ऊंसल ने कहा कि तुर्की मूल के कुछ लोगों की जब अपने परिवार के सदस्यों से फोन पर बातचीत नहीं हो पाई, तो वे अपने देश के लिए रवाना हो गए। ऊंसल 25 साल पहले ज्यादातर दिल्ली आए थे, जबकि लोग वही रहे।



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