
UNITED NEWS OF ASIA. महेंद्र शुक्ला, मनेंद्रगढ़ (कोरिया)।छत्तीसगढ़ का मनेंद्रगढ़ वनमंडल इन दिनों अवैध लकड़ी कटाई और तस्करी को लेकर गंभीर आरोपों और विवादों में घिरा हुआ है। बीते कुछ महीनों से वहरासी एवं बिहारपुर वन परिक्षेत्र में लगातार जंगलों की कटाई और इमारती लकड़ियों की तस्करी की खबरें सुर्खियों में बनी हुई हैं।
स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने भी वन विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिसमें वन अधिकारियों की तस्करों से मिलीभगत और उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है।
वन माफिया गरीब आदिवासियों को बना रहे निशाना
सूत्रों के अनुसार, वन माफिया क्षेत्र के गरीब आदिवासी ग्रामीणों को बहला-फुसलाकर उनकी जमीनों पर उगे कीमती पेड़ों को बेहद कम कीमत पर खरीद रहे हैं। इसके बाद उन लकड़ियों को उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह तस्करी वर्षों से चल रही है लेकिन हाल के महीनों में इसमें तेज़ी आई है।
ईंट भट्ठों में भी होती है अवैध लकड़ी की खपत
जानकारों का कहना है कि जैसे ही ईंट भट्ठों का सीजन शुरू होता है, अवैध लकड़ी की खपत में और इज़ाफा होता है। स्थानीय ईंट व्यवसायी भी जंगलों से लाई गई अवैध लकड़ी का उपयोग करते हैं, लेकिन वन विभाग की कार्रवाई अधिकांशतः कागज़ों तक ही सीमित रहती है।
दबाव में की गई कार्रवाई, लीपा-पोती के आरोप
हाल ही में बिहारपुर वन परिक्षेत्र अधिकारी ने पत्रकारों के दबाव में एक वाहन को रोककर भारी मात्रा में अवैध लकड़ी जब्त की।
हालांकि, इसे दिखावटी कार्रवाई बताया जा रहा है, क्योंकि इससे पहले कई बार वन विभाग ने ऐसे मामलों पर चुप्पी साधी। आरोप हैं कि कई मामलों को जानबूझकर दबा दिया गया, जिससे ईमानदार अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
DFO मनीष कश्यप के कार्यकाल पर उठ रहे सवाल
जानकारी के अनुसार, जब से डीएफओ मनीष कश्यप ने मनेंद्रगढ़ वनमंडल का कार्यभार संभाला है, तस्करी के मामलों में असामान्य बढ़ोतरी देखी गई है।
पूर्व में भी मनीष कश्यप विवादों में रहे हैं, और अब मनेंद्रगढ़ में उनके कार्यकाल को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और जागरूक नागरिकों में आक्रोश है।
फर्नीचर व्यवसायी पर कार्रवाई भी संदेह के घेरे में
हाल ही में एक फर्नीचर दुकान पर छापेमारी की गई थी, जो कि सीसीएफ सरगुजा विश्वनाथन मैथ्यूज के निर्देश पर हुई। लेकिन आरोप है कि स्थानीय अधिकारियों की “संरक्षण नीति” के चलते कार्रवाई अधूरी रह गई।
पत्रकारों द्वारा बिलों को फर्जी बताया गया, साथ ही सूरजपुर जिले के एक व्यवसायी ने भी संबंधित कारोबारी के खिलाफ शिकायत की थी, लेकिन वन विभाग ने कार्रवाई नहीं की।
ग्रामीणों की मांग – निष्पक्ष जांच हो
लगातार हो रही अवैध कटाई से जंगलों का अस्तित्व संकट में है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले समय में वन संपदा का भारी नुकसान होगा।
ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने उच्चस्तरीय स्वतंत्र जांच की मांग की है।
मनेंद्रगढ़ वनमंडल की स्थिति यह स्पष्ट करती है कि या तो वन विभाग की नियंत्रण व्यवस्था पूरी तरह असफल हो चुकी है, या फिर अंदरूनी सांठगांठ के कारण अवैध व्यापार को मौन स्वीकृति मिली हुई है।
अब देखना यह होगा कि सरकार और उच्च वन प्रशासन इस संवेदनशील विषय पर सख्त और निष्पक्ष कार्रवाई करता है या यह मामला भी फाइलों में दफन होकर रह जाएगा।
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