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याचिका में कहा गया है कि अयोध्या के कोर्ट द्वारा दी गई सजा को पूरी तरह से दबोच लिया जाएगा। स्टीरियोटाइपिंग डेश कुमार सिंह की याचिका पर दो अन्य लोगों द्वारा दायर आपराधिक अपीलों को बृहस्पतिवार को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।
लखनऊ। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने फर्जी अंकपत्र मामले में अयोध्या की एक अदालत के आदेश के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पूर्व विधायक अक्षय प्रताप तिवारी की अपील को खारिज कर दिया है। याचिका में कहा गया है कि अयोध्या के कोर्ट द्वारा दी गई सजा को पूरी तरह से दबोच लिया जाएगा। स्टीरियोटाइपिंग डेश कुमार सिंह की याचिका पर दो अन्य लोगों द्वारा दायर आपराधिक अपीलों को बृहस्पतिवार को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया। उसने अपने फैसले में इस बात का नाम लिया कि तिवारी के 35 मामलों का आपराधिक इतिहास रहा है।
अक्षय प्रताप तिवारी के अलावा कृपाधन तिवारी और फूलचंद यादव ने भी अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। पीठ ने अपने फैसले में कहा, “अभियोजन पक्ष द्वारा पेश सुबूतों से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 420 (धोखाधड़ी), 468 (जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज़ को मूल के रूप में इस्तेमाल करना) के तहत अपराध पूरी तरह से बने और साबित होते हैं। अदालत ने उचित रूप से उपयुक्त दाखिले के लिए याचिका दायर करने का आरोप लगाया और सजा सुनाई।”
याचिका पर पक्के अंकपत्र के आधार पर अयोध्या के साकेत कोलाज में प्रवेश निर्णय के आरोप में मुकदमा चला था। तीनों याचिकाकर्ताओं ने अलग-अलग याचिकाओं में अयोध्या के विशेष एमपी/एमएलए कोर्ट के 18 अक्टूबर 2021 के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें तिवारी और अन्य को पांच साल की सजा सुनाई गई थी और उन पर जुर्माना भी लगाया गया था। उस समय अयोध्या की गोसाईगंज सीट से बीजेपी विधायक थे। सजा मिलने के बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गई थी।
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