कबीरधामचुनावछत्तीसगढ़

हाल ऐ कवर्धा- नाराज कार्यकर्ताओं को छोड़कर नवप्रवेशित नेताओं का कांग्रेस को सहारा, बीजेपी उलझी आपस मे, घंटो मे निकल रहे आदेश

राजनीति की सियासत के कई रंग देखे है,
रिश्तों पर हावी होते राजनीति के ढंग देखे है,
राजनीति के खेल में कोई सगा नहीं,
बाप बेटे एक दूसरे के काटते पतंग देखे है..

UNITED NEWS OF ASIA. विधानसभा चुनाव मे महज कुछ महीने बचे है, नेताओं ने जोर आजमाइस चालू कर दी है
वर्तमान मे कद्दावर मंत्री हफ्ते मे तीन दिन दौरे पर रहते है वहीं
बीजेपी लगातार विरोध प्रदर्शन से अपनी आंशिक उपस्थिति दर्ज करवाने मे लगी है. पर वोट जनता देती है और जनता तक हम पहुंच चुके है , सुलगते सवालों और धधकते गुस्से मे लोगो की चर्चा आम है।

झंडा कांड के चलते हाई प्रोफाइल सीट का तमगा लेकर चल रही कवर्धा विधानसभा की तासीर बड़ी बदली हुई नजर आ रही है। मोहम्मद अकबर कवर्धा मे विकाश पुरुष के रूप मे छवि बनाने जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं पर हमेशा की तरह उनके नवरत्न उनकी मेहनत पर रायता फैलाने से बाज नहीं आ रहे।

ताज़ा मामला कांग्रेस पार्टी के नए कार्यालय के उदघाटन से जुडा हुआ है, मंच पर प्रदेश के मुख्यमंत्री का इंतजार करते 15 सालो की तपस्या झेलकर 4 साल से उपेक्षा का दंश झेल रहे कांग्रेसी थे, तो मंच पर कभी बीजेपी शासित सत्ता के सिपाही शोभा बढ़ा रहे थे।

हमने भी अपनी रिपोर्टिंग जारी रखी, नेवारी से पहुचे एक 55 वर्षीय वृद्ध का कहना था की “मोर जीवन गुजर गए कांग्रेस के काम करत, कोई नेता मोर कुछ नहीं करिस, मै राजीव इंदिरा ला मांथव पर आज देख ये कोन मन हा कांग्रेस चलात हे”

बातो से हम दंग थे पर मन की व्यथा समझनी जरूरी है की आखिर किन लोगो ने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को साइड करके बीजेपी के कार्यकर्ताओं के हाथों कांग्रेस सौप दिया, बीजेपी सरकार मे ठेके लेने जिनकी लोबिंग होती थी आज कांग्रेस मे टेंडर बाँट रहे, आम कार्यकर्ता खुद को ठगा महसूस कर रहा है।

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