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39 साल के विशाल उप्रेती को कुछ समय पहले सीने में दर्द (सीने में दर्द) महसूस हुआ था। हालांकि, यह दर्द बहुत लाजवाब था और कुछ ही सेकंड तक चल रहा था। विशाल और उनके परिवार को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। डॉक्टर से लिए गए परामर्श और कुछ परीक्षणों में सामने आया कि विशाल की धमनियों में ब्लड क्लॉट हैं। जिसके कारण ह्रदय तक जाने वाला रक्त सही मात्रा में नहीं पहुंच रहा था। इसके कारण उन्हें हार्ट अटैक (माइनर हार्ट अटैक) का सामना करना पड़ा।
हालांकि, शुरूआती चरण में ही बीमारी का पता लग गया था, इसलिए डॉक्टर ने बिल्कुल दवाइयां लेने और नियमित रूप से जांच करवाते रहने की सलाह दी।
इसके कुछ साल बाद जब वे मॉर्निंग वॉक से लौट रहे थे, तब कुछ ही कदम चलने के बाद उन्हें सीने में तकलीफ होने लगी और उनकी सांसें थम गईं। वह किसी तरह घर आ गया और छायांकित हो गया। उनके परिवार ने उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया, जहां ठीक तरह से जांच-पड़ताल के बाद डॉक्टरों ने उन्हें पाया दिल का दौरा आया है।
इसके बाद के डॉक्टरों ने “ऑप्टिकल कोहेरेन्स टोमोग्राफी (ओसीटी)” का परीक्षण किया जो हृदय के ध्यान के अंदर 3-डी छवि को अंकित करता है, और पाया कि उनकी महत्वपूर्ण तस्वीर से एक धमनी रक्त क्लॉट के कारण आकर्षित हुआ है।
हृदय के लिए संजीवनी साबित हो रहे हैं ये आधुनिक सुविधाएं
1 ओसीटी जरूरी है
डॉक्टरों ने ग्लेब परक्यूटेनियस कोरोनेरी इंटरवेंशन (पीसीआई) की प्रक्रिया की प्रक्रिया और धमनी को उजागर करने के लिए इसमें शामिल किए गए हैं। जिससे दिल तक ऑक्सीजन की प्रवाह इकाई के रूप में हो सके। एससीएडी की कवरेज की पुष्टि के लिए प्रक्रिया के बाद दोबारा ओटीसी किया गया। ओसीटी के दौरान कोई भी परेशानी सामने नहीं आई थी। अस्पताल में सिर्फ एक दिन भर्ती रहने के बाद डॉक्टरों ने विशाल को चिकित्सक और मेडिकल सलाह देकर दाखिल कर दिया।
ऐसी ही कई घटनाएं हैं जहा देखा गया है कि ओसीटी जैसी आधुनिक अभिलेखीय तकनीक (कोरोनरी आर्टरी डिजीज ट्रीटमेंट) की मदद से दिल की बीमारियों के इलाज में काफी तेजी आई है। निर्दिष्ट कलाकारी डिजीज हृदय वचनों में सबसे आम हृदय की स्थिति है और भारत में अभी भी चिंता का मुख्य विषय है, लेकिन इस क्षेत्र में हुई तकनीकी प्रगति ने लोगों की जीवन रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
2 परक्यूटेनियस कोरोनेरी इंटरवेंशन (PCI)
लहजे आर्टरी डिजीज (सीएडी) के इलाज (कोरोनरी आर्टरी डिजीज ट्रीटमेंट) के लिए परक्यूटेनियस कोरोनेरी इंटरवेंशन (पीसीआई) एक महत्वपूर्ण विकल्प है, जो इच्छित कलाकारी की वाल पर जाम को हटाकर रक्त को दिल तक पहुंचाने का रास्ता स्पष्ट करता है। इस प्रक्रिया में धमनी में ब्लॉकेज की पहचान होती है। इसके बाद स्टंट्स के ड्राइव से धमनी को खोला जाता है।
3 इंट्रावसकुलर अल्ट्रासाउंड (IVUS)
दशकों तक पीसीआई के निर्देशों का पालन किया गया। इसे अभी भी मानक प्रक्रिया माना जाता है, लेकिन सीएजी में कई कमियां हैं। विषुव ग्राफी (सीएजी) से स्थिति की पुष्टि नहीं करता।
वहीं, ओसीटी और आईवीयूएस (इंट्रावसक्यूलर अल्ट्रासाउंड) जैसी नई तकनीक से पीसीआई के व्यायायारिक प्रयोग से डॉक्टरों को मरीजों के इलाज के बारे में निर्णय लेने में काफी मदद मिलती है। यह विशिष्ट पैमाना प्रदान करता है, जिससे सही स्टुट चयन और डिस्क्रिप्शन में मदद मिलती है।
स्वस्थ जीवन शैली भी एक अनिवार्य विकल्प है
हालांकि, लगातार होने वाली तकनीकी प्रगति ने बुजुर्गों का बेहतर इलाज करने में मदद की है, लेकिन स्वस्थ जीवन अपनाना भी बेहद जरूरी है और दिल की बेहतर सेहत को बनाए रखने के लिए स्वस्थ जीवन को अपनाना ही मिलेगा। जीवनशैली में मामूली बदलाव और जोखिम के कारकों को पहचानें जैसे- रोज़ाना व्यायाम करना, स्वस्थ भोजन करना और धूम्रपान आदि से दूर रहने से ही दिल के अधिग्रहण में बहुत बड़ा फर्क आ सकता है।
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