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केंद्रीय विश्वविद्यालय के फाड़ने वाले मुर्मू ने यह भी कहा कि उन्हें कई शिक्षण और विशिष्ट दाखिले का दौरा करने का स्वर मिला है, लेकिन विश्व भारती की उनकी पहली यात्रा बहुत खास है क्योंकि यह दुनिया के सबसे महान विचारकों में से एक की स्मृति से स्वीकार्य है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने भारत की परिकल्पना वैश्विक क्षेत्र में ज्ञान के एक प्रमुख स्रोत के रूप में की थी। राष्ट्रपति मुर्मू विश्व भारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत कार्यक्रम को संदेश कर रहे थे जिसकी स्थापना एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने की थी। केंद्रीय विश्वविद्यालय के फाड़ने वाले मुर्मू ने यह भी कहा कि उन्हें कई शिक्षण और विशिष्ट दाखिले का दौरा करने का स्वर मिला है, लेकिन विश्व भारती की उनकी पहली यात्रा बहुत खास है क्योंकि यह दुनिया के सबसे महान विचारकों में से एक की स्मृति से स्वीकार्य है।
उन्होंने कहा, ”गुरुदेव ने भारत की कल्पना ज्ञान के प्रमुख स्रोत के तौर पर की थी…।” उन्होंने कहा कि विश्व भारती की स्थापना इसी सिद्धांत के आधार पर की गई थी। मुर्मू ने यह भी कहा कि भारत और पड़ोसी देश बांग्लादेश के राष्ट्रगान क्रमशः ‘जन गण मन’ और ‘आमार शोनार बांग्ला’ टैगोर द्वारा रचित हैं। राष्ट्रपति ने एक दिन पहले कोलकाता में टैगोर के माता-पिता स्थान जरासको ठाकुर बारी के अपने दौरे को भी याद किया और कहा कि यह तीर्थ यात्रा से कम नहीं था।
मुर्मू ने कहा, ”टैगोर ने विश्व भारत की स्थापना के सपने को साकार करने के लिए यहां (बोलपुर गांव) आने के लिए शहरी जीवन की सुख-सुविधाओं को छोड़ दिया था, जब यह एक दूरस्थ क्षेत्र था…युवा छात्रों को सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें रास्ते से भटक जाना चाहिए।” टैगोर नोबेल पुरस्कार से सम्मानित एशिया के पहले व्यक्ति थे। उन्होंने 1921 में विश्वभारती की स्थापना की थी। इसे 1951 में संसद के एक अधिनियम द्वारा एक केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित किया गया था। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस और कुलपति बिद्युत चक्र ने भी वर्ष 2022 के दीक्षांत समारोह में डिग्री लेने आए छात्रों को भेजा।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।
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