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एलपीजी सिलेंडर फटने से घर में जिंदा जली चार लड़कियां, उत्तराखंड फायर ब्रिगेड के पास नहीं था हिमाचल प्रदेश से पानी का वाहन

उत्तराखंड की घटना के पछवादों में गुरुवार की शाम को भीषण आग लगी और हड़कंप मच गया। त्यूणी में टौंस पुल के पास दो मंजिला घर में भीषण आग लगने से सजी बहनों सहित चार बच्चियां जिंदा जल गईं। एलपीजी गैस सिलेंडर में विस्फोट के बाद यह आग लगी। लोगों का आरोप है कि फायर ब्रिगेड के पास पानी तक नहीं था और हिमाचल प्रदेश से गाड़ी मंगाई गई थी।

चार्ज है कि आधा किमी दूर फायर ब्रिगेड की गाड़ी में आधा घंटा लग गया। गाड़ी में पानी भी नहीं था, ऐसे में समय पर आग पर जुआ नहीं पाया जा सकता। त्यूणी में पुल के आस-पास यह पहलू शिक्षा अधिकारी सूरतराम जोशी का था, जिसमें तीन सगी बहनों के परिवार भाड़े पर रह रहे थे।

शाम करीब चार बजे सिलेंडर बदलने के दौरान घर में आग लग गई। आग लगते ही बड़े सदस्य तो बाहर निकल आए, लेकिन बच्चे अंदर फंस गए रह गए। झीने त्यूणी के अंदर फंस गए हैं आशीष रबियान, चार बच्चियों की मौत की पुष्टि की है। जबकि चार लोग घायल हो गए। डीएम सोनिका ने बताया कि सूचना मिलते ही प्रशासन के अधिकारियों को तुरंत रवाना कर दिया गया। मामले में अगर कोई सामने आता है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। पूरे मामले की मजिस्ट्रेटी जांच के आदेश दिए गए हैं।

फायर ब्रिगेड के पास पानी नहीं, हिमाचल से मंगाई गाड़ी
आग से भागने से लेकर इलाज के दौरान आपस में मिलती जुलती नजर आई। ऐसे में लोगों का क्रोध फूट पड़ा। नौजवान से आधा किमी दूर स्थित फायर स्टेशन से दमकल की गाड़ी में आधा घंटा का समय लगा। लोगों का आरोप है कि आग बिग्रेड की गाड़ी में पानी मामूली का था।

गाड़ी जब तक वापस पानी लेकर आती है तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
अग्निकांड में चार दैत्यों के साथ एक रहस्य की घटना के रहस्योद्घाटन कार्य में बड़े कलाकार दिखाई दिए। सिलेंडर फटने से आग लग गई आधे घंटे बाद फायर ब्रिगेड का वाहन संदेश, लेकिन इसमें पानी का कोई नामोनिशान नहीं था। साइंस ने खुद पाइपों से पानी आग से बचने की कोशिश की, जहां अग्निकांड हुआ।

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उससे आधा किमी की दूरी पर ही फायर ब्रिगेड की गाड़ी लग गई थी, लेकिन सुबह तक वाहन को आधा घंटे लग गए। इसलिए ही नहीं गाड़ी पर अग्निशमन कर्मी पाइप के दीवाने फिट नहीं होते। शेड्यूल पर मौजूद लोगों ने किसी तरह शटर फिट की, लेकिन जरा देर में दमकल की गाड़ी का पानी खत्म हो गया, जबकि इस वाहन की क्षमता 2400 लीटर है।

फायर ब्रिगेड नहीं करता तो चार मासूमों की जान बच सकती थी। ट्यूनी में फायर ब्रिगेड के वाहन में पानी खत्म होने पर स्थानीय लोगों ने उत्तरकाशी के मोरी और हिमाचल प्रदेश के रोहडू में सूचना दी, जिसके बाद वहां से फायर ब्रिगेड के वाहन पर पहुंचे। दोनों काफी ऊंचाई तक पहुंचने के बाद मझोग से पानी भरकर त्यूणी फायर ब्रिगेड का वाहन भी पहुंचा, लेकिन तब तक आग ने इतना विकराल रूप ले लिया कि आग पर नियंत्रण पाने में घंटों लग गए।

नीचे बह रही नदी, पानी भरने छह किमी दूर गए
घटना स्थल से 30 मीटर नीचे ही टौंस नदी बह रही है, इसके बावजूद पानी खत्म होने पर फायर ब्रिगेड का वाहन किमी दूर मझोग गया, जहां से वापस जाने में उसे लदान घंटे का समय लगा। हैरानी की बात है कि फायर ब्रिगेड के वाहन में मोटर नहीं थी, किसी से भी नदी का पानी नहीं निकाला जा सका। जबकि प्रत्येक फायर ब्रिगेड के वाहन के साथ मोटर भी होती है, जिससे आपात स्थिति किसी तालाब या नदी से पानी खींचा जा सकता है।

सड़क पर धरने पर बैठे लोग, लगाया जाम
आग लगने की घटना के बाद पुलिस-प्रशासन पर दो तरह के आरोप लगाए गए, स्थानीय लोगों के गुस्से को भड़काया गया। लोग सड़क पर बैठ गए और काफी देर तक सड़क पर जाम लगा रहा। लोगों ने त्यूणी पुलिस, फायर ब्रिगेड, तहसील प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की।

स्थानीय लोगों ने बताया कि अग्निशमन विभाग की तैयारी पहले से ही अधुरी थी। थाना पुलिस भी दो-चार जवानी की घटना स्थल पर पहुंची। आरोप है कि राजस्व पुलिस भी घटनाओं के दौरान लापता नहीं हो रही है। देर रात तक राजस्व विभाग मृत की जानकारी भी स्थानीय जनता से लेते रहे।

एसडीएम आग लगने के पांच घंटे बाद घटना स्थल पर पहुंचें। आरोप है कि जब आग से झुलसे चार लोग अस्पताल में भर्ती हुए तो अस्पताल में डॉक्टर मौजूद नहीं थे। अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने आग से झुलसे हुए लोगों पर रोक लगाने के बाद उन्हें हायर सेंटर रेफर कर दिया।

ऐसे में घायलों को हिमाचल के रोहडू अस्पताल में भर्ती के लिए पंजीकरण कराया गया। देर रात लोग अस्पताल के सामने धरने पर बैठे रहे। इस दौरान हरपाल चौहान, यशपाल, महावीर सिंह, ओम प्रकाश, सरदार सिंह, जवाहरलाल सिंह, स्वराज सिंह, विक्रम सिंह, बरु दत्त, श्याम सिंह, नरेंद्र आदि शामिल हुए।

पहले भी देखते ही देखते ट्यूनी बाजार में आग का तांडव टूट गया
2005 में भीषण अग्निकांड में ट्यूनी बाजार में 250 घर जल गए थे। इस अग्निकांड से पूरा टयूणी बाजार में छा गया। इसके बाद 2011 में दूसरा अग्निकांड हुआ, जिसमें बहुत बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ।

लगातार धमाकों से मची गड़बड़ियां
चार मंजिला मकान की चौथी मंजिल पर चार परिवार रहते हैं। बताया जा रहा है कि एक परिवार के सिलेंडर में आग लग गई, जिसकी आग बढ़ती चली गई और अन्य रसोई में काम होने लगा और एक के बाद एक सिलेंडर फट गया। बताया जा रहा है कि घर से लगातार हो धमाकों से ठोकर लगी, जिसके चलते किसी भी घर के पास जाने की हिम्मत नहीं पाई और घर के अंदर करीब नौ निहाल में मौजूद जलकर राख हो गए।

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