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छत्तीसगढ़ नगरी दुबराज चावल जीआई छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नागरी दुबराज चावल दुर्ग अन्न में प्राप्त करें

छत्तीसगढ़ नगरी दुबराज चावल: धान का कटोरा कहने वाले छत्तीसगढ़ को धान के कारण अब अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल गई है। छत्तीसगढ़ में गर्मियों के चावल की विशेष नगरी दुबराज को GI टैग मिल गया है। इससे इससे राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान बनती है। भोपाल भूपेश बघेल और कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने इस बड़ी उपलब्धि के लिए प्रदेश के किसानों, नगरी की मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों को शुभकामनाएं और शुभकामनाएं दी हैं।

अब छत्तीसगढ़ की धान की विदेशों में मांग बढ़ी है

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय और छत्तीसगढ़ शासन की सबसे पहली रंग लायें। भारत सरकार के बौद्धिक संपदा अधिकार प्राधिकरण द्वारा नगरी दुबराज उत्पादकों महिला स्व-सहायता समूह मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह को नगरी के दुबराज के लिए जीआई टैग दिया गया है। आरोपित है कि इसके लिए पिछले कुछ वर्षों से लगातार प्रयास किए जा रहे थे। नगरी के दुबराज चावल को जीआई टैग मिलने से इसकी मांग देश के साथ-साथ विदेशों में भी बढ़ेगी। इससे धमतरी जिले के नगरी अंचल के किसानों को आर्थिक लाभ मिलेगा।

जानिए क्या होता है जी.आई.टैग

जियोग्राफिकल इंडिकेशंस टैग एक प्रकार का बौद्धिक संपदा अधिकार होता है जिसमें किसी भी उत्पाद की गुणवत्ता एवं महत्ता उस स्थान के विशेष भौगोलिक वातावरण से निर्धारित की जाती है। इसमें उसके उत्पादों के उत्पत्ति स्थान की मान्यता प्रदान की जाती है। इस संबंध में संपदा अधिकार प्राधिकरण के साथ लगातार प्रयास किया जाता है। अधिकारियों ने बताया कि इंदिरा गांधी किसानी विश्वविद्यालय के मागदर्शन में ग्राम बगरूनाला, नगरी जिला धमतरी के नगरी दुबराज उत्पादकों महिला स्व-सहायता समूह मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह ने जी.आई. टैग के लिए आवेदन किया।

धार्मिक मान्यता और भगवान राम से भी इस चावल का संबंध है

छत्तीसगढ़ के बासमती के रूप में विख्यात नगरी दुबराज चावल राज्य की पारंपरिक, गर्मियों की धान प्रजाति है। कौन सा छत्तीसगढ़ के बाहर भी काफी उत्सव और मांग है। सिहावा के श्रृंगी ऋषि ऋषियों के नगरीय संबंधों की उत्पत्ति स्थल मानी जाती है। धार्मिक विरासत के अनुसार श्रृंगी ऋषि अजरा के संबंध राजा दशरथ द्वारा मौन धारण के लिए आयोजित पुत्रेष्ठि यज्ञ और भगवान राम के जन्म से हुआ है। विभिन्न शोध पत्रों में दुबारा चावल की उत्पत्ति नगरी सिहावा को ही बताई गई है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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