
UNITED NEWS OF ASIA. कवर्धा। आमजनो को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा क्षेत्र के विकास और निर्माण कार्यो के नाम पर राज्य व केन्द्र की भाजपा सरकार द्वारा धड़ाधड़ स्वीकृत की जा रही शासकीय राशि का किस तरह दुरूपयोग हो रहा है इसकी बानगी कबीरधाम जिले की कवर्धा विधानसभा में साफ देखी जा सकती है।
इसे शासन-प्रशासन की अनदेखी कहें या फिर ऊपर से लेकर नीचे तक जिम्मेदारों की मिलीभगत, कि जिस कार्य के लिए राशि स्वीकृत की जा रही है उसका न तो उद्देश्य पूरा होते दिख रहा है और न ही इसका लाभ ही क्षेत्रवासियों को मिल पा रहा है। हैरानी की बात तो यह है कि ऐसे मामलों की लगातार शिकवा शिकायतें सामने आने के बाद भी न तो इसकी जांच हो रही है और न जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्यवाही ही की जा रही है।
जिसके चलते भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद है और वे लगातार बड़े ही बेखौप ढंग से अपने नपाक मनसूबों को अंजाम दे रहे हैं। उक्त बातें प्रदेश युवा कांग्रेस के सचिव आकाश केशरवानी ने जारी बयान में कहीं। उन्होने कवर्धा विधानसभा में विकास एवं निर्माण कार्यो के नाम पर किए जा रहे बड़े भ्रष्टाचार की पोल खोलते हुए बताया कि प्रदेश सरकार ने करीब सालभर पूर्व जिले के भोरमदेव अभ्याणरण के कोकदा क्षेत्र में करीब 30 से 35 लाख रूपए प्रति नग की लागत से दो चेक डेम की स्वीकृति प्रदान की थी।
मंशा थी कि अभ्यारण क्षेत्र में व्यर्थ में बहने वाले जल को चेकडेम में संग्रहित किया जा सके ताकि इसका लाभ क्षेत्रवासियों के साथ वन्यप्राणियों को मिल सके। लेकिन आरोप है कि कार्य ऐजेंसी वन विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों ने इस मंशा पर ही पानी फेर दिया।
केशरवानी ने बताया कि कार्य ऐजेंसी ने जिला मुख्यालय कवर्धा से करीब 35 किलो मीटर दूर भोरमदेव अभ्यारण के कोकदा क्षेत्र में चेक डेम का निर्माण तो अपने किसी ठेकेदार के माध्य से कराया, लेकिन इस निर्माण कार्य में संबंधित कार्य ऐजेंसी के अधिकारियों से लेकर ठेकेदार ने आपसी मिलीभगत कर इसकदर अनियमितता तथा भ्रष्टाचार बरती गई कि लाखों की लागत से निर्मित दोनों चेक डेमो ने महज कुछ ही महिनो में दम तोड़ दिया।
आज इन चेक डेमों की स्थिति ऐसी है कि जैसे इनका निर्माण कुछ माहिने पूर्व नहीं बल्कि सालों पूर्व किया गया था। आलम ये है कि चेक डेमों की फ्लोरिंग पूरी तरह से उखड़ चुकी है, डेम की नींव खोखली हो चुकी है और चेकडेम की दीवारों में दरारे आ चुकी है। जिसमें अब जल संग्रहण होना मुस्किल है।
नलजल योजना के नाम पर लाखों खर्च फिर भी गांव प्यासा
वन विभाग की ही तरह आकाश केशरवानी ने पीएचई विभाग में व्याप्त अनियमितता तथा भ्रष्टाचार की कलई खोलते हुए बताया कि पीएचई विभाग द्वारा विकासखण्ड बोड़ला के ग्राम मुड़वाही में स्थानीय बासिदों को शुद्ध व साफ पेयजल उपलब्ध कराने के नाम पर शासन की नलजल योजना के तहत करीब साठ लाख रूपए की राशि स्वीकृत की गई थी।
केशरवानी ने बताया कि विभाग द्वारा योजना के तहत गांव में विशालकाय पानी टंकी का निर्माण कराया है साथ ही ग्रामीणों के घरों घर तक पानी पहुंचाने पाईप लाईन विस्तार का कार्य किया जा रहा है। लेकिन दुर्भाग्य का विषय है कि करीब सालभर से जारी यह कार्य अब तक पूरा नहीं हो पाया है। जिसकी मुख्य वजह यह बताई जा रही है कि ग्राम मुड़वाही में बोर खनन सफल नहीं हो पा रहा है।
अभी तक विभाग द्वारा यहां दो बोर कराए जा चुके है लेकिन इन दोनो बोर में पानी नहीं निकला और बोर फेल हो गए। अब ऐसे में बड़ा सवाल यही खड़ा हो रहा है कि क्या पीएचई विभाग के पढ़े लिखे और औहदेदार अधिकारियों ने लाखों रूपए खर्च करने के पूर्व इस बात की जांच नहीं की थी कि ग्राम मुड़वाही में बोर खनन सफल होगा या नहीं और की थी तो फिर बोर सफल क्यों नहीं और अगर नहीं की थी तो फिर लाखों रूपए की राशि खर्च कर यहां विशालाकाय पानी टंकी निर्माण करने तथा पाईप लाईन बिछाने की मंशा क्या थी?
आला अधिकारी एसी चेम्बरों में बैठकर चला रहे विभाग
प्रदेश युवा कांग्रेस के सचिव आकाश केशरवानी ने आरोप लगाया कि भाजपा शासनकाल में जिले के प्रशासनिक एवं विभागीय अधिकारी बेलगाम हो चुके हैं। विशेषकर विभागीय अधिकारी अपने एसी चैम्बरों में बैठकर विभाग चला रहे हैं।
ऐसे में बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि क्या विभागीय आला अधिकारी वास्तव में शासन द्वारा आमजनो को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने तथा क्षेत्र के विकास और निर्माण कार्यो के प्रति जरा भी गंभीर नहीं है और अगर हैं तो फिर इस तरह से निर्माण एवं विकास कार्यो में अनियमितता तथा भ्रष्टाचार बरतने वाले जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही है?
केशरवानी ने इन मामलों की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्यवाही की मांग शासन-प्रशासन से की है।
















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