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कीटो डाइट से होने वाले 5 जोखिम इस प्रकार हैं – कीटो आहार से 5 जोखिम यहां दिए गए हैं

आज के दौर में वेटलॉस के लिए लोग कई शाकाहारी डाइट को अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बना रहे हैं। ज्यादातर किसी न किसी बीमारी से ग्रस्त लोगों को इलाज के तौर पर अलग-अलग तरह के डाइट फॉलो करने के लिए कहा जाता है। इसी फेहरिस्त में शामिल है कीटो डाइट। आमतौर पर इसे कैंसर (कैंसर), ओवरी सिंड्रोम (ओवरी सिंड्रोम) और अल्जाइमर (अल्जाइमर) जैसी बीमारियों से जुड़ी बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है। दरअसल, इस डाइट में कीटो शेक, प्रोटीन से भरपूर मटन, मछली और कुछ हील स्किन शामिल हैं।

इसमें सेब, केला और अधिकृत का विज्ञापन नहीं किया जाता है। इस डाई का असर एक हफ्ते के अंदर आपका चेहरा दिखने लगता है (कीटो आहार के दुष्प्रभाव)। कीटो डाईट को आप वेज और नॉनवेज दोनों प्रकार से ले सकते हैं।

कीटो डाइट क्या है

कीटो डाइट एक ऐसी हाई फैट डाइट को कहा जाता है, जिसमें बॉडी एनर्जी के लिए फैट पर फंटक होने लगती है। इसमें कार्ब्स की मात्रा को सीमित और प्रोटीन को मध्यम तरीके से लिया जाता है।

मेडिकल न्यूज के अनुसार कीटो डाइट वो डाइट है। जो आहार में वसा की मात्रा को एक व्यक्ति के दैनिक कार्ब्स इनटेक को नियंत्रित करता है। इसका मकसद कार्बोहाइड्रेट लेने की जगह ऊर्जा के लिए फैट बर्न करने के लिए बढ़ावा देना है। ये एक तरह का मेटाबोलिक चेंज (चयापचय परिवर्तन) है, जो शरीर को केटोसिस की स्थिति में डाल देता है।

केट तब होता है जब बॉडी ब्लड शुगर के कारण तेज जलन होने लगती है। उस वक्त बॉडी में वसा को कीटोन में बदल देता है, जो शरीर को एनर्जी प्रदान करता है।

कीटो डाइट एक ऐसी हाई फैट डाइट है, जिसमें बॉडी एनर्जी के लिए फैट पर लगातार होने लगती है। चित्र : अडोबी स्टॉक

कैसे करें आहार में शामिल

कीटो डाईट में रूटीन कार्बोहाइड्रेट इनटेक को 50 ग्राम या उसे कम तक हर किसी को रखा जाता है। कीटो आहार में उच्च प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट कम रहता है। 70 से 80 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट, 10 से 20 प्रतिशत प्रोटीन और 5 से 10 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट होते हैं। दिनभर में 2ए000 कैलोरी के डेली सेवन के आधार पर इन्हें प्रपोर्शनेट किया जाता है।

जानिए क्या हैं कीटो डाइट के प्रभाव

1. थकान महसूस होना

आहार में कार्बोहाइड्रेट एड न करने से शरीर का ग्लूकोज लेवल कम होने लगता है। इससे हम धीरे-धीरे शरीर में एनर्जी की कमी महसूस करने लगते हैं। इस दिन थकान का अनुभव रहता है। पूरी तरह से ऊर्जावान और भरपूर होने के कारण आप किसी काम पर ध्यान नहीं देते हैं। इसका प्रभाव आपकी कार्य उत्पादकता पर भी दृष्टि डालता है।

2. पोषण की कमी

यदि आप अपने आहार से अनाज और कई फक्कियों को निकाल रहे हैं। इससे आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। मसल्स बनाने के लिए कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन शरीर के लिए बेहद जरूरी है। इसके अलावा आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन और झुर्रियों की कमी होने लगती है।

3. कार्डियोवैस्कुलर डिजीज का खतरा

इसमें उच्च खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दी जाती है, जो दिल के लिए अनहेल्दी होते हैं। इससे शरीर में वसा की मात्रा बढ़ती है। जो पूरी तरह से हार्ट फ्रैंडली नहीं है। ऐसे में हृदय को इस आहार से परहेज करना चाहिए। इसके अलावा ज्यादा फट लेने से कार्डियोवैस्कुलर डिज का खतरा भी बढ़ने लगता है।

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4. डाइजेशन के लिए नुकसानदायक

फाइबर और कार्ब्स की मात्रा न होने के कारण ये हैं पाचन तंत्र गिरफ्तार कर लेता है। अधिक वसा वाले खाद्य पदार्थों को खाने से पेट में अम्लता की समस्या रहने लगती है।

5. डिहाइड्रेशन की समस्या

ग्लूटेन की ग्लूट और वसा युक्त आहार खाने से शरीर में डीजेज की समस्या बढ़ती जा रही है। निर्जलीकरण के कारण पेट में दर्द और एलर्जी का खतरा बढ़ने लगता है। अगर इस समस्या से बचना चाहते हैं, तो इस रंग को फॉलो करने के साथ वॉटर इनटेक भी जरूरी है।

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