छत्तीसगढ़

निशुल्क नारायण लिंब फ़िटमेंट केम्प: छत्तीसगढ़ के सैकड़ों दिव्यांगों के जीवन में नई उम्मीद, 382 दिव्यांग अपने पांव पर खड़े हुए

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर | मनुष्य का जीवन तभी सार्थक होता है जब उसका अस्तित्व दूसरों के जीवन में आशा और उजाला भर दे। इसी दिव्य ध्येय को साकार करते हुए नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर ने रायपुर के विशाल नगर स्थित शगुन फार्म में नारायण लिंब एवं कैलिपर्स फ़िटमेंट शिविर आयोजित किया। यह केवल एक चिकित्सा शिविर नहीं, बल्कि असंख्य टूटे सपनों और ठहरी हुई ज़िंदगी को पुनर्जीवित करने का महापर्व था।

इस शिविर में 382 से अधिक दिव्यांगजन कृत्रिम अंग पाकर एक बार फिर अपने पैरों पर खड़े हुए। जिनके चेहरे पर पहले निराशा की लकीरें थीं, वहां अब आत्मविश्वास और प्रसन्नता की मुस्कान खिली।

मुख्य अतिथि, छत्तीसगढ़ शासन के उपमुख्यमंत्री श्री अरुण साव ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा –
“नारायण सेवा संस्थान सचमुच अपने नाम को सार्थक कर रहा है। नर सेवा ही नारायण सेवा है। जब एक असहाय सदस्य फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है, तो पूरा परिवार जीवित हो उठता है। आज इन 400 जीवनों को जीने का नया उत्साह मिला है।”

विशिष्ट अतिथि, छत्तीसगढ़ अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष अमरजीत सिंह छाबड़ा ने कहा –
“धरती पर देवता उतर आए हैं जो किसी को नया हाथ, नया पैर दे रहे हैं। यह कितनी अद्भुत सेवा है कि जो हाथ कभी लिख नहीं सकते थे, वे आज लिख सकेंगे; जो पैर चलना भूल चुके थे, वे अब फिर से चल पाएंगे।”

शिविर का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। मंचासीन समाजसेवी ओपी निगम, संजय पारख, मीरा राव, डॉ. अशोक भट्टड, सीताराम अग्रवाल, पंकज शर्मा और अनंत श्रीवास्तव सहित समस्त अतिथियों का स्वागत मेवाड़ी परंपरा से किया गया।

संस्थान के संरक्षक महेश अग्रवाल ने कहा –
“रायपुर में अप्रैल में हुए चयन शिविर में 500 से अधिक दिव्यांगजन आए थे, जिनमें से 382 आज कृत्रिम अंग पाकर नया जीवन पा रहे हैं। यह केवल अंग नहीं, बल्कि उनकी रुकी हुई ज़िंदगी को आगे बढ़ाने की चाबी है।”

45 सदस्यीय टीम ने जर्मन तकनीक से बने नारायण लिंब का फ़िटमेंट किया। डॉक्टरों ने न केवल अंग लगाए, बल्कि उनके उपयोग और देखभाल का प्रशिक्षण भी दिया। शिविर में लाभांवित दिव्यांगों की परेड ने सभी की आंखें नम कर दी और हृदय गर्व से भर गया।

शिविर का संचालन महिम जैन ने किया और आभार हरि प्रसाद लढ्ढा ने व्यक्त किया।

नारायण सेवा संस्थान की स्थापना 1985 में हुई थी। संस्थापक श्री कैलाश मानव को पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है, वहीं संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने मेडिकल, शिक्षा, कौशल विकास और खेल अकादमी के माध्यम से लाखों दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ा है। 2023 में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।

संस्थान अब तक 40,000 से अधिक दिव्यांगों को नि:शुल्क कृत्रिम अंग प्रदान कर चुका है और छत्तीसगढ़ में भी दिव्यांगजन अब आत्मगौरव के साथ जीवन की राह पर कदम बढ़ा रहे हैं।

 


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