ठंडा होने पर तेल को बॉटल में निकाल लें।
कुछ दिनों तक इस तेल को धूप में रखें, ताकि सूरज की जलन से तेल में ऊर्जा प्रवाहित हो सके। हर्ब बूटियां न होने की सूरत में तेल को तैयार करने के लिए थोड़ा सा लहसुन और फाइल को तेल में गर्म करके तैयार कर लें। इससे भी बहुत फायदा मिलता है।
यहां जानिए आपके लिए कैसे लाभ हो सकता है पोटली मति
1 जोड़ों के दर्द से राहत
जड़ी बूटी और तेल को मिलाकर मलमल के कपड़ों को बांधकर बनाया गया पोटली दर्द से राहत पहुंचाता है। इसे घुटनों पर रखें, जिससे जड़ी-बूटियों की गर्माहट के झटके के दर्द से राहत पहुंचने का काम होता है। इस प्रकिया का तीन से चार बार शरीर में रक्त का प्रवाह नियमित हो जाता है।
2 एंकल टविस्ट
अगर आपका पैर हील पहना हुआ है या फिर आपका काम चल रहा है। ऐसे में इस पोटली को हील पर रखें और थोड़ा सा प्रैशर दें। तीन से चार बार एड़ी को हल्का हाथ से देखने और कुछ देर से पोटली को रखने से राहत मिलेगी।
3 त्वचा के लिए लाभ
अगर आप तेल में सरसों और नीम को मिलाकर कुछ देर तक गर्म करते हैं। फिर उसे पोटली में रेत के साथ भरकर बॉडी पर कुछ देर के लिए रखता है, तो इससे शरीर को काफी फायदा मिलता है। इससे एंजिंग की समस्या कम होती है और चेहरे पर निखार बना रहता है।

जानिए पोटली माया के प्रकार
1 हर्बल राईस पोटली
इस प्रक्रिया में एक से डेढ़ घंटे का समय लगता है। इसके लिए पहले नजावरा नाम से प्रसिद्ध औषधीय चावल होते हैं। उसके बाद उसे दुग्ध और जड़ी-बूटियों के साथ मिलाकर मिश्रण तैयार किया जाता है। शरीर के जिस अंग में मांसपेशियों के पुल बने हैं। इस पोटली को उस स्थान पर रखें। इससे मांसपेशियों को ब्लॉकी मिलती है।
2 हर्बल पोटली
इसके लिए पोटली में हब शक और क्रेज को बांधता है। इसे तैयार करने के लिए सबसे पहले तेल में कुछ देर तक हबर्स और लीफस गर्म करें। अब आपका हर्बल तेल तैयार है। इस मिश्रण को पोटली में बांध लें और प्रभावित स्थानों पर रखें। इस पोटली में हबर्स का इस्तेमाल शरीर में किसी समस्या के आधार पर नहीं होता है। इससे शरीर में ब्लड फ्लो बेहतर होता है। साथ ही शरीर में सूजन की समस्या से भी राहत मिलती है।
3 पाउडर पोटली
इसके लिए एक कपड़े में औषधीय पाउडर और तेल को मिक्स कर लें। अब इस मिश्रण को उपर से बांध दें। इसके द्वारा आप मतसम्मति करें, ताकि शरीर के सभी टॉक्सिन बाहर आ जाएं। अगर आप कफ और वात्त से जुड़ी हुई परिस्थितियों को दूर करना चाहते हैं, तो उस होश से इस पोटली का इस्तेमाल कर सकते हैं।
4 सेंधा नमक पोटली
इसे बनाने के लिए पोटली में, मेथी दाना, लहसुन को तेल में गर्म करें। इसके बाद उसे सेंधा नमक के साथ पोटली में डालें। ध्यान दें कि कपड़े के होश में सेंधा नमक डालें, ताकि पोटली अच्छी तरह से बंद हो सके। अब आप इसे पुराना दर्द महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा बॉडी वेट भी कम हो जाता है।
आप पोटली के लिए किन जड़ी-बूटियों का इस्तेमाल कर सकते हैं
मसाला करने के लिए जब आप पोटली बना रहे हों, तो यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि आप इसमें क्या बांधते हैं। इसके लिए आप अश्वगंधा, सरसों के दाने, नीम के पत्ते, हल्दी, अदरक, मेंहदी, चावल, एलोवेरा, प्याज और सूखी जड़ी-बूटियों का भी उपयोग कर सकते हैं।
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