
एएनआई
ब्रिटेन के अपने पूर्व पीएम टोनी ब्लेयर ने कहा कि आज वास्तविक चुनौती यह है कि अधिकारों को भू-राजनीति को कैसे समझा जाए, और उस स्थिति में भारत नितांत महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में भारत में प्रगति उल्लेखनीय है।
दिल्ली में रायसीना डायलॉग चल रहा है। इसमें हिस्सा लेने के लिए देश दुनिया की कई बड़ी हस्तियां आई हैं। इसी कड़ी में ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी शामिल हो रहे हैं। टोनी ब्लेयर ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत की स्थिति से पहले कई उदाहरण बेहतर हुए हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। ब्रिटेन के अपने पूर्व पीएम टोनी ब्लेयर ने कहा कि आज वास्तविक चुनौती यह है कि अधिकारों को भू-राजनीति को कैसे समझा जाए, और उस स्थिति में भारत नितांत महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में भारत में प्रगति उल्लेखनीय है।
इसके साथ ही ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की स्थिति पहले से कहीं अधिक शक्तिशाली है। भारत के यूएनएससी की सदस्यता पर उन्होंने कहा कि यह डाक टिकट बेतुका है कि भारत एक स्थायी सदस्य (यूएनएससी का) नहीं है, लेकिन आप अन्य देशों के लिए भी ऐसा कह सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पश्चिम के पास शक्ति साझा करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि इस नई दुनिया में रहने वालों की समझ कैसे बनाई जाए।
वहीं, रायसीना डायलॉग में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि ओएससीई (यूरोप में सुरक्षा और सहयोग का संगठन) के 1999 के समिट में दुनिया के राष्ट्राध्यक्षों द्वारा राजनीतिक घोषणा की गई थी जिसमें कहा गया था कि ओएससी की हिस्सेदारी सुरक्षा के लिए प्रतिवाद हैं। उन्होंने बाद में कहा कि सभी देश अपनी होश से गठबंधन करने के लिए स्वायत्त हैं, लेकिन ऐसा करते हुए कोई भी देश अपनी सुरक्षा को मजबूत करने का प्रयास करते हुए दूसरे देश के लिए खतरा नहीं बनना चाहिए। नाटो ने यह सब टोड़ा और हमने इस पर ही सवाल उठाया।
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