फ्रांस भारत के रक्षा उद्योग में भाग लेने का इच्छुक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की संभावना परियोजना ने रक्षा के क्षेत्र में भी भारत को गजब की गति दी है। अब भारत डिफेंस कोरिडोर पर भी सैन्य साजो-सामान और युद्धक उपकरण के निर्माण की ओर तेजी से कदम बढ़ा है। रक्षा मंत्री संदर्भ सिंह के अनुसार आज भारत अपनी सैन्य जरूरतों को पूरा करने के साथ-साथ दुनिया के 75 देशों को सैन्य उपकरणों की आपूर्ति कर रहा है। भारत की इन्हीं ताकतों को देखते हुए फ्रांस भी फिदा हो गया है। वह भारत में रक्षा दावों के लिए आधार बनाना चाहता है। इससे भारत को फ्रांस की तकनीकि भी मिल जाएगी। तब रक्षा के क्षेत्र में भारत का जलवा और भी बढ़ जाएगा।
फ्रांस के राजदूत इमैनुएलहिरन ने कहा है कि उनका देश भारत में विरोधियों के लिए एक राष्ट्रीय औद्योगिक आधार बनाने की प्रक्रिया में भागीदार बनना चाहता है। गोवा अपतटीय क्षेत्र में भारत-फ्रांस नौसैन्य अभ्यास ‘वरुण’ में हिस्सा लेने वाले फ्रांसीसी विमान चालन पोत चार्ल्स डी गॉल पर शनिवार को याचिका से सूचना लेने का दावा करते हुए कहा कि दोनों देश रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए बहुत से उपकरणों का सामूहिक उत्पादन कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि फ्रांस वास्तव में ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को समझ गया है और वह बिना किसी प्रतिबंध के भारतीय भाषा को सर्वश्रेष्ठ तकनीक के रूप में प्रासंगिक के लिए प्रतिबद्ध है।
फ्रांसीसी तकनीकियों के पास देश का रक्षा उद्योग होगा
फ्रांस के राजदूत लेनेन ने कहा कि हम आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को इसलिए भी समझते हैं कि हम अत्यधिक स्वतंत्र देश हैं और हम उस प्रक्रिया से भी गुजरे हैं। हम भारत में सुरक्षा शिकायतों के लिए एक राष्ट्रीय औद्योगिक आधार बनाने की प्रक्रिया में मालिकाना हक चाहते हैं। उन्होंने कहा कि भारत जब और अवसर को मौका देने के बारे में सोच रहा है, तो फ्रांस उसके लिए एक बढ़िया विकल्प साबित हो सकता है। फ्रांसीसी राजदूत ने कहा कि उनका देश बिना किसी प्रतिबंध के भारतीय वनस्पति को श्रेष्ठ तकनीक उपलब्ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “फ्रांस न केवल ‘मेक इन इंडिया’ के लिए समर्थन करेंगे, बल्कि डिवाइस के सह-निर्माण और सह-उत्पादन के लिए भी आगे आएंगे।
भारत और फ्रांस के संबंध बढ़ते जा रहे हैं
दोनों देशों के संबंध में संबंध के बारे में पूछे जाने पर लेने पर कहा, “भारत और फ्रांस के बीच असाधारण रूप से बेहतर और विश्वसनीय गोपनीयता संबंध हैं। हम अच्छे मूल्यों में यकीन करते हैं। हमारी रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत बनाने का सबसे अच्छा तरीका एक-दूसरे का सहयोग करना है। दोनों देश रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए बहुत सारे उपकरणों का सह-उत्पादन कर सकते हैं।” पणजी में 16 जनवरी को भारत-फ्रांस नौसैन्य अभ्यास ‘वरुण’ शुक्रवार को शुरू हुआ। फ्रांसीसी नौसेना के एक अधिकारी ने कहा था कि यह संयुक्त अभ्यास हिंद प्रशांत क्षेत्र में भारत और फ्रांस के बीच उत्कृष्ट नौसैन्य सहयोग का उदाहरण है, जिसमें जहाजों, युद्ध पोतों और हेलीकाप्टरों के साथ-साथ एक फ्रांसीसी कमान ने दोनों नौसेनाओं की युद्धक क्षमता को बढ़ाया है कई प्रशिक्षणों का हिस्सा लिया गया।
यह भी पढ़ें
जर्मनी ने नहीं दिया “तेंदुआ”… तो रूस ने यूक्रेन को बना दिया “बकरी”, यूं पलट दी जंग की जीत!
ब्रिटेन को भारी पड़ा यूक्रेन का समर्थन, ब्रिटिश सैनिकों ने ही कर डाला ये खतरनाक खिलाफ