चुने हुए के अलग-अलग प्रकार के होते हैं जैसे कि टाइप 1 लीन, टाइप 2 लीन, जेस्टेशनल लीन। तनाव, लंबे समय तक रहने के कारण, शराब और धूम्रपान का सेवन साथ ही जीवन शैली की अन्य गलतियां इसके लिए जिम्मेदार हैं। आहार को नियंत्रित करने के लिए आहार पर ध्यान देने की सलाह सभी देते हैं।
क्या योगाभ्यास ब्लड शुगर कंट्रोलर की स्थिति में आपकी मदद कर सकता है? तो आपको बता दें कि कुछ खास योगाभ्यास हैं जो वायरल कंट्रोल करने में आपकी मदद कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं इन योगासनों के बारे में।
भारतीय योगा गुरु, योगा संस्थान के डायरेक्टर और टीवी के ज्ञात हस्ती डॉक्टर हंसाजी योगेंद्र ने तरल नियंत्रण करने के लिए कुछ प्रभावी योगासनों के नाम हैं (मधुमेह के लिए योग), तो एक्सपोजर जानते हैं इन आसनों के बारे में साथ ही जानेंगे ये किस तरह काम करते हैं।
सीखने में कैसे काम करता है योग
नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ हेल्थ के अनुसार, यह जुड़वाँ राशि की संख्या को बढ़ाता है और अंश का अनुपात प्राप्त करता है।
योग का अभ्यास पाचन, परिसंचरण और प्रतिरक्षा में सुधार करता है, साथ ही योग तंत्रिका और सभी अंगों को बेहतर बनाता है।
योग का नियमित शारीरिक अभ्यास के लिए विभिन्न रूपों में लाभ होता है और इससे आप अधिक ऊर्जावान महसूस करते हैं, साथ ही यह लीन जैसे अन्य जीवनशैली विकारों में प्रभावी रूप से काम करता है।
यहां हैं लाइन कंट्रोल करने के लिए कुछ प्रभावी योगासन
1. स्पाइनल ट्विस्ट
स्पाइनल ट्विस्ट पेट के निचले हिस्से के इस्तेमाल को स्टिम्युलेट करता है जो ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद कर सकता है। इसके साथ ही यह रीढ़ की हड्डी में बने अकड़न और दर्द के लिए बहुत लाभ पहुंचाता है। साथ ही पीठ और कमर के हिस्सों को भी आनंद मिलता है। आपकी पाचन क्रिया में हलचल पैदा होती है और उन्हें पूरी तरह से रिलैक्स रहने में मदद मिलती है।
यहां जाने इसे करने का सही तरीका
दोनों पैरों को शरीर के बिल्कुल सामने सीधे करके बैठ जाएं।
दाएं पैर को मोड़ें और इसे बाएं पैर के घुटने के पास जमीन पर रखें।
बाएं पैर को मोड़कर बटॉक्स के नीचे या अपने पास रखें।
अब अपने बाएं हाथ या घुटनों के घुटने को ऊपर उठाएं, झुकें से अपना चेहरा कोएं कंधे की ओर मोड़ें।
कुछ देर तक इसी मुद्रा में बने रहें, फिर दूसरी ओर भी ऐसा ही करें।
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2. धनुरासन
धनेश्वर मुद्रा की स्थिति में प्रभावी रूप से काम करती है। इस योग का अभ्यास पेट की मांसपेशियों को भी आराम पहुंचाता है। यह एक बेहतरीन स्ट्रेस बस्टर है और थकान से भी राहत प्रदान करता है।
इस तरह करें ये योगाभ्यास
धनुरासन की मुद्रा में आने के लिए सबसे पहले पेट के बल लेट गए।
जेक को मोड़ और कमर के पास ले कुछ भिन्नता फिर आपके दोनों हाथों से दोनों टखनों को पकड़ें।
अब अपने सिर, छाती और जांघ को ऊपर की ओर उठाने की कोशिश करें।
इस दौरान अपने शरीर के पूरे भार को पेट के निचले हिस्से पर डाल दें।
उसी समय पैरों को पकड़कर शरीर में आगे की ओर स्ट्रेच करें।
शारीरिक क्षमता को ध्यान में रखते हुए लगभग 15-20 कोशिकाओं तक इस मुद्रा में बने रहें।
फिर सांस छोड़ें अपनी छाती और पैर को सतह पर रखें और आराम करें। जून के दिन फिर यह बात हुई।
3. पश्चिमोत्तानासन
यह आसन आपके पेट व पैल्विक फ्लोर को टोन करता है, और दाखिल होने की स्थिति में बाधा हो सकती है।
यहां जानें इसे करने का सही तरीका
जमीन पर दोनों पैरों को सीधा सीधा करके बैठ जाएं।
कोशिश करें कि दोनों पैरों के बीच में दूरी न हो साथ ही पैरों को ठीक रखने का प्रयास करें।
वहीं गर्दन, सिर और रीढ़ की हड्डी को भी सीधा रखें। फिर दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों पर रखें।
अब अपने सिर और झटकों को आगे की ओर झुकाएं और घुटनों को बिना मोड़े हाथों की झपकियों से हाथों की झपकियों को छूने की कोशिश करें।
इसके बाद गहरा श्वास लें और धीरे-धीरे श्वास को छोड़ें।
अपने सिर और माथे को दोनों घुटनों से छूने की कोशिश करें।
सांस को पूरी तरह से छोड़ दें और इस मुद्रा में कुछ सेकंड तक बने रहें।
कुछ दस्तावेजों के बाद अपने धर को सीधे कर लें।
अब सामान्य रूप से सांस लें और इस मुद्रा से 3 से 4 बार संबंध।
4. बलासन
यह अभ्यास आपके शरीर को आराम देता है इसके साथ ही यह लाइनक्सिन प्रोड्यूजिंग ही बीटा सेल्स के उत्पादन को बढ़ावा देता है। इतना ही नहीं यह सिर के दर्द से राहत प्रदान करता है साथ ही तनाव और थकान में भी आपूर्ति होती है।
यह बालासन करने का सही तरीका है
सबसे पहले वज्रासन की मुद्रा में बैठें।
रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं।
अब सांस छोड़ें और कमर के ऊपर के हिस्से यानि कि घर को आगे की ओर झुकें।
साथ में दोनों हाथों को भी आगे की ओर झुकाएं।
इस स्थिति में कुछ सेकंड तक बने रहें और फिर सामान्य स्थिति में वपास आ जाएं।
इस मुद्रा से लगभग 10 बार घनिष्ठता है।
भोजन के तुरंत बाद इस योग का अभ्यास न करें। कम से कम 5 से 6 घंटे का गैप रखें।
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