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यूक्रेन युद्ध से लेकर श्रीलंका संकट तक, वो मामले जिनमें भारत ने अपनाया बीच का रास्ता, लड़ते रहे दुनिया वाले-ईयरेंडर 2022 वैश्विक मुद्दे जहां भारत ने बीच का रास्ता चुना

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर- India TV Hindi

छवि स्रोत: एपी
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर

साल 2022 में दुनिया भर में कई बड़ी घटनाएं घटी हैं। इस साल पूरी दुनिया में खबरों में खूब छाए रहे हैं। इन भारत की ओर से जो रुख अपनाए गए, उनके लिए कभी भारत की आकांक्षा की गई तो कभी आलोचना की गई। लेकिन जो भी अपनाया गया, उसके पीछे भारत की मंशा केवल और केवल राष्ट्रहित थी। तो आज हम ऐसे ही मुद्दों की बात समझ लेते हैं।

यूक्रेन पर रूस का आक्रमण

रूस ने 24 फरवरी के दिन यूक्रेन पर पहली बार हमला किया था। उसी से इन दोनों देशों के बीच जंग चल रही है, जो अब 10 महीने का समय पूरा हो चुका है। रूस के हमले आज भी जारी हैं। अमेरिका सहित पश्चिमी और यूरोपीय देश पूरी तरह यूक्रेन के समर्थन में हैं। वहीं दूसरी तरफ चीन, रुकना, सीरिया, तुर्की और कुछ अन्य मध्य एशियाई देश रूस की तरफ रुख कर रहे हैं। हालांकि भारत ने इस मामले में तटस्थता का रास्ता अपनाया। उसने किसी एक पक्ष का साथ नहीं देते हुए कहा कि दोनों देशों को बातचीत की मेज पर आना चाहिए। लेकिन भारत ने गलत को गलत भी बताया। बूचा में हुई हत्याओं के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने साफ शब्दों में आलोचना की। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर व्लादिमीर से कहा कि यह युद्ध का युग नहीं है।

सप्लाई चेन प्रभावित हुई और तेल के डैमेज हो गए

रूस के यूक्रेन पर किए गए हमले की वजह से उस पर पश्चिमी देशों ने रोक लगा दी थी। जिसके कारण दुनिया भर में सप्लाई चेन प्रभावित हुई और तेल के दाम आसमान छू गए। यूरोपीय देशों ने रूस से तेल और गैस के आयात में कटौती कर दी या बिल्कुल ही आयात बंद कर दिया। इसका गंभीर प्रभाव इन देशों पर ऊर्जा संकट के रूप में सामने आया। रूस पर समझौते के चलते कई देशों की हिम्मत से तेल लेने की बात नहीं हुई लेकिन भारत में ये हिम्मत नजर आई। भारत ने देश में तेल की सेल रखने के लिए रूस से तेल की खरीद जारी की है। भारत का कहना है कि वह अपने राष्ट्रहितों को ध्यान में रखकर ऐसा कर रहा है।

श्रीलंका में आ गया आर्थिक संकट

स्लेयर ने इस साल की आजादी के बाद अपने इतिहास का सबसे बड़ा आर्थिक संकट देखा है। वैसे तो इस देश की हालत बिगड़ना 2021 में ही शुरू हो गई थी लेकिन यूक्रेन पर रूस के हमलों के चलते तेल के दाम बढ़ने से यहां भी इसके जिम्मे नजर आने लगे। धीरे-धीरे गलती करने वालों के लिए जरूरी चीजें खरीदना भी भारी पड़ गया। सरकार के पास जरूरी वस्तुओं के आयात के लिए डॉलर कम पड़ गए थे। इस देश पर विश्व बैंक, चीन और अमेरिका का भारी कर्ज है। मुश्किल समय में श्रीलंका की सहायता नहीं। उस समय भारत ने काम किया, और उसे सहायता भेजी।

इजरायल-फलस्तीन के बीच विवाद

खाड़ी देशों में हमेशा से ही इजरायल फलस्तीन विवाद पर चर्चा में रहता है। इस साल दोनों के बीच हुई हिंसा की काफी खबरें देखने को मिलीं। जनवरी में ही गाजा में बैठे हुए दबंगों ने इजरायल की धरती पर मिसाइल दागना शुरू कर दिया था। इसके साथ ही ऐसी भी रिपोर्टें आईं कि फलस्तीन और गाजा पट्टी में इजरायली दस्तावेज़ों में बच्चे और झटके शामिल हैं जिनमें कई नागरिकों की मौत हुई है। अगस्त में इस मामले में अधिक खुलासे हुए, जब इजरायल ने फलस्तीन और गजा पट्टी पर मिसाइल दागी। जिसमें सैकड़ों लोग घायल हुए और झटके की मौत हुई। भारत अपनी आजादी के बाद से फलस्तीन के अधिकारों का समर्थन कर रहा है लेकिन अब उसने अपने रुख में बदलाव किया है और वक्त के साथ-साथ इजरायली उसकी रक्षा और कृषि क्षेत्र में जरूरी जिम्मा बनाया है। ऐसे में भारत अब इस संघर्ष में दो देशों की नीति का समर्थन करता है।

ईरान में विरोध प्रदर्शन

ईरान में 16 को कुर्द महिला महसा अमीनी की मोरेलाइट पुलिस सितंबर की हिरासत में मौत हो गई थी। उन्हें ठीक से हिजाब नहीं पहनाया गया था। इसके बाद ईरान में सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। जिसमें महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों ने भी हिस्सा लिया। लोगों ने देश में हिजाब की अनिवार्यता के साथ प्रदर्शन किया था। इस मामले में पश्चिमी देश चढ़कर बोल रहे थे लेकिन भारत ने चुप्पी साधे रखी। भारत ने न तो इस मामले के समर्थन में कुछ कहा और न ही विरोध में कुछ कहा। ईरान के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में जब प्रस्ताव लाया गया तो भारत वहां से घिर रहा है।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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