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यहां 5 योग मिथक हैं।- यहां जानें योग से जुड़े कुछ सामान्य मिथक।

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योगाभ्यास हमारे शरीर के लिए कितना महत्वपूर्ण है इसकी जानकारी तो आप सभी को होगी। फ्रोजनिटी लेवलिंग करने के साथ आपका ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर लेवल को भी कंट्रोल रखने में मदद करता है। इसके साथ ही यह स्ट्रेस रिलीज करता है और आपके मानसिक स्वास्थ्य को भी बनाए रखता है। योगाभ्यास समग्र शरीर और मस्तिष्क की सेहत के लिए काफी लाभदायक है। लेकिन सालों से योग को लेकर बनी आ रही कुछ ऐसी अवधारणा है जिसके कारण कई लोग ऐसे होते हैं, जो योगाभ्यास में भाग लेने से कतराते हैं और इसके महत्वपूर्ण फायदे से विनयपूर्ण हो जाते हैं। ऐसे में आज हम लेकर आए हैं, योग से जुड़े ऐसे ही 5 मिथक जिन्हें जानना आपके लिए जरूरी है।

सेलिब्रिटी योगा और वेलनेस विशेषज्ञ अंसूका ने अपने इंस्टाग्राम के जरिए योग से जुड़े कुछ मिथक के बारे में बताया है कि किसकी जानकारी सभी को होनी चाहिए। तो जानिए इन मिथ से जुड़ी सच्चाई।

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यहां जानें योग से जुड़े कुछ सामान्य मिथ

1. योग करने के लिए शरीर का लचीला होना जरूरी है

ऐसा बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि योग करने के लिए आपका शरीर लचीला होना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति के शरीर की फ्लैक्सिबिलिटी की अपनी एक क्षमता होती है। और योगाभ्यास समय के साथ इसे प्राप्त किया जाता है। योग स्ट्रैंथ, संतुलन, फ्लैक्सिबिलिटी और कंसंट्रेशन का मेल है। तो इस भ्रम में बिल्कुल भी न रहें कि योग करने के लिए शरीर का लचीला होना जरूरी है।

यहां जाने योग से जुड़े ऐसे 5 मील की सच्चाई। चित्र : ऑडियोस्टॉक

2. केवल लोग ही योग कर सकते हैं

यह एक लाख से ज्यादा और कुछ भी नहीं है। जरूरी नहीं कि केवल प्रसार और कम वजन के व्यक्ति ही योग का अभ्यास कर सकते हैं। योग कहीं से भी आपके शरीर के आकार और वजन पर लगातार नहीं करता।

कुछ ऐसे हो योगासन हैं जिनमें बॉडी वेट के साथ करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन विभिन्न प्रकार के योगासन ऐसे भी हैं, सत्य अनुमान से ग्रसित व्यक्ति भी कर सकते हैं। उसी समय नियमित रूप से योग करने से धीरे-धीरे शरीर होता है तो फिर आप अन्य योगासनों का अभ्यास करने की कोशिश कर सकते हैं।

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3. धारणा को योगाभ्यास नहीं करना चाहिए

यह एक बहुत बड़ा मिथ है प्रभावित व्यक्ति योग का अभ्यास नहीं कर सकते। यदि कोई व्यक्ति पीड़ित है, तो उन्हें योगाभ्यास अवश्य करना चाहिए। प्राणायाम, ध्यान, ब्रीडिंग एक्सरसाइज आदि शरीर में ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाते हैं। जिससे उसकी स्थिति में सुधार देखने को मिलता है। नियमित योगाभ्यास एक श्रोता के पेशेंट की औषधियो के डोज को कम कर सकता है। इसलिए ऐसी हरकत में आने से बचें।

पीसीओएस के लिए योग
अच्छा आहार और नियमित अभ्यास जरूरी है.. चित्र : दृश्य स्टॉक

4. केवल युवा व्यक्ति ही योग में भाग ले सकते हैं

ये अवधारणा सालों से चली आ रही है कि केवल युवा व्यक्ति ही योग का अभ्यास कर सकता है। परंतु यह एक बहुत बड़ी बात है। योगाभ्यास का आपकी लिंग आयु और शरीर की उपस्थिति से कोई लेना-देना नहीं है। योग केवल ध्यान और एकाग्रता चाहना है।

यदि कोई अधिक उम्र के व्यक्ति पूरे ध्यान और एकाग्रता के साथ योग कर रहे हैं तो उन्हें इसके फायदे जरूर मिलेंगे। हालांकि, एक उम्र के बाद कुछ योगासनों को करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन ऐसे कई योगासन हैं जिनका वास्तविक अभ्यास बढ़ती उम्र में भी किया जा सकता है।

5. योगा केवल महिलाएं ही कर सकती हैं

यह अवधारणा लोगों के मन में सालों से बनी हुई है कि योगाभ्यास केवल महिलाएं ही कर सकती हैं। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कोई भी व्यक्ति जो खुद को फिट रखना चाहता है वह योग का अभ्यास कर सकता है। योग किसी तरह से भी जेंडर पर निर्धारित नहीं है। वहीं कई पुरुष योग गुरु रह चुके हैं। इन भ्रमों के चक्कर में भूलकर भी योग के लाभों से विनोद न रहें।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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